काव्य रचना
....अधूरा प्यार....
तेरा मेरा एक होना नसीब नहीं,
तू साथ मेरे हर पल,
पर जाना करीब नहीं,
हां माना मैंने तुमसे बिछड़ना किस्मत में पहले से लिखा है,
पर यकीन मानो मैंने दूर रह के भी इश्क़ करना सीखा है,
तुमसे बिछड़ने की ये रश्म भी मैं निभाऊंगा,
पर ये प्यार मैं कभी नहीं भूल पाऊंगा,
तुम्हारा हाथ छूट जाएगा मुझसे,
पर साथ हमेशा निभाऊंगा,
हकीकत से दूर ख्वाबों में तुझ संग अपनी दुनिया बसाऊंगा,
कोई शिकवा नहीं होगा तेरे मेरे दरमिया,
बस प्यार की यादें बन तुझमें रह जाऊंगा,
तू कभी दूर से ही नजर आना,
छुप के ही सही पर मुस्कुराउंगा,
रिश्ता तेरा भी और मेरा भी जुड़ जाएगा किसी और से,
पर यकीन करना इश्क़ को तुम्हारे दिल से ना मिटाऊगा,
जब जिस्म से मेरी रूह आजाद होगा,
इश्क़ को तेरे खुशबू बन हवा में बिखेर जाऊंगा,
इस जन्म की अधूरी मोहब्बत पूरा करने,
मैं अगले जन्म फिर तुम्हारे पास आऊंगा।
- कुमार मंगलम