सामने आई बलात्कार के आरोप के पीछे की असल वजह
- आपसी रजामंदी से आध्यात्मिक आश्रम ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने मिलकर खरीदी थी कीमती जमीन
- सीसीटीवी फुटेज से शिवपुर पुलिस की भी भूमिका संदिग्ध, पहले किया गिरफ्तार फिर लिखा एफ आई आर
- पत्नी का आरोप - गिरफ्तारी की जगह, समय और मुकदमें में विपक्षी के प्रभाव में आकर पुलिस ने गढ़ दी झूठी कहानी
वाराणसी (रणभेरी/विशेष संवाददाता)। आपने यह बात जरूर सुनी होगी की सांप को रस्सी और रस्सी को सांप बनाने की कला में अगर किसी को महारथ हासिल है तो वह है पुलिस । इतनी मनगढ़ंत कहानी तो कोई लेखक भी नहीं गढ़ पाता जितनी मनगढ़ंत कहानी पुलिस द्वारा मुकदमें में लिख दी जाती है। इसके पीछे की तीन वजहें होती है। एक तो यह कि पुलिस ने अपना ईमान बेच दिया हो, दूसरा यह कि पुलिस किसी के प्रभाव अथवा खुन्नस में हो या फिर किसी घटना के खुलासे का ऊपर से बड़ा दवाब हो। लेकिन सांप को रस्सी और रस्सी को सांप बनाकर वाहवाही लूटने वाले पुलिस अक्सर यह भूल जाती है कि न्याय का दरवाजा भले देर से खुलता है लेकिन खुलता जरूर है। इन सारे मनगढ़ंत कहानी की हकीकत तब सामने आती है जब न्यायालय में न्याय की तराजू पर तमाम तथ्यों एवं सबूतों को तौला जाता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, यह बात देश की अदालतों में न जाने कितनी बार साबित भी हो चुकी है लेकिन फिर भी रस्सी को सांप बनाने की पुलिसिया परंपरा आज भी जिंदा है।
ताजा मामला शिवपुर थाने का है जहां शिवपुर पुलिस ने न केवल रस्सी को सांप बनाया बल्कि खूब वाहवाही भी लूटी। बीते 20 सितंबर को शिवपुर पुलिस ने एक मुकदमा दर्ज किया। मुकदमे के मुताबिक एक पीड़िता ने शिवपुर पुलिस को लिखित प्रार्थना पत्र दिया कि उनके पति एक व्यक्ति चंद्रभूषण सिंह उर्फ प्रभुजी को पूजते थे जो समय-समय पर अपना आश्रम व स्थान बदलते रहते हैं। उसके पति द्वारा वर्ष 2019 में प्रतिवादी चंद्रभूषण सिंह उर्फ प्रभूजी से उनके आश्रम पर मिलवाया गया जहाँ प्रभुजी प्रवचन व उपदेश दे रहे थे और उसके बाद से महिला प्रभूजी के प्रवचन मे आने-जाने लगी। विपक्षी चंद्रभूषण सिंह उर्फ प्रभूजी द्वारा महिला तथा उसके पति को शिवपुर वाराणसी स्थित आश्रम में ही एक कमरा दिलवा दिया गया। अगस्त 2022 में प्रभूजी ने प्रसाद में नशीला पदार्थ मिलाकर महिला को धोखे से खिला दिया और जब महिला अर्धचेतन हो गयी तो उसका लाभ उठाते हुए चंद्रभूषण सिंह उर्फ प्रभूजी ने उस महिला के साथ दुष्कर्म किया। जब महिला कुछ चेतना में आयी तब चंद्रभूषण सिंह ने महिला को धमकी दिया कि यदि तुमने किसी को कुछ भी बताया तो तुम्हें, तुम्हारे बच्चे और तुम्हारे पति को जान से मरवा देंगे और पति को फर्जी मुकदमे मे फसाकर जेल भिजवा देंगे। जिससे महिला काफी डर गयी और उसका फायदा उठाते हुए महिला के साथ कई बार जबरदस्ती दुष्कर्म किया गया, जिसके आधार पर शिवपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और चंद्रभूषण को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
सीसीटीवी फुटेज बता रही पुलिस की कारसाजी
चंद्रभूषण सिंह की पत्नी मणि सिंह ने बताया कि महिला द्वारा मनगढ़ंत कहानी बनाकर रंजिशन उसके पति को फंसाकर जेल भेजवाया गया है। मणि सिंह का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और दर्ज मुकदमे के समय को अगर देखा जाए तो पुलिस पहले चंद्रभूषण सिंह को उसके घर से उठाकर थाने ले गयी फिर मनगढ़ंत कहानी लिखकर मुकदमा दर्ज किया और जेल भेज दिया। मणि सिंह के अनुसार 19 सितंबर की रात्रि पुलिस चंद्रभूषण सिंह को जबरिया घर से लेकर गयी जबकि मुकदमा 20 सितंबर को 1:25 मिनट बजे दर्ज किया गया है। मणि सिंह ने बताया कि घर पर लगे सीसीटीवी कैमरा में सब कुछ रिकार्ड हुआ है कि पुलिस द्वारा चंद्रभूषण सिंह को रात्रि 10:30 बजे घर में अवैध तरीके से घूसकर बिना कोई सर्च वारन्ट दिखाये या गिरफ्तारी का कोई कारण बताये ही रात्रि में जबरन घसीटते हुए ले गये थे। पत्नी का आरोप है कि चंद्रभूषण सिंह को उठाने के बाद शिवपुर पुलिस ने रात्रि में अन्यत्र ले जाकर सारी रात उन्हें टार्चर किया और बन्दी बनाकर रखा। पत्नी का आरोप है कि पुलिस सारी रात चंद्रभूषण सिंह को टार्चर करके फिर अगले दिन यानी 20 सितंबर को सेन्ट्रल जेल रोड स्थित वीडीए कालोनी के पास से फर्जी गिरफ्तारी दिखाकर न्यायालय में प्रस्तुत कर जेल भेज दिया।
मणि सिंह का कहना है कि यदि यह मामला दो वर्ष पहले का था तो अचानक पुलिस को इतनी जल्दी किस बात की हो गई की उसने बिना विधि का पालन किए घर से घसीटते हुए ले गई और फिर घर से ले जाने के बाद रात 1:25 पर मुकदमा दर्ज किया। जिस वक्त पुलिस ने घर से उठाया उस वक्त घर में महिलाएं भी थी। चंद्रभूषण सिंह की पत्नी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि घर में महिलाओं के रहते हुए पुलिस रात 10:30 बजे जबरदस्ती घर में घूस गई। आरोप है कि गिरफ्तारी के बाद पहले टॉर्चर किया गया, फिर मुकदमा दर्ज कर बिना मेडिकल किए ही पुलिस ने जेल भेज दिया। पत्नी ने कहा कि ऐसा लगा जैसे सारी कहानी पूर्व नियोजित और योजना बद्ध हो। दरअसल पुलिस ने 20 सितंबर को दर्ज जिस मुकदमे में गिरफ्तारी की जगह वीडीए कॉलोनी सेंट्रल जेल दशार्या है, हकीकत में पुलिस उसे घर से एक दिन पूर्व ही उठाई थी जो सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट है।
सभी एक ही ट्रस्ट के सदस्य, संपत्ति विवाद में गढ़ दी दुष्कर्म की कहानी
एक कहावत आपने सुनी होगी की अंगूर नहीं मिले तो अंगूर खट्टे हैं। दरअसल यह पूरा मामला संपत्ति विवाद से जुड़ा हुआ है जिसमें विरोधियों द्वारा एक गिरोह बनाकर झूठा मुकदमा में फंसाकर उसके सम्पत्ति को हड़पने की साजिश है। जानकारी के मुताबिक चंद्रभूषण सिंह कोई बाबा नहीं बल्कि एक व्यवसाई है। उसने समाजिक कल्याण के लिये एक निजी ट्रस्ट की स्थापना किया। चंद्रभूषण सिंह और एवं उसकी पत्नी मणि सिंह मुख्य ट्रस्टी है। ट्रस्ट के सदस्य में संजय कुमार सिंह, बबिता सिंह (जो कि संजय कुमार सिंह की ही पत्नी है) आंचल सिंह पुत्री राकेश कुमार सिंह पत्नी विकास कुमार (उपमंत्री) एंव अन्य सदस्यगण है।
चंद्रभूषण सिंह के बनाए ट्रस्ट की उपमंत्री आंचल सिंह ने ही चंद्रभूषण सिंह पर बलात्कार का आरोप लगाया है। मणि सिंह के अनुसार ट्रस्ट में सदस्यों द्वारा पैसे का गबन किया गया तथा गबन सम्बन्धित जानकारी मांगने पर और लीगल नोटिस देने पर संजय सिंह ने ट्रस्ट के सदस्यों को मिलाकर एक गिरोह बना लिया। मणि सिंह का आरोप है कि फिर ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा उनके पति को धमकाया गया कि यदि पैसे का हिसाब मांगोंगे तो तुम्हे झूठे बालात्कार महिला उत्पीड़न जैसे संगीन मुकदमों में फंसा देंगे। इसके सम्बन्ध में 21 फरवरी 2023 को चंद्रभूषण सिंह ने पुलिस कमिश्नर को एक प्रार्थना पत्र लिखकर सूचना दिया गया कि हमारे खिलाफ भविष्य में उक्त वर्णित ट्रस्ट के सदस्यों द्वारा बनाये गये गिरोह द्वारा झूठे आरोप लगाकर संगीन मुकदमे कराये जा सकते है। साथ ही समय-समय पर आलाधिकारियों को भी प्रार्थना पत्र दिया गया।
सभी दर्ज मुकदमों की कहानी एक जैसी
चंद्रभूषण सिंह व्यवसायिक सिलसिले में ज्यादातर समय बाहर रहते थे। जिस कारण ट्रस्ट के सदस्यों की नियत बिगड़ी और उन लोगों ने एक गिरोह बनाकर ट्रस्ट की सम्पत्ति को गबन करना शुरू किया। जब इस बात की भनक मुख्य ट्रस्टी लगी तो सारे गबनकर्ता एक गिरोह बनाकर व पुलिस को सह मे लेकर झूठा मुकदमा दाखिल कर दिया और अपने मंसूबे में कामयाब हो गये। मुकदमा दर्ज कराने के लिए महिलाओं को आगे किया गया और दुष्कर्म जैसे संगीन अपराध में फंसा दिया। पूर्व में भी ऐसे मुकदमे दर्ज हैं।
जिसका कथन एवं वर्तमान एफआईआर के कथन को देखा जाए तो यह स्वत: साबित हो जायेगा कि दोनों एफआईआर में सारे कथन/शब्द एक है सिर्फ नाम व पता अलग कर दिया गया है। चुकी विगत कुछ वर्षों में कुछ बाबाओं पर बलात्कार जैसे संगीन अपराध पर न्यायालय के आदेश आये है, यही वजह है की मुकदमे में चंद्रभूषण सिंह को बाबा शब्द से सम्बोन्धित किया गया है। जबकि चंद्रभूषण सिंह कोई बाबा नहीं बल्कि एक व्यवसाई है। हालांकि अब मामला न्यायालय में है। अब न्यायालय ही दूध का दूध और पानी का पानी करेगी।