अंधविश्वास में एक की गई जान: पांच दिन तक घर में शव के साथ रहे परिवार के 11 लोग
(रणभेरी): प्रयागराज के कराच इलाके के दिहा गांव में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक परिवार अपनी 18 वर्षीय बेटी अंतिमा यादव के शव को लेकर पांच दिनों से घर के अंदर बंद था। जब दुर्गंध आने पर ग्रामीणों ने पुलिस को सूचना दी जिसके बाद घटना का पता चला। अंदर जाकर देखा तो घर के 11 अन्य सदस्य भी बीमार पड़ गए। इनमें से एक की हालत गंभीर थी। पूछताछ में पता चला कि कई दिनों से घर में खाना नहीं था और घरवालों ने सिर्फ गंगाजल थे।
जिसके बाद घटना का पता चला। अंदर जाकर देखा तो घर के 11 अन्य सदस्य भी बीमार पड़ गए। इनमें से एक की हालत गंभीर थी। पूछताछ में पता चला कि कई दिनों से घर में खाना नहीं था और घरवालों ने सिर्फ गंगाजल पिया. पुलिस ने सभी को अस्पताल भेज दिया है। जहां उसका इलाज जारी है। दीहा गांव के रहने वाले अभयराज यादव प्राइवेट नौकरी करते थे। संक्रमण के दौरान कोरो की नौकरी छूटने के बाद, वह घर पर रहने लगा। उनकी पांच बेटियां और तीन बेटे हैं। इन दिनों चार बेटियों की शादी हो चुकी है और एक को छोड़कर बाकी सभी की तीन बेटियां थीं।पुलिस ने सभी को अस्पताल भेजवाया है। जहां उनका इलाज जारी है। डीहा गांव निवासी अभयराज यादव प्राइवेट नौकरी करता था। कोरोना संक्रमण के दौरान नौकरी छूटने पर वह घर पर ही रहने लग। उसकी पांच बेटियां व तीन बेटे हैं। चार बेटियों की शादी हो चुकी है और एक को छोड़कर तीन बेटियां इन दिनों मायके में ही थीं।
घटना की जानकारी मिली तो सीओ करछना, एसपी यमुनापार के साथ ही एसडीएम व अन्य अफसर भी आ गए। उन्होंने जांच पड़ताल शुरू की तो पता चला कि अभयराज को छोड़कर परिवार के अन्य सभी सदस्य बीमार थे। लेकिन वह दवा कराने की बजाय झाड़-फूंक में लगे थे।अभयराज ने बताया कि वह विरोध करता तो बेटे व बेटियां उसे डांट-डपटकर चुप करा देते थे। बेटी अंतिमा की हालत बिगड़ने पर उसने एक बार फिर दवा कराने को कहा तो सभी ने उसे एक कमरे में बंद कर दिया। पांच दिन से वह कमरे में बंद था। मौके के जो हालात थे, उससे यही लगता है कि परिवार अंधविश्वास के फेर में था। फिलहाल शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजकर अन्य परिजनों को अस्पताल भेजा गया है।