काव्य-रचना
जागो
जागो एक बार
अपनी अंतरात्मा की
आवाज़ के लिए।
जागो एक बार
अपने हृदय में पनपत्ति
अभिलाषाओं के लिए।
जागो एक बार
अपने अंतर्मन में छिपी
सत्यनिष्ठा के लिए।
जागो एक बार
अपनी स्वतंत्रता की
मर्यादा को
कायम रखने के लिए।
जागो एक बार
स्वयं के अंतर्मन में छिपी
अंतरात्मा को
जगाने के लिए ।
राजीव डोगरा