काव्य-रचना
कौन होता है हमेशा के लिए?
टूट गया हूं
मैं नहीं बल्कि मेरा होना टूट गया है
हिम्मत को बचाने
कई लोग आए हैं
अब हौसले को छोड़े जा रहे हैं
उनके होने से उलझन भी हो रही है
अब उनके जाने से घबरा रहा हूं
तन्हाई पै दर पै तोड़ रही है
और भूक में मांग रही है मुझे
लोग चले गए हैं
अकेला हूं
कौन होता है हमेशा के लिए?
परवाज़ अहमद