काव्य रचना
शीर्षक-बारिश की पहली बूंद
आसमान के गर्भ से,
बादलो की गोद से।
ये रिम झिम रिम झिम गा रही।
देखो कैसे ये आ रही,
सुनो क्या कहती है ये बारिश की पहली बूंद।
बादलो की गड़गड़ाहट है,
बिजलियों की चमचमाहट है।
मौसम भी हसीन है,
नजारा कितना रंगीन है।
सूनो क्या कहती है ये बारिश की पहली बूंद |
लोग इंतेज़ार में बैठे है,
राह देख रहे मेरे आने की।
पेड़ पौधे सब झूम रहे,
सुन कर धुन मेरे गाने की।
सुनो क्या कहती है ये बारिश की पहली बूंद।
सीप में गिरू तो मोती बन जाऊँ,
जो गिरू पंक में उसके संग मिल जाऊँ ।
देखो मैं आई खुशहाली लाई,
ये धरती कैसे खिलखिलाई।
सुनो क्या कहती है ये बारिश की पहली बूंद ।
नदियां सब यूँ छलक उठी, पलके सबकी फलक उठी।
यूँ ना तू अपनी आँखें मूंद,
मैं हु बारिश की पहली बूंद
सुनो क्या कहती है ये बारिश की पहली बूंद
श्रेया सिंह(बी.ए प्रथम वर्ष)