काव्य-रचना

काव्य-रचना

  मैं बहुत गरीब आदमी हूं   

शासकीय रिकॉर्ड में मैं क्लीनचिट हूं 
दस्तावेजों में मेरे नाम कुछ भी नहीं है 
यह बंगला मेरे मौसेरे भाई के नाम है 
मैं बहुत गरीब आदमी हूं 

सच है मैं ऑफिस में हरे गुलाबी लेता हूं 
इस बहाने बहुत चकरे खिलाता हूं 
सच बोलता हूं यह सब ऊपर भेज देता हूं 
मैं बहुत गरीब आदमी हूं 

शासकीय रिकॉर्ड में थोड़ा माल रखा हूं 
प्लाट फ्लैट्स नगदी,रिश्तेदारों के नाम रखा हूं 
संकल्प पत्र में वचनी हूं मैं क्लीन हूं 
मैं बहुत गरीब आदमी हूं 

बाबू से प्रोमोशन बड़ा ऑफिसर बना हूं 
टेबल नीचे लेने का काम किया हूं 
सबूत के रूप में कुछ नहीं छोड़ा हूं क्लीन हूं 
मैं बहुत गरीब आदमी हूं 

घूसखोरी में दो बार पकड़ाया हूं 
निलंबित होकर वापस आया हूं 
लगातार हिस्सा ऊपर तक पहुंचाया हूं 
मैं बहुत गरीब आदमी हूं 

किशन सनमुखदास भावनानी