रहस्यमयी आश्रम पर जयपुर पुलिस का छापा

रहस्यमयी आश्रम पर जयपुर पुलिस का छापा
  • एक तरफ डिप्टी सीएम गिनाते रहे उपलब्धियां, दूसरी तरफ शिवपुर पुलिस कराती रही डील !

  • गबन के आरोपी को गिरफ्तार करके पहुंची थी जयपुर पुलिस, पूछताछ कर छोड़ा

  • थाने से आरोपी के ही गाड़ी से ही जयपुर पुलिस उसके घर तक गई, घर के अंदर पकती रही सांठगांठ की खिचड़ी

  • जहां दुष्कर्म के प्रयास का लगाया गया था आरोप, उस कथित आश्रम तक पहुंची जयपुर की पुलिस 

वाराणसी (रणभेरी): एक तरफ सूबे के डिप्टी सीएम पीएम के संसदीय क्षेत्र में अपने भाजपा के बीते आठ साल की उपलब्धियां गिना रहे थे वहीं दूसरी तरफ शिवपुर थाने की पुलिस जयपुर पुलिस के साथ मिलकर डील करा रही थी। याद होगा कि जिस रहस्यमयी आश्रम का मुद्दा रणभेरी अखबार ने बीते दिनों उठाया था, उसे शिवपुर की पुलिस तो नहीं ढूंढ सकी लेकिन जयपुर की पुलिस ने आखिरकार उस रहस्मयी आश्रम को ढूंढ ही लिया। यह वही रहस्यमयी आश्रम है जहां पर एक तथाकथित बाबा पर दुष्कर्म के प्रयास किये जाने का आरोप लगाया गया था। दअरसल, शिवपुर थाना क्षेत्र के लक्ष्मणपुर में मंगलवार को जयपुर की पुलिस ने छापा मारा जहां से गबन के मामले के आरोपी संजय सिंह और शीतांशु सिंह को शिवपुर थाने बुलाया गया। संजय और शीतांशु पर फर्जी जमीन का पट्टा दिखाकर पैसे हड़पने का आरोप है। मंगलवार को जयपुर की पुलिस दोनों को शिवपुर थाने बुलाई, जहां से कुछ देर बाद ही जयपुर की पुलिस आरोपी की ही गाड़ी से उसके घर गई। आखिरकार सवाल यह उठता है कि जयपुर पुलिस आखिर कैसे आरोपी के ही गाड़ी से ही उसके घर गई! जबकि जिस मुकदमे में जयपुर की पुलिस वाराणसी आई थी उस मुकदमे में अंकित धाराएं पूछताछ की नहीं बल्कि गिरफ्तारी की है। सवाल यह भी है अगर पूछताछ या किसी मौके का मुआयना करनी ही थी तो शिवपुर पुलिस जयपुर पुलिस को अपनी गाड़ी क्यों नहीं मुहैया कराई ! सूत्रों ने बताया कि शिवपुर थाने की मिलीभगत से जयपुर की पुलिस आरोपी के साथ डील कर वापस चली गई। हालांकि इस मामले में शिवपुर पुलिस ने पहले ये कहा कि जयपुर की पुलिस आई थी, आरोपी से पूछताछ की और फिर उसके साथ कहां गए हमें नहीं पता। ऐसे में यह सवाल उठता है जिस पुलिस को एक एक खबर की बखूबी जानकारी होती है वह कैसे यह कह सकता कि जयपुर की पुलिस आरोपी को कहां ले गई यह नहीं पता। ऐसे मामलों में अक्सर कोई बाहरी पुलिस पहले स्थानीय थाना को सूचित करता है और उसके संज्ञान में गिरफ्तारी होती है। अगर गिरफ्तारी नहीं हुई तो क्या जयपुर पुलिस ने आरोपी के साथ मिलकर डील कर लिया, यह सवाल चर्चा का विषय बना हुआ है। 

जब इस संबंध में शिवपुर इंस्पेक्टर उदयवीर सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जयपुर की पुलिस शिवपुर थाने पर एक मुकदमे के संबंध में पहुंची थी जहां आरोपी को थाने बुलाया गया था। उससे पूछताछ की गई। फिर आरोपी का बयान लेने के बाद जयपुर पुलिस वापस जयपुर के लिए चली गई। ऐसे में इस बात की चर्चा जोरो पर है कि अगर जयपुर पुलिस को पूछताछ ही करनी थी तो आरोपी को जयपुर बुलाती, वाराणसी आकर शिवपुर थाने पर क्यों बुलाई ! और अगर गिरफ्तारी के लिए आई थी तो फिर पूछताछ कर क्यों चली गई! क्या जयपुर पुलिस किसी प्रभाव या लालच में आकर आरोपी के साथ कोई सांठगांठ कर तो नहीं चली गई! मामले को लेकर तरह तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। पर एक बात सही साबित हुई कि जिस रहस्यमयी आश्रम का मुद्दा रणभेरी अखबार ने उठाया था, अंततः वह मिल ही गई। ताजुब की बात यह है कि जब इस आश्रम के बारे में सूत्रों से पता करवाया गया तो मालूम हुआ कि यह कोई आश्रम नहीं नहीं बल्कि उसी संजय सिंह का निजी आवास है जिस आवास पर मंगलवार को जयपुर की पुलिस ने छापा मारा था। अब ऐसे में यह सवाल उठता की यह निजी आवास आश्रम किस आधार पर हो गया ! क्योंकि यही वो मकान है जिसको आश्रम बताकर और एक लोगों को स्वघोषित बाबा बनकर उसके ऊपर दर्जनों मुकदमे लाद दिए गए और उसे फिर जेल भेज दिया गया। देखने वाली बात यह भी है कि जिस निजी मकान को आश्रम घोषित किया गया है क्या वह वीडीए से मानचित्र स्वीकृत है भी या नहीं ! अगर है तो वीडीए ने कितने तल के निर्माण की स्वीकृति दी है और इस स्वघोषित आश्रम में कितने कमरे है ?

तो संजय सिंह पुलिस को कर रही गुमराह !

जब आप इस मामलों की गहनता से तफ्तीश करेंगे तो पाएंगे यह सारा खेल उसी संजय सिंह के द्वारा खेला जा रहा है जिसके ऊपर जयपुर में गबन के मामले में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है। उसी मुकदमे में जयपुर की पुलिस वाराणसी आई थी। सूत्र बताते है कि संजय सिंह और इसके गिरोह के लोगों ने अपने शातिराना सोच से सिर्फ पुलिस को नहीं बल्कि न्यायालय को गुमराह करने में पूरी तरीके से सफल रहा। सूत्र बताते है कि संजय सिंह और उसके गिरोह के लोगों ने निजी आवास को एक आश्रम बताकर और एक व्यक्ति को तथाकथित बाबा घोषित किया और उसके ऊपर दुष्कर्म का दर्जनों मुकदमे करवाकर जेल भेजवा दिया। जबकि वह व्यक्ति कोई बाबा है ही नहीं न कहीं है वो आश्रम जहां दुष्कर्म का प्रयास किया गया। सूत्र बताते है कि संजय सिंह ने अपने रसूख के दम पर आज तक पुलिस को गुमराह  करता रहा है।

इस मामले में वाराणसी आई थी जयपुर की पुलिस

आरोप के मुताबिक जयपुर के अभिषेक भगवान सहाय वर्मा ने संजय सिंह और शीतांशु सिंह पर गबन का आरोप लगाया है जिसमें जयपुर के संगानेर सदर थाने में मुकदमा दर्ज है। अभिषेक भगवान सहाय वर्मा के मुताबिक उसकी मुलाकात संजय कुमार सिंह और शीतांशु सिंह से मुंबई के एक योग शिविर में हुई थी। उक्त दोनों व्यक्तियो ने परिवादी को संस्था (संजय कुमार सिंह व परिवारजन उसी संस्था के विभिन्न पदाधिकारियो पर नियुक्त है) में पैसो की जरूरत होने के नाते से परिवादी से समय समय पर रूपये प्राप्त किये। चूंकि ये सभी विगत लगभग 3 वर्षो से संस्था से जुडा हुआ है, इस कारण से परिवादी ने संजय कुमार सिंह एवं उसके बेटे शितांशु सिंह उर्फ सत्यम सिंह की बातों पर यकीन करते हुऐ एवं संस्था की मदद करने के आशय से संजय कुमार सिंह व शितांश सिंह उर्फ सत्यम सिंह को समय समय पर कुल 6,14,000 रूपये बतौर उधार स्वरूप शितांशु सिंह के बैंक खाता में दे दिये।  संजय कुमार सिंह एवं शितांशु सिंह उर्फ सत्यम सिंह ने कहा कि हमने जो आपसे रूपये उधार लिये है वह जल्द ही वापस लौटा देंगे। आपके द्वारा दी गयी उक्त रकम हमारे पास बतौर अमानता सुरक्षित रहेगी। अब हम इन पैसों को संस्था में लगा रहे है लेकिन जल्द ही आपको आपकी रकम हम वापस लौटा देंगे। अभिषेक ने संजय कुमार सिंह एवं शितांशु सिंह उर्फ सत्यम सिंह की बातों पर विश्वास कर लिया। इसके बाद संजय कुमार सिंह एवं शितांशु सिंह उर्फ सत्यम सिंह ने अपने द्वारा दिये गये तय समय पर रूपये वापस नहीं लौटाए। बार बार तकादा किया जाता रहा पर हर बार झूठा आश्वासन मिलता रहा।


 
आरोप के मुताबिक संजय कुमार सिंह एवं शितांशु सिंह  ने माह जुलाई 2023 में अभिषेक को एक जयपुर के प्लाट का पट्टा दिखाया जिस पर अभिषेक भगवान सहाय की फोटो लगी हुई थी। पट्टा देखने से यह स्पष्ट हो रहा था कि इन लोगो के द्वारा उक्त प्लाट का पट्टा अभिषेक के नाम से बनवाया है। जब अभिषेक ने इन लोगो से पट्टा देने की बात कही तो इनके द्वारा कहा गया कि, जयपुर वाले प्लाट की कीमत 16 लाख रूपये है आपके हमारे पास 6,14,000 रूपये जमा है। आप हमें लगभग  10 लाख रूपये और दो तभी आपको पट्टा देंगे और प्लाट का कब्जा देंगे। जब तक 10 लाख रूपये नहीं दोगे तब तक पट्टा हमारे पास ही सुरक्षित रहेगा। इसके बाद जब अभिषेक ने जयपुर बाले उक्त प्लाट एवं प्लाट के पट्टे की असलियत के बारे में अपने स्तर पर पता लगाया तो जानकारी में आया कि जो जयपुर वाले प्लाट का पट्टा इन लोगो ने दिखाया था ऐसा कोई प्लाट जयपुर में है ही नहीं।

तब पता चला कि इन लोगों ने अभिषेक भगवान सहाय से उधार रूपये लेने के बाद केवल मात्र रुपयों को हड़पने की मंशा से कूटरचित प्लाट का पट्टा बनवा लिया है और केवल झूठे दिलासे दिये जाते रहे। जब 5 जुलाई 2024 को अभिषेक ने संजय और शितांशु से फोन करके अपने द्वारा दी गयी 6.14 लाख रूपये की वापस की मांग की तो इनके द्वारा रूपये लौटाने से स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया। अभिषेक का आरोप है कि डरा धमकाकर बोले कि, अब अगर तुमने हमें फोन करके रूपये मांगे तो हम जयपुर आकर तुझे जान से मरवा देंगे। अगर तू अपनी जान की सलामती चाहता है तो दिये गये रूपयो को भूल जा, बार बार हमसे रूपये मांगकर हमे परेशान मत कर तू जानता नहीं हम यू.पी. के है और यू.पी. के लोग कितने खतरनाक होते है तुझे नहीं पता थोडी सी रकम के लिये किसी को भी जान से मरवा देते है। धमकी के बाद से अभिषेक काफी भयभीत एवं परेशान हो गया। यह डर सताने लगा कि ये लोग कभी भी हमें और हमारे परिवार के किसी भी सदस्य को जान माल की क्षति पहुंचा सकते है। जब इस मामले में अभिषेक थाने गए तो मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। फिर उसने न्यायालय की शरण ली। न्यायालय के आदेश के बाद मुकदमा दर्ज किया गया।