महाश्मशान मणिकर्णिका पर हजारों शवों को ‘तारक मंत्र’ की प्रतिक्षा
वाराणसी (रणभेरी)। काशी के महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर मोक्ष की कामना लेकर अंतिम संस्कार करने आए लोगों को कठिन तपस्या करनी पड़ रही है। 48 घंटे में करीब 700 शव यहां पहुंचे। शुक्रवार को 47.8 डिग्री तापमान रहा, तो परिजन कतार में लगे रहे। श्री काशी विश्वनाथ धाम के गंगाद्वार की सीढ़ियों पर शवों को रखकर अपनी बारी आने का घंटों इंतजार करते रहे। यहां मुखाग्नि के लिए आए परिजन सुबह 10 बजे से कतार में लगे तो शाम को पांच बज गए। साथ आए लोग कुछ देर रुके फिर हालात देखकर सहानुभूति जताई और चले गए। घाट की दुकानों पर अंतिम संस्कार की सामग्री भी खत्म हो गई। लकड़ी कारोबारियों ने दाम बढ़ा दिए और तीन-चार गुना कीमत पर लकड़ी देने लगे। पांच हजार में मिलने वाली लकड़ी 15 हजार में खरीदनी पड़ी। बेबस परिजनों ने कड़ी धूप में खुले आसमान के नीचे शव लेकर धाम की सीढ़ियों पर रख दिए और 47.8 डिग्री तापमान पर घंटों अपनी बारी आने का इंतजार करते रहे।
लकड़ी के दाम 5000 से बढ़कर 15 हजार हुए
मणिकर्णिका घाट पर शुक्रवार को शवदाह बढ़ने के बाद लकड़ियां और पूजन सामग्री की किल्लत हो गई है। कई टाल पर लकड़ी व्यापारियों की पूरी लकड़ी ही खत्म हो गई, वहीं अंतिम संस्कार की सामग्री भी कम हो गई। जिन व्यापारियों के पास लकड़ी बची उन्होंने उसके दाम बढ़ा दिए। 400-500 रुपए मन मिलने वाली लकड़ी 1200-1500 मन मिलने लगी। कोई फुटकर तो कोई सात कुंतल का सीधे 15 हजार की देने लगा। हालांकि बाहर से आए हुए लोगों ने पहले अपनी बारी का इंतजार किया फिर घाट पर मनमाने कीमत पर लकड़ी खरीदकर अंतिम संस्कार किया।
लकड़ियों की किल्लत, एक चिता पर दो शव जलाने को भी लोग तैयार
घाट पर परिजनों या रिश्तेदार का शव लेकर आए लोग लकड़ियां ही नहीं मिलने से परेशान दिखे। अपनी दादी का शव लेकर आए मंजीत सिंह ने कहा कि घंटों से शव दूर पड़ा है और हम अपने नंबर का इंतजार कर रहे हैं। लकड़ी नहीं मिल रही है, कोई व्यवस्था नहीं है। जो मिल रही है वो 1200 रुपए मन की कीमत ले रहे हैं। उधर, भीड़ से परेशान परिजन एक चिता पर दो शव रखकर जलाने के लिए भी तैयार हो गए। दरअसल, लकड़ी न मिलने से लोगों के पास कोई दूसरा विकल्प भी नहीं था। वहीं, जब लकड़ियां मिलने में दिक्कत आई तो कुछ परिजन दूसरे घाट पर शव लेकर चले गए। मणिकर्णिका से दूसरे घाट लौटाए शव, शुक्रवार को 300 से ज्यादा शव पहुंचे मशाननाथ सेवा समिति के संजय गुप्ता ने बताया कि भीड़ बढ़ने के कारण घाट पर अव्यवस्था हो गई। पहली बार ऐसा हुआ है कि मणिकर्णिका घाट से शव लौटाए गए, हमने कई शव मोक्षद्वार से हरिश्चंद्र घाट के लिए रवाना कर दिए। महाश्मशाननाथ सेवा समिति के महामंत्री बिहारी लाल गुप्ता की माने तो शव बढ़ने के कारण दो दिनों में शवदाह के लिए भीड़ का दबाव बढ़ गया है, बीती रात तो भीड़ अप्रत्याशित हो गई। घाट के त्रिलोक नाथ भैरव ने बताया कि आम दिनों में शवों की संख्या 100 से 150 होती है लेकिन शुक्रवार को रात तक 300 से अधिक शव घाट पहुंचे। आम दिनों की अपेक्षा पांच गुना अधिक संख्या बढ़ गई है। तापमान बढ़ने के कारण आसपास के जिलों में भी मरने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। डोम राजा ओम चौधरी ने बताया कि कोरोना काल के बाद यह पहला मौका है जब अचानक शवदाह करने वालों की भीड़ इतनी ज्यादा बढ़ी है।