काव्य-रचना
ग़ज़ल
प्यार करते हो अगर तो ज़िन्दगी का साथ दो
गर ग़ज़ल से इश्क़ है तो शाइरी का साथ दो
आदमी ही आदमी के काम आता है कभी
राह से भटके हुए हर आदमी का साथ दो
ज़िन्दगी कैसे बचेगी गर नहीं पानी बचा
आदमीयत है अगर तो तुम नदी का साथ दो
लोग कुछ करते ख़सारा हैं चमन का आजकल
तुम चमन के बाग़बाँ ओ हर कली का साथ दो
लोग नंगा हो रहे फ़ैशन के चक्कर में यहाँ
छोड़कर फ़ैशन की दुनिया सादगी का साथ दो
गाड़ियाँ फर्राटे भरकर , ये उगलती ज़हर हैं
बैलगाड़ी और टमटम , पालकी का साथ दो
ज़िन्दगी में आए दिन क्यूँ पालते हो तुम तनाव
मुस्कुराओ , गीत गाओ और हँसी का साथ दो
दरमियाँ शिकवे-गिले हों गर , इसे अब भूल जा
प्यार से 'ऐनुल' मियाँ फिर दोस्ती का साथ दो
डाॅ.'ऐनुल' बरौली