रामनगर बंदरगाह तक बिछेगी 10 किमी लंबी रेल लाइन, जल परिवहन व DFC ने बनाया ब्लू प्रिंट
वाराणसी (रणभेरी सं.)। बंदरगाह को चंदौली के पीडीडीयूनगर स्थित डीएफसी और जिवनाथपुर रेलवे स्टेशन स्थित डीएफसी लाइन से जोड़ने की तैयारी है। चंदौली के पीडीडीयूनगर, मिर्जापुर और वाराणसी से होकर यह लाइन गुजरेगी। बंदरगाह के अंतर्गत टेंगरा, ताहिरपुर, हमीरपुर, पटनवा और मिजार्पुर के बरईपुर, गोरखपुर गांव भी शामिल है। हाइड्रोजन जलयान के सहारे जल परिवहन को धार देने में जुटा आईडब्ल्यूएआई का जुड़ाव जल्द ही डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसी) से होगा। जिवनाथपुर रेलवे स्टेशन से रामनगर बंदरगाह तक लगभग 10 किमी की रेलवे लाइन बिछेगी।
फ्रेट विलेज विकसित होने और हाइड्रोजन प्लांट स्थापित होने के बाद से यह सब कार्य पूरा होगा। पिछले दिनों जल परिवहन और डीएफसी अधिकारियों संग हुई बैठक में इसका खाका खींचा गया है। सागरमाला के एमडी दिलीप गुप्ता ने भी माल परिवहन को बढ़ावा देने और जलपोत की आवाजाही के लिए गंगा में पर्याप्त पानी होने आदि कई बिंदुओं पर जलमार्ग अधिकारियों संग मंथन किया है। रामनगर के राल्हपुर में 200 करोड़ की लागत से 2018 में मल्टीमॉडल टर्मिनल बनाया गया है।
हल्दिया-वाराणसी जलमार्ग-1 को बांग्लादेश तक जोड़ने की तैयारी भी है। इस बीच बंदरगाह पर कंटेनर से खाद्यान्न समेत अन्य माल का आयात-निर्यात भी कोलकाता और वाराणसी के बीच हुआ है। जल परिवहन को धार देने के लिए लगातार कई प्रयास भी किए जा रहे हैं।
औद्योगिक इकाइयों को मिलेगा लाभ
रामनगर औद्योगिक क्षेत्र फेज-एक और दो है। बबुरी के चंदाइत में भी पीपीपी मॉडल पर औद्योगिक पार्क बसाया जा रहा है। रामनगर एक बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है। ऐसे में रामनगर बंदरगाह, डीएफसी लाइन का जुड़ाव होने से इन औद्योगिक क्षेत्रों के उद्यमियों के कंटेनर समेत अन्य माल की आवाजाही आसान हो सकेगी। उद्योग इकाइयों को समय से कच्चा माल मिलने से उन्हें भी राहत होगी।
गंगा का जलस्तर बना हुआ है चिंता का सबब
2018 में बने रामनगर बंदरगाह से माल की आवाजाही उतना नहीं हो सकी है, जितना अपेक्षा की गई थी। जलमार्ग-1 के बीच जगह-जगह कम पानी और ड्रेजिंग न होने से जलपोत फंस जाते हैं। हाइड्रोजन जलयान को ही कोलकाता से काशी पहुंचने में 20 दिन से अधिक लगे।