चित्रकूट के घाट-घाट पर शबरी देखे बाट, राम मेरे आ जाओ...

चित्रकूट के घाट-घाट पर शबरी देखे बाट, राम मेरे आ जाओ...

 पशु-पक्षियों, पर्वत श्रृंखलाओं से पूछा पता, जटायु ने बताया रावण ले गया, शबरी ने प्रेम से खिलाए बेर

वाराणसी (रणभेरी सं.)। मयार्दा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जब लक्ष्मण के साथ अपनी कुटिया में वापस लौटे वहां सीता को न पाकर वह विलाप करने लगे। जिस पर लक्ष्मण ने उनको समझाया वे सभी पशु पक्षियों और लता तरुणों से सीता के बारे में पूछने लगे। वह उनको खोजते हुए घायल गिद्धराज जटायु के पास पहुंचे। उसके सिर पर अपना हाथ फेर कर उसकी पीड़ा दूर की। जटायु ने उनको बताया कि लंका का राजा रावण सीता का अपहरण करके उन्हें दक्षिण दिशा की ओर ले गया है। उसी ने उनकी यह दशा की है। वह राम से अविरल भक्ति मांग कर सुरधाम चला गया। इसके बाद उन्होंने अपने हाथों से उसकी अंत्येष्टि की सीता को खोजते हुए वह शबरी के यहां पहुंचे। जहां वह वर्षों से उनके आने की प्रतीक्षा कर रही थी। उसने अपनी कुटिया में बैठाकर उन्हें जूठे बेर खिलाए। जब उन्होंने सीता के बारे में पूछा तो उसने पंपासर पर्वत पर जाने के लिए रास्ता बताया। उसके बाद वह हरिपद में लिन हो योगाग्नि में जलकर परलोक चली गई। दोनों भाई पंपासर सरोवर पहुंचकर वहां स्नान करने के बाद शीतल छाया में बैठे। यह देखकर देवता उनकी जय जयकार करने लगे। उसी समय वहां नारद जी पहुंचे और राम से भक्तों के हृदय में सदा बसने का वर मांगा। तो उन्होंने ने उन्हें यह वर दिया। दोनों भाई चलते-चलते श्रृष्यमूक पर्वत के पास पहुंचे। वहां उनको आते देख सुग्रीव ने उनके बारे में पता करने के लिए हनुमान को भेजा। जो ब्राह्मण का भेष बनाकर उनके पास पहुंचे। सुग्रीव ने यह पता लगाने के लिए हनुमान को भेजा था कि कहीं बाली ने तो उनको नहीं भेजा है। उनके बारे में सुनकर हनुमान अपने असली रूप में आकर उनके चरण पकड़ लिए। राम उनको अपने हृदय से लगा लिया। हनुमान ने दोनों भाइयों को लेकर सुग्रीव के पास पहुंचे और उनका परिचय कराया। जिस पर सुग्रीव ने सीता के बारे में उन्हें बताते हुए कहा कि आकाश मार्ग से जाते समय उनके द्वारा फेंका गया वस्त्र और आभूषण उन्हें सौंप दिया। जिसे देखकर श्रीराम विलाप करने लगे। सुग्रीव से मित्रता होने के बाद जब श्रीराम ने उनसे वन में रहने का कारण पूछा तब सुग्रीव ने आप बीती सुनाई तो उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि वह बाली को एक ही बाण से मारेंगे। उनकी यह बात सुनकर सुग्रीव को सदेह हुआ तो उसने अपना संदेह दूर करने के लिए उनसे कहा कि आप एक ही बाण से सात ताडों के वृक्ष को गिरा दीजिए। 

शबरी ने प्रभु को नीमच से आये बैर खिलाये

रामनगर की रामलीला में शबरी ने गुरुवार को प्रभु श्रीराम को जो बैर खिलाये, वो नीमच मध्यप्रदेश से लाये गए थे। लगभग पांच दशक से यह बैर बनारस के एक प्रतिष्ठित मिष्ठान विक्रेता प्रतिष्ठान रामलीला में उपलब्ध कराता आया है। इस बार परिवार के विजय सारस्वत बैर लेकर रामलीला में पहुंचे, जिसे शबरी ने प्रभु श्रीराम को खिलाया। विजय सारस्वत ने बताया कि पिछली बार किन्ही वजहों से यह खैर नहीं आ पाया था। इस बार नीमच में अपने सम्पकों के जरिये वैर मंगा लिया गया था। जिसे लेकर वे गुरुवार को लीला स्थल पहुंचे। उन्होंने बताया कि कभी परिवार के लोग खुद जा कर बैर लाते हैं तो कभी वहां स्थित सम्पों के जरिये बैर मंगा लिया जाता है। उन्होंने बताया। कि पिछली पांच पीड़ियों से प्रभु की सेवा में यह कार्य किया जा रहा है। इस समय इधर बैर का सीजन नहीं होता, इसलिए नीमच से आया यह बैर अपने आप में खास हो जाता है। चूंकि रामनगर की रामलीला में मंचित किये जाने वाले हर प्रसंग में जिस चीज का जिक्र होता है, उसे प्रतीकात्मक ही सही वास्तविक रूप में प्रयोग में लाया जाता है। नीमच का वैर भी इसी तथ्य को प्रमाणित करता है।

सीवर के पानी से होकर गुजरे लीला प्रेमी

नगर निगम लीला स्थलों और उनकी तरफ जाने वाले रास्तों के दुरुस्त होने के दावे लगभग हर रोज कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और है। पंचवटी और लंका जैसे लीला स्थलों की ओर जाने वाली सड़क पर सीवर का पानी जमा है। कोढ़ में खाज यह कि गुरुवार की भोर में हुई बरसात के चलते जलजमाव और बढ़ गया था।