...तो क्या वीडीए के रिकॉर्ड में कलंकित माना जाएगा पुलकित गर्ग का कार्यकाल ?

...तो क्या वीडीए के रिकॉर्ड में कलंकित माना जाएगा पुलकित गर्ग का कार्यकाल ?
  • पुलकित गर्ग के भ्रष्ट नेतृत्व में पूरा विभाग हो गया भ्रष्टाचार का शिरोमणि
  • योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति का वीडिए कर्मियों ने कर दिया गैंगरेप
  • सभी वर्ग के वीडीए कर्मियों की संपत्ति में हुआ बेतहाशा इजाफा
  • यदि ईमानदार है सूबे की सरकार तो होनी चाहिए सभी के संपत्ति की जांच
  • पुलकित गर्ग ने कर दिया सीएम योगी की मर्यादा का मर्दन 

 अजीत सिंह

वाराणसी (रणभेरी सं.)। धर्म और मोक्ष की नगरी काशी...वह शहर जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताओं में शुमार है, आज एक गहरे काले दाग से धुंधला नजर आ रहा है। यह धब्बा है वाराणसी विकास प्राधिकरण पर, जो भ्रष्टाचार, घोटालों और प्रशासनिक अनियमितताओं का गढ़ बन चुका है। वीसी पुलकित गर्ग के कार्यकाल में यह प्राधिकरण कानून को ताक पर रखकर अवैध निर्माणों को संरक्षण देने और घोटालों के मामले में बदनाम हो गया है। शहर की चमक-दमक को बढ़ाने वाली योजनाओं के पीछे जिस संस्थान की भूमिका होनी चाहिए थी, वही संस्थान आज जनता की आशाओं पर पानी फेर रहा है। अवैध निर्माणों पर रोक लगाने की जगह वे न केवल संरक्षण पा रहे हैं, बल्कि वीसी और उनके अधीनस्थों के कथित संरक्षण में तेजी से बढ़ रहे हैं। विभाग के कई कर्मचारी...चपरासी से लेकर जेई और जोनल अधिकारी तक, अपने कर्तव्य की मर्यादा भूलकर भ्रष्ट आचरण में लिप्त हो चुके हैं। भ्रष्टाचार की ऐसी चपेट में यह विभाग है कि नियम-कानून की कोई अहमियत नहीं रह गई। स्थानीय जनता में भारी आक्रोश है, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इतने बड़े घोटाले के बावजूद प्रशासन और सरकार ने अब तक सख्त कदम क्यों नहीं उठाए ? क्या वाराणसी विकास प्राधिकरण की जमीनों और संपत्तियों की इस बेशर्मी भरी बिक्री को भी संरक्षण मिल रहा है ? और क्या ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होगी जो शहर के विकास के नाम पर उसे पतन के गर्त में धकेल रहे हैं ?
वाराणसी के लोग चाहते हैं कि भ्रष्टाचार और कदाचार की इस दीवार को तोड़ा जाए। वे चाहते हैं कि प्राधिकरण का चेहरा बदले और वह फिर से अपनी जिम्मेदारी के अनुसार शहर के बहुमुखी विकास के लिए काम करे। लेकिन फिलहाल तो वाराणसी विकास प्राधिकरण भ्रष्टाचार और बेईमानी के लिए एक डरावना चेहरा बन चुका है, जो पूरे शहर के विकास को चौपट कर रहा है। वीडीए वीसी पुलकित गर्ग का कार्यकाल वाराणसी की उस चमकती उम्मीद पर गहरा तमाचा है, जो कभी यहां के हर नागरिक के दिल में बसती थी। आज वही उम्मीदें भ्रष्टाचार के साए तले दबती जा रही हैं, और यह सवाल हर किसी के जेहन में है...कब आएगा वह दिन जब वाराणसी विकास प्राधिकरण फिर से अपने उद्देश्य के अनुरूप काम करेगा ?

वीसी पुलकित गर्ग ने कर दिया सीएम योगी की मर्यादा का मर्दन

वीडीए वीसी पुलकित गर्ग का कार्यकाल उस कारनामों से जाना जाएगा जिसने न सिर्फ शहर को बर्बादी के गर्त में धकेला बल्कि अपने कार्यकाल में सीएम योगी के मर्यादा का मर्दन भी किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति को ठेंगा दिखाते हुए वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग के इस कार्यकाल के दौरान कई गंभीर आरोप लगे। शहर में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माण, गंगा किनारे ऊँची इमारतों की जमावट, और दलालों की बेशर्म दखलअंदाजी ने साबित कर दिया है कि पुलकित गर्ग ने न सिर्फ अपनी ज़िम्मेदारी से किनारा किया, बल्कि सत्ता के दलालों और पूंजी के गठजोड़ में अपनी ईमानदारी भी गिरवी रख दी। यही वजह है कि हाईकोर्ट और शासन के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद वाराणसी में एक भी प्रभावी कार्रवाई वीसी के नेतृत्व में नहीं हो सकी। बल्कि उल्टा यह देखा गया कि जिन निर्माणों को गिराया जाना चाहिए था, वहां सिर्फ औपचारिकता भरी नौटंकी कर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। पुलकित गर्ग के इस रवैए ने सीएम योगी के उस दृढ़ संकल्प को कलंकित किया है, जिसमें उन्होंने वाराणसी को भ्रष्टाचार-मुक्त, पारदर्शी और सांस्कृतिक धरोहर के अनुरूप विकसित करने का सपना दिखाया था। लेकिन हकीकत यह है कि वीडीए अब घोटालों, लूट और सांठगांठ का अड्डा बन चुका है। धन्नासेठों एवं भू माफियाओं के आगे नतमस्तक पुलकित गर्ग ने न सिर्फ मुख्यमंत्री की छवि को आघात पहुंचाया है, बल्कि आम जनता के विश्वास को भी तार-तार कर दिया है। सवाल यह है कि क्या मुख्यमंत्री अब ऐसे अफसर पर सख्त कार्रवाई करेंगे या भ्रष्टाचारियों का यह तंत्र और मजबूत होगा ?

वीसी के भ्रष्ट नेतृत्व में चपरासी, बाबू, जेई, जोनल सब हुए बेलगाम

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के वर्तमान वीसी पुलकित गर्ग के कार्यकाल में पूरे विभाग पर भ्रष्टाचार की ऐसी काली परत चढ़ गई है, जिसने जनहित और कानून की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। पुलकित गर्ग के नेतृत्व में न केवल उच्च अधिकारी, बल्कि चपरासी से लेकर बाबू, जूनियर इंजीनियर और जोनल अधिकारी तक बेलगाम हो चुके हैं। भ्रष्टाचार इस हद तक बढ़ चुका है कि अब फर्जी नक्शा पास कराना, बिना अनुमति निर्माण करवाना और अवैध भवनों पर आंख मूंद लेना विभाग की आम प्रक्रिया बन गई है। आम नागरिकों को नियम-कानून का भय दिखाया जाता है, जबकि धनाढ्य बिल्डरों और रसूखदारों को वीसी की छत्रछाया में खुली छूट मिलती है।
जोनल अधिकारियों की मिलीभगत से वाराणसी में गंगा किनारे, हेरिटेज जोन और संकरी गलियों तक में बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। वहीं जेई और बाबुओं का खेल इस कदर तेज है कि हर कागज़, हर फाइल की कीमत तय है। सूत्रों के अनुसार, खुद वीसी पुलकित गर्ग की जानकारी में होने के बावजूद भ्रष्टाचार पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाती। साफ संकेत है कि यह सारा खेल ऊपर से ही संचालित है। जनता अब सवाल पूछ रही है... क्या योगी सरकार का जीरो टॉलरेंस सिर्फ चुनावी नारों तक सीमित है ?

जीरो टॉलरेंस नीति का वीडीए कर्मियों ने किया गैंगरेप !

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति भ्रष्टाचार और अपराध के प्रति एक सख्त संदेश मानी जाती है। लेकिन वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के बेलगाम और भ्रष्ट कर्मियों ने इस नीति की न सिर्फ धज्जियां उड़ाई हैं, बल्कि इसके साथ सामूहिक बलात्कार जैसा कुकृत्य कर डाला है। जनता की जमीन, गंगा किनारे की जमीन, अस्पताल की जमीन, किसान का जमीन, हर वो हिस्सा जहां कानून का पहरा होना चाहिए था, वहां वीडीए के अफसरों और बाबुओं ने पैसों की चकाचौंध में नियम-कानून का शव बना दिया। चाहे फर्जी नक्शा पास कराना हो, अवैध निर्माण को संरक्षण देना हो या फिर हाईकोर्ट के आदेशों की अवहेलना...वीडीए के ज़ोनल अफसरों, जेई, बाबुओं और दलालों की गठजोड़ ने जीरो टॉलरेंस नीति को नंगा कर दिया।

वीसी पुलकित गर्ग की चुप्पी और मिलीभगत ने साबित कर दिया कि जब ऊपर से ही नैतिक पतन हो, तो नीचे का तंत्र बेलगाम हो ही जाता है। चपरासी से लेकर ज़ोनल अफसर तक सबने इस नीति की आबरू तार-तार कर दी है। अब जनता पूछ रही है... क्या मुख्यमंत्री की आंखों में धूल झोंकी जा रही है ? क्या योगी की सख्त छवि पर यही अधिकारी कालिख पोत रहे हैं ? अब वक्त है जब जिम्मेदारियों से भागने के बजाय, कार्रवाई का बुलडोज़र चले...बिना पक्षपात, बिना कोई संरक्षण।

आय से अधिक संपति के बादशाह बन गए हैं सभी वीडीएकर्मी, अगर सरकार है ईमानदार तो करा लें जांच

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) इन दिनों भ्रष्टाचार और बेलगाम अफसरशाही का पर्याय बन गया है। ऐसा कोई विभागीय कर्मी नहीं बचा, जिसकी संपत्ति में बीते कुछ वर्षों में बेतहाशा वृद्धि न हुई हो। चाहे वो चपरासी हो, बाबू, जेई, एई, जोनल अधिकारी या खुद वीसी। सभी ने सिस्टम की लाचारी और जनता की मजबूरी, धन्नासेठों के रसूख का फायदा उठाते हुए बेहिसाब काली कमाई की है। सूत्रों के मुताबिक, कई बाबुओं ने वाराणसी और आसपास के इलाकों में एक नहीं, बल्कि दो-दो मकान, प्लॉट और फ्लैट खरीद डाले हैं। वहीं कई जेई और जोनल अधिकारियों की पत्नियों और रिश्तेदारों के नाम से कारोबार, प्लॉट और लक्ज़री गाड़ियां हैं। यह संपत्तियां उनकी सरकारी आय से मेल नहीं खाती। विडंबना यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद वीडीए में भ्रष्टाचार बेलगाम हो गया है। यदि सरकार सच में ईमानदार है और पारदर्शिता की पक्षधर है, तो सबसे पहले वीडीए के सभी वर्गों के कर्मचारियों की संपत्ति की जांच करानी चाहिए। ईडी, सतर्कता विभाग और लोकायुक्त की त्वरित जांच ही यह उजागर कर सकती है कि किसने कितनी लूट की है। जनता अब सवाल पूछ रही है... क्या भ्रष्टाचारियों को खुली छूट देकर ही चलेगा विकास ? या फिर वीडीए को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए सरकार कोई ठोस कदम उठाएगी ? समय आ गया है कि हर ज़िम्मेदार अफसर की संपत्ति की जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, वरना सीएम के सारे नारे और दावे खोखले साबित हो जाएंगे।

पार्ट-50 

पुलकित गर्ग ने कैसे कराया सरकारी राजस्व को लगभग 500 करोड़ का नुकसान !
जानने के लिए पढ़ते रहिए  "गूंज उठी रणभेरी"