काव्य रचना
दिल में मेरा देश
संकल्प अपना एक है, दिल में मेरा देश है
विरक्त है हर चीज से ,हर चीज ही विरक्त है
कण-कण में रोष है,हर कण ही अभिषेक है
कर्म से कर्म योगी है देश का अस्त्र है
बम - बम बोलता काल का वह भक्त है
विचार से सहिष्णु है ,हाथ में ब्रह्मोस है
जन्म लिया धरा पर उसका ऋण शेष है
संकल्प अपना एक है दिल में मेरा देश है
विरक्त है हर चीज से ,हर चीज ही विरक्त है
कण-कण में रोष है,हर कण ही अभिषेक है
संकल्प अपना एक है ,दिल में मेरा देश है
देश का अभिमान ,स्वंय का स्वाभिमान है
रक्त सबका एक है ,हर काया अनेक है
न धर्म है न जाति है ,नेतृत्व संविधान है
रक्त की उन धमनियो में ,गूँजता राष्ट्रगान है
संकल्प अपना एक है, दिल में मेरा देश है
विरक्त है हर चीज से ,हर चीज ही विरक्त है
कण-कण में रोष है,हर कण ही अभिषेक है
संकल्प अपना एक है ,दिल में मेरा देश है
यही तो इक दर्पण है ,मिट्टी के लिये समर्पण है
जो क्षुदा शांत करे, उन किसान को अर्पण है
रक्षा का दायित्व है , हर शौर्य का स्वामित्व है
पराक्रमो की पीठिका पर,अशोक स्तम्भ छाप है
गान जिसका राष्ट्रगान , कफन तिरंगा शेष है
सकल्प अपना एक है ,दिल में मेरा देश है
विरक्त है हर चीज से ,हर चीज ही विरक्त है
कण-कण में रोष है,हर कण ही अभिषेक है
संकल्प अपना एक है ,दिल में मेरा देश है ।।
कृष्ण कुमार (क्रान्तिकारी)