जीवन के लिए अमृत है भगवान जगन्नाथ का काढा प्रसाद

वाराणसी (रणभेरी सं.)। भारतीय सनातन संस्कृति का मूल आधार श्रद्धा और विश्वास ही है। श्रद्धा और विश्वास के बल पर ही भारी से भारी संकट मनुष्य का दूर हो जाता है। कुछ इस तरह दृश्य इन दोनों असि स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में देखने को मिल रहा है। कहने को तो भगवान जगन्नाथ बीमार है और आराम कर रहे हैं लेकिन उनके बीमारी को दूर करने के लिए चढ़ाया जा रहे काढा रूपी प्रसाद उनके भक्तों का भी रोग दूर कर रहा है। कच्ची चीनी, छोटी इलायची, बड़ी इलायची, जायफर, दालचीनी, तुलसी का पत्ता, गुलाब जल एवं चंदन के च अर्क से बना काढा अमृत से बढ़कर है। प्रसाद को लेने के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ रही है। मंदिर में आने वाले लोगों का कहना है कि यह हमारे लिए काढा नहीं है यह हमारे दुख को दूर करने वाला जीवन का अमृत है। औषधि मसाले से बने इस काढे को प्रसाद के रूप में पीकर शरीर के रोग जहां दूर हो रहे दूर होते हैं वही शरीर के रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ रहा है। पिछले कई वर्षों से मंदिर से काढा ले जा रही एक महिला भक्त साधना यादव ने बताया कि उनको कई सालों से पेट में गैस कब्ज आदि बीमारियां थी, दवा खाते थे ठीक हो जाता था फिर शुरू हो जाता था लेकिन जब से भगवान जगन्नाथ का प्रसाद का मिला पेट के सभी रोग दूर हो गए। कुछ ऐसे ही बातें रेनू मिश्रा, दीप्ति त्रिपाठी पंकज मिश्रा, अनुराधा सिंह आदि महिलाओं ने भी व्यक्त करते हुए कहा कि भगवान का यह प्रसाद काढा उनके जीवन के लिए अमृत की तरह है इसको पीने के बाद जहां शरीर में एक नई ऊर्जा का संचार होता है वही पेट के रोग भी दूर हो गए। आज दूसरे दिन गुरुवार को ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के सचिव शैलेश त्रिपाठी के संयोजन में मंदिर के प्रधान पुजारी राधेश्याम पांडे ने काढा बनाया और भगवान को भोग लगाकर भक्तों में इसका वितरण किया। समाजसेवी रामयश मिश्रा ने कहा कि यह भगवान जगन्नाथ की अद्भुत लीला है कहने को बीमार है लेकिन अपनी बीमारी में भी हो अपने भक्तों का ही भला कर रहे हैं । 15 दिनों तक जो काढे का भोग मंदिर में लगेगा वह भक्तों में वितरण होता है और इस काढे को पीकर मानव के शरीर के बहुत से रोग दूर होते हैं। सबसे खास बातें है कि प्रसाद लेने के लिए आम से लेकर खास तक, गरीब से लेकर अमीर तक आते हैं और श्रद्धा विश्वास से प्रसाद को ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि जिसका कोई नहीं है उसका भगवान जगन्नाथ है और इस कढे को पीकर सर्दी खांसी बुखार तो दूर ही हो जाता है।