पूर्वांचल के दर्जनों जिले में फैला है राजेश का साम्राज्य

पूर्वांचल के दर्जनों जिले में फैला है राजेश का साम्राज्य
पूर्वांचल के दर्जनों जिले में फैला है राजेश का साम्राज्य

वाराणसी(रणभेरी)। सट्टेबाजी का जाल पूर्वांचल में ऐसा फैला है कि इसे भेद पाना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। पूर्वांचल के लगभग दर्जन भर शहरों में सट्टे का काला कारोबार चल रहा है। सूत्रों की माने तो मुंबई के कल्याण का रहने वाला सर्राफ़ा कारोबारी राजेश रूपावत पूर्वांचल के ज़िलों में अपने सट्टे के कारोबार को पूरी तरह जमा चुका है। राजेश अपने गुर्गों के माध्यम से इस सिंडिकेट को तेज़ी से फैला रहा। इस अवैध कारोबार में हर जिले के नामचीन कारोबारी भी जुड़े है और उसके इस सिंडिकेट को फैला रहे। हैरत तो इस बात की है कि इस धंधे में सट्टेबाजों ने बच्चों और महिलाओं को लगा दिया है।

प्रतिदिन करोड़ों का व्यारा-न्यारा

कैश के इस खेल में दिल्ली, मुंबई, कोलकता तक पैसे का अदान-प्रदान होता है। गुरुवार को गूंज उठी रणभेरी ने जब राजेश रूपावत को लेकर खबर प्रकाशित की तो पूर्वांचल के ज्यादातर ज़िलों से सट्टे के कारोबार में राजेश की संलिप्तता की जानकारी प्राप्त हुई। माना जा रहा है कि, बनारस सहित पूरे पूर्वांचल में आईपीएल मैंच के दौरान रोज करोड़ों का कारोबार हो रहा है। 

…तो राजेश को सफेदपोशों का संरक्षण
सूत्रों की माने तो राजेश को सफेदपोशों का भरपूर संरक्षण है। और शायद इसलिए वह बेख़ौफ़ होकर इस कारोबार को धड़ल्ले से चला रहा है। शायद यही वजह है कि, पूर्वांचल के ज़िलों में राजनीतिक सफेदपोश के छाव में सट्टा का काम कर लोगों की गाढ़ी कमाई लूटी जा रही। बनारस के हजारों लोग प्रतिदिन अपनी गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा सट्टेबाजी के इस खेल में गवां रहे हैं।

सटोरियों के मोबाईल से खुल सकता है बड़ा राज….

सूत्रों की माने तो सटोरियों को सफ़ेदपोश संरक्षण होने से पुलिस का कोई खौफ नहीं है। इसलिए तो बेखौफ होकर सट्टेबाजी का खेल चल रहा। कुछ सटोरिया तो आईपीएल मैच तक घर से बाहर निकलना भी बंद कर देते है। ताकि आम लोगों की नजरों से दूर रहे।अगर पुलिस वैसे सटोरियों को हिरासत में लेकर मोबाईल को खंगाले तो कई चौंकाने वाले मामले सामने आ सकते है।

दो दर्जन से अधिक जगहों पर सट्टेबाजी का खेल

सिर्फ बनारस की बात करे तो जिलेभर में दो दर्जन से अधिक जगहों को केंद्र बनाकर आईपीएल में ऑनलाइन सट्टेबाजी का खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। इस धंधे में फंसने वाले अधिकतर युवा हैं जो अपनी गाढ़ी कमाई या फिर घर की पूंजी इस खेल में फूंक रहे हैं। सट्टे का नशा इस कदर है कि कर्ज लेकर सट्टा लगाते हैं। इसमें लगाई गई धनराशि का दस गुना या फिर मैच में रोमांचक स्थिति होने पर भाव तय होता है।

कम समय में अधिक पैसा कमाने की चाहत

कम समय में अधिक पैसे कमाने की चाहत में पढ़े-लिखे युवा भी सट्टे के खेल में शामिल हो गए हैं। सूत्रों के अनुसार, सट्टा के कारोबार में कहीं हद तक खाकी की भी संलिप्तता है। हर बार सटोरियों तक पुलिस के पहुंचने से पहले ही सट्टेबाजों को भनक लग जाती है। पुलिस के डर से सटोरिये मोबाइल फोन के बजाय वाट्सएप पर फोन बात कर  जानकारी देते हैं।

कोड वर्ड का इस्तेमाल

बता दें कि सट्टे के खेल में कोड वर्ड का इस्तेमाल होता है। सट्टे पर पैसे लगाने वाले को फंटर कहते हैं। जो पैसे का हिसाब-किताब रखता है, उसे बुकी कहा जाता है। सट्टा लगाने वाले फंटर 2 शब्द खाया और लगाया का इस्तेमाल करते हैं। यानी किसी टीम को फेवरिट माना जाता है तो उस पर लगे दांव को लगाना कहते हैं। ऐसे में दूसरी टीम पर दांव लगाना हो तो उसे खाना कहते हैं। इस खेल में डिब्बा अहम भूमिका निभाता है। डिब्बा मोबाइल का वह कनेक्शन है, जो मुख्य सटोरियों से फंटर को कनेक्शन देते हैं। इस पर हर बॉल का रेट बताया जाता है। डिब्बे का कनेक्शन एक खास नंबर होता है, जिसे डायल करते ही उस नंबर पर कमेंट्री शुरू हो जाती है। सट्टा आईपीएल मैच में दो सेशन में लगता है। दोनों सेशन 10-10 ओवर के होते हैं। 

कैसे मिलता है रेट

डिब्बे पर अगर किसी टीम को फेवरेट मानकर डिब्बा उसका रेट 80- 83 आता है तो इसका मतलब यह है कि फेवरेट टीम पर 80 लगाओगे तो एक लाख रुपये मिलेंगे और दूसरी टीम पर एक लाख लगाओगे तो  83 हजार  रुपये मिलेंगे।

सट्टे के चक्कर में कई परिवार बर्बाद

इसमें लोग सट्टेबाजों को फोन व मेसेज करके भाव लगाने को कहते हैं। यह काम क्रेडिट पर करते हैं, लेकिन छोटी धनराशि है तो ऑनलाइन ट्रांसफर करते हैं। किसी ने एक हजार रुपये लगाया तो जीतने पर मानो उसे 10 गुना मिलना है तो वह सटोरिए से 10 हजार रुपये लेता है लेकिन हार गया तो उतनी धनराशि सटोरिए को वापस देगा। नहीं जमा करने पर ब्याज सहित रकम देनी होती है। इस लत में अधिकतर युवा फंसे हैं। सट्टे के चक्कर में कई परिवार बर्बाद हो रहे हैं।

जौनपुर में भी है राजेश के सिंडिकेट का बड़ा साम्राज्य

सूत्रों की माने तो राजेश रूपावत के सट्टे का बड़ा साम्राज्य जौनपुर में भी फैला है। उसके गिरोह के गुर्गे जिले में पुलिस की नाक के नीचे प्रतिदिन 10 करोड़ से अधिक का कारोबार सट्टे से कर रहे है। इस अवैध धंधे का जाल शहर से लेकर गांवों तक फैला है। लगभग दस हजार लोग रोज सट्टा खेल रहे हैं। जिलेभर में 20 से अधिक जगहों पर आईपीएल में सट्टेबाजी का खेल चल रहा है। सट्टे का नशा इस कदर है कि कर्ज लेकर सट्टा लगाते हैं। शहर के 15 से 20 व्यापारी हैं जो रोजाना लाखों रुपये तक का दांव लगाते हैं। इसमें लगाई गई धनराशि का दस गुना या फिर मैच में रोमांचक स्थिति होने पर भाव तय होता है।

पंकज,अमित और बबलू पर क्यों है पुलिस मेहरबान ?
सूत्रों बताते हैं कि बनारस में राजेश का काम भेलूपुर थाना अंतर्गत महमूरगंज क्षेत्र निवासी पंकज आर्या चला रहा है। पंकज आर्या सट्टा के काले कारोबार से जुड़ा एक चर्चित नाम है, पंकज के अलावा तीन  और नाम सामने है, जो सुड़िया चौक निवासी अमित सर्राफ, शिवाला निवासी बबलू अग्रवाल व चेतगंज निवासी कमल यादव उर्फ़ कोमल है। सूत्र बताते हैं कि पंकज आर्या एक शौकीन प्रवृत्ति का सट्टा कारोबारी है जिसके तार दुबई से भी जुड़े है। पंकज पहले भी सट्टा के खेल में जेल जा चूका है लेकिन आज गोरखधंधे का काला साम्राज्य इस कदर बड़ा हो चूका है कि अब पुलिस का हाथ पंकज की गिरेबान तक पहुंचना आसान नहीं माना जाता। पंकज आर्या, अमित सर्राफ, बबलू अग्रवाल व कमल यादव ने बड़े ही चालाकी के साथ बेशकीमती तोहफो की बदौलत अपने इर्द-गिर्द एक सिस्टम बना लिया है। इस सिस्टम में शामिल लोगों के शरण में रहकर ही तीनों बेपरवाह होकर अपने काले कारोबार की बदौलत शहर के सैकड़ों परिवारों को बर्बाद कर रहे है। 

गोल्ड तस्करी में संलिप्तता

सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अमित सर्राफ एवं बबलू अग्रवाल सोने के तस्करी के धंधे से भी जुड़े है। जानकारी के मुताबिक़ वाराणसी में सट्टे के काले कारोबार की बदौलत अवैध तरीके से अकूत संपत्ति बनाने वाले ये सटोरिये सामने से तो खुद को ज्वेलरी का व्यवसायी बताते हैं लेकिन असल में इनके तार सोने की तस्करी करने वालों से भी जुड़े हैं। ये लोग बनारस, मुंबई, कोलकाता और सूरत जैसे महानगरों के बीच सोने की तस्करी का अवैध कारोबार भी संचालित करा रहे हैं। बेशक पुलिस के पास इनके इस काले कारोबारों की कोई जानकारी न हो सट्टे और सोने के काले कारोबार से जुड़े लोगों के बीच इनका बर्चस्व बना हुआ है। बताया जा रहा है कि शिवाला निवासी बबलू अग्रवाल जो ख़ुद को सर्राफा कारोबारी बताता है उसका मलदहिया क्षेत्र में ज्वेलरी का शो-रूम है।