MP निकाय परिणाम ने बड़ाई गुजरात में भाजपा की टेंशन

MP निकाय परिणाम ने बड़ाई गुजरात में भाजपा की टेंशन

(रणभेरी): मध्य प्रदेश जैसे बीजेपी के मॉडल स्टेट में भी आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी की एंट्री ने पार्टी की चिंता बढ़ा दी है।दरअसल, पार्टी की यह परेशानी गुजरात चुनाव को लेकर है। गुजरात के निकाय चुनाव में आप और AIMIM खाता खोल चुकी हैं और इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। क्योंकि गुजरात में भाजपा को अब कांग्रेस के साथ इन दोनों दलों से चुनौती मिलेगी। अब साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों को लेकर भी दोनों दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।

पिछले साल गुजरात में नगर निगम चुनाव हुए थे, आम आदमी पार्टी और ओवैसी की पार्टी इन चुनावों में मैदान में उतरी थी। भाजपा ने चुनावों में विकास के नाम पर वोट मांगे थे और पार्टी ने जबरदस्त तरीके से जीत हासिल की थी। लेकिन इसी बीच आप और एआईएमआईएम ने इन चुनावों के जरिए गुजरात में एंट्री कर ली थी। इस तरह राज्य में भाजपा के लिए मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा अब ये प्रमुख दो दल नई चुनौती बनकर उभर रहे हैं।

गुजरात में पिछले साल हुए नगरीय निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी ने सूरत नगर निगम की 27 सीटों पर कब्जा जमाया था। इसके बाद पार्टी ने तालुका और जिला पंचायत चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया। आप ने मेहसाणा जिले में और प्रधानमंत्री मोदी के गृहनगर वडनगर तालुका में भी पंचायत सीटें जीतकर भाजपा को चौंका दिया था। अमरेली जिले में भी आप की एंट्री भाजपा के लिए चौंकाने वाली थी। क्योंकि धारी तालुका पंचायत की भांडेर सीट आप के उम्मीदवार ने जीती थी। यह सीट भाजपा की सबसे सुरक्षित सीटों में मानी जाती है। इसके अलावा आप ने कच्छ के गांधीधाम तालुका पंचायत, जूनागढ़ तालुका पंचायत की जामका सीट जेसोर तालुका पंचायत में दो सीटें और बनासकांठा के दिसाना के वार्ड नंबर तीन में भी एक सीट पर जीत हासिल की है।


इधर, ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के प्रदर्शन की बात करें, तो पार्टी ने अहमदाबाद जैसी अहम नगर पालिका में कुल 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था। हालांकि पार्टी को जमालपुर और मक्तमपुरा वार्ड की सात सीटें ही मिल पाई थीं। इसके अलावा मोडासा और गोधरा नगर पालिकाओं में कुल 20 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया था। इनमें से 16 सीटों पर जीत हासिल की थी।

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि गुजरात के स्थानीय निकाय चुनावों में प्रवेश के बाद केजरीवाल और ओवैसी की पार्टी का मनोबल बढ़ा है। भले ही उन्होंने बहुत कम सीटें जीती हों। लेकिन यह साफ कर दिया है कि भाजपा के गढ़ गुजरात में भी भाजपा को चुनौती दी जा सकती है। इसलिए दोनों ही दल गुजरात में कड़ी मेहनत कर रहे हैं। वहीं, आप पार्टी गुजरात सरकार को हरेक छोटे से छोटे मुद्दे पर भी घेरते हुए नजर आ रही है।