कभी कांग्रेस का गढ़ रही वाराणसी सीट पर डेढ़ दशक से भगवा परचम

कभी कांग्रेस का गढ़ रही वाराणसी सीट पर डेढ़ दशक से भगवा परचम

वाराणसी(रणभेरी)। लोकसभा चुनाव 2024 की सबसे हॉट सीट वाराणसी संसदीय सीट से पीएम मोदी तीसरी बार चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। वाराणसी सीट के सियासी इतिहास पर नजर डाले तो कभी कांग्रेस का गढ़ रही ह्यवाराणसी सीटह्ण लंबे समय ये भाजपा के पास है। देखा जाये तो यहां सभी राजनीतिक दलों को जनाधार मिला। इतिहास में भाकपा के खाते में भी यह सीट जाती रही। पिछले एक दशक से नरेन्द्र मोदी इस सीट से चुनाव जीतकर देश का प्रतिनिधित्व कर रहे है, वहीं भाजपा ने तीसरी बार नरेन्द्र मोदी को चुनावी मैदान में उतरा है। वैसे इस बार वाराणसी में जीत का सेहरा किसके सिर सजेगा, यह 4 जून को तय होगा।

साल 1957 के चुनाव में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई

साल 1957 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट अस्तित्व में आई। 1951-52 में जब पहले आम चुनाव हुए थे तब वाराणसी जिले में बनारस पूर्व, बनारस पश्चिम और बनारस मध्य नाम से तीन लोकसभा सीटें थीं। 1957 में वाराणसी सीट अस्तित्व में आई। यहां हुए पहले आम चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली। कांग्रेस की तरफ से उतरे रघुनाथ सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार शिवमंगल राम को 71,926 वोट से शिकस्त दी थी। 1962 के चुनाव में भी कांग्रेस के रघुनाथ सिंह फिर से जीतने में सफल रहे। उन्होंने इस बार जनसंघ उम्मीदवार रघुवीर को 45,907 वोटों से हराया। 

1967 में गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को मिली जीत

1967 का लोकसभा चुनाव वो पहला लोकसभा चुनाव था जब वाराणसी सीट पर गैर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली। उस चुनाव में यहां से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की। भाकपा उम्मीदवार एसएन सिंह ने कांग्रेस के आर. सिंह को 18,167 मतों से हरा दिया। हालांकि, 1971 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर जीत दर्ज की। पार्टी की तरफ से उतरे जाने-माने शिक्षाविद राजा राम शास्त्री ने यहां पार्टी को जीत दिलाई। शास्त्री ने भारतीय जनसंघ के कमला प्रसाद सिंह को 52,941 वोट से हराया। 

जनता लहर में कांग्रेस बुरी तरह हारी

1971 के चुनाव के बाद और अगले चुनाव से पहले देश ने आपातकाल का दौर देखा। आपातकाल खत्म हुआ तो 1977 में फिर से चुनाव हुए। जनता लहर में कांग्रेस बुरी तरह हारी। वाराणसी सीट भी पार्टी ने गंवा दी। यहां कांग्रेस के राजा राम को भारतीय लोक दल के चंद्रशेखर ने 1,71,854 वोट से करारी हार झेलनी पड़ी। 

1980 में फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर वापसी की

1980 के लोकसभा चुनाव एक बार फिर कांग्रेस ने वाराणसी सीट पर वापसी की। यहां कांग्रेस की तरफ से उतरे उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने पार्टी को जीत दिलाई। उन्होंने जनता पार्टी (सेक्युलर) के प्रत्याशी राज नारायण के खिलाफ 24,735 मतों से जीत दर्ज की। 1984 में भी कांग्रेस इस सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही। इस चुनाव में पार्टी के श्याम लाल यादव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी प्रत्याशी ऊदल के मुकाबले 94,430 वोटों से जीते। 1989 के लोकसभा चुनाव भी कांग्रेस के हाथ से यह सीट निकल गई। इस बार जनता दल के अनिल शास्त्री ने कांग्रेस उम्मीदवार श्याम लाल यादव को 1,71,603 वोटों से हरा दिया। 

साल 1991 के चुनाव में पहली बार भाजपा को जीत 

साल 1991 के लोकसभा चुनाव में पहली बार वाराणसी सीट पर भाजपा को जीत मिली। भाजपा के शीश चंद्र दीक्षित ने माकपा के राजकिशोर को 40,439 मतों से शिकस्त दी। तब से यह सीट भाजपा का गढ़ रही है। 1991 के बाद 1996 में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत दर्ज की। जायसवाल ने माकपा के राजकिशोर को 1,00,692 वोटों से हराया। 1998 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने लगातार दूसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की। जायसवाल के खिलाफ माकपा से उतरे दीनानाथ सिंह यादव को 1,51,946 वोटों से करारी हार मिली। 1999 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई। उन्होंने इस बार कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा को 52,859 मतों से हराया। 

राजेश कुमार मिश्रा ने कराई कांग्रेस की वापसी 

2004 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट पर 15 साल बाद कांग्रेस ने वापसी की। राजेश कुमार मिश्रा ने अबकी बार यहां जीत दर्ज की और भाजपा के शंकर प्रसाद जायसवाल को जीत के सिलसिले को भी थाम दिया। राजेश मिश्रा यह चुनाव 57,440 मतों से जीते। 

मुरली मनोहर जोशी ने मुख्तार अंसारी को हराया

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी सीट एक बार फिर से देश की वीवीआईपी सीटों में शामिल हो गई। उस चुनाव में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी यहां से मैदान में थे। उनके मुकाबले बसपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी को उतार दिया था। जब नतीजे आए तो करीबी मुकाबले में जोशी जीत दर्ज करने में सफल रहे। भाजपा इस चुनाव में 17,211 वोटों से जीत गई। 

एक दशक से भगवा कायम

अब बारी थी 2014 के लोकसभा चुनाव की। चुनावों से पहले ही गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी को भाजपा ने प्रधानमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया।  जब चुनाव लड़ने की बारी आई तो नरेंद्र मोदी ने वडोदरा के साथ-साथ वाराणसी सीट से भी नामांकन किया। उधर मोदी के खिलाफ आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल तो कांग्रेस से अजय राय मैदान में थे। उस चुनाव में वाराणसी देश की सबसे चर्चित सीट बन गई।  इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले। वहीं दूसरे स्थान पर रहे केजरीवाल के पक्ष में 2,09,238 लोगों ने वोट किया। इस तरह से नरेंद्र मोदी 3,71,784 वोटों से चुनाव जीतने में सफल रहे। इसी जीत के साथ नरेंद्र मोदी संसद पहुंचे और देश के प्रधानमंत्री भी बने। प्रधानमंत्री मोदी को वडोदरा सीट पर भी जीत मिली, उन्होंने प्रतिनिधित्व के लिए वाराणसी को चुना। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उतरे। उनके सामने कांग्रेस ने अजय राय और सपा ने शालिनी यादव को उतारा। नतीजे एक बार फिर भाजपा के पक्ष में रहे और यहां प्रधानमंत्री ने सपा की शालिनी यादव को 4,79,505 मतों से बड़े अंतर से शिकस्त दी। इस चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6,74,664 वोट, सपा उम्मीदवार शालिनी को 1,95,159 और कांग्रेस के अजय राय को 1,52,548 वोट मिले। इस तरह से बतौर वाराणसी के सांसद नरेंद्र मोदी एक बार फिर संसद पहुंचे। वहीं भाजपा ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। वाराणसी सांसद नरेंद्र मोदी ने 30 मई 2019 को लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।