पीआईएल बनीं, पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन: सीजेआई
(रणभेरी): देश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा ने शनिवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में पीएम मोदी और सीजेआई के अलावा सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी उपस्थित थे। वही पीएम की उपस्थिति के दौरान ही उन्हदेश के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण ने देश के संविधान में लोकतंत्र के तीनों स्तंभों की शक्तियों के विभाजन का जिक्र करते हुए कहा इनके द्वारा कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान 'लक्ष्मण रेखा' का ध्यान रखने पर जोर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने अदालती फैसलों के पालन में बेरुखी पर असंतोष भी प्रकट किया।
इस मौके पर जस्टिस रमण ने कहा कि अदालतों के फैसलों के बावजूद सरकारों द्वारा जानबूझकर उनका पालन नहीं करना लोकतंत्र की सेहत के लिए अच्छा नहीं है। सीजेआई ने जनहित याचिकाओं (PIL) के दुरुपयोग पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह अब पब्लिक इंट्रेस्ट पिटीशन की बजाए 'पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन' बनकर रह गई हैं। पीआईएल का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया जाने लगा है।
पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा, 'मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम, ये संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोडमैप तैयार करेगा। भारत सरकार न्याय व्यवस्था में तकनीकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है। उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है। पीएम मोदी ने कहा कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का ये संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्रण है। हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका का संविधान संरक्षक की है वहीं विधान मंडल नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।