काव्य रचना
कर्ज का कूटना
शब्द और संवेदना का संबंध
भूख और भाषा के बीच का रिश्ता है
आसमान में रेत का खेत है
बादल पर बालू का टीला
पत्थर पर समय अँखुआ रहा है
उजास के उगने के लिए
बीज के अनुकूल वातावरण की आवश्यकता है
पर बिजली का फूल फ़रिश्ता है
आदमी की आँखों में उम्मीद
एक नवजीवन है
धरती गरमी में ताप की प्यासी है
फावड़े से फूट रहा है अर्थ
और कुदाली से कला
चिड़ियों की चोंच या चूहे का दाँत
किसान का दुश्मन है
दाने न चाहते हुए खलिहान से मंडी जा रहे हैं
लूक गिर रहा है दिन में
तारों का टूटना
कष्ट में कर्ज का कूटना है!!
गोलेन्द्र पटेल