‘जोनल’ हो मेहरबान तो कौन रोके अवैध निर्माण!

‘जोनल’ हो मेहरबान तो कौन रोके अवैध निर्माण!

भ्रष्ट वीडीए के अधिकारियों ने पैसों के दम बेच दिए नियम कानून संग शहर की सुंदरता

दशाश्वमेध वार्ड के मंडुवाडीह, मुड़ैला,  चांदपुर, बरेका में रसूखदारों के आगे नतमस्तक वाराणसी का सबसे भ्रष्ट विभाग... वीडीए 

एक मंडुवाडीह चौराहे से बरेका की तरफ सौ मीटर आगे मेन रोड पर तो दूसरा बरेका क्षेत्र के नाथूपुर के संग दर्जनों अवैध निर्माण धडल्ले से जारी

वाराणसी (रणभेरी सं.)। बदलते बनारस की खूबसूरती में बदनुमा धब्बे अवैध निमार्णों पर विकास प्राधिकरण के भ्रष्ट अधिकारी मेहरबान हैं। हालत यह है की वाराणसी विकास प्राधिकरण की कितनी भी किरकिरी हो जाय लेकिन वीडीए के अधिकारीयों ने नहीं सुधरने की कसम खा रखी है। वीडीए के लापरवाही और सील डील के घनचक्कर का फायदा अवैध निर्माण करने वाले उठा रहे हैं। शहर में होने वाले अवैध निमार्णों को विकास प्राधिकरण के जोनल अधिकारी शह देते हैं। सील की कार्रवाई के बाद नक्शा दाखिल करने पर ही उसे खोल दिया जाता है। कई मामलों में तो सील के बाद निर्माण पूरा हो गया और शमन मानचित्र दाखिल किया गया। वाराणसी में एक लाख से ज्यादा अवैध निर्माण अब तक चिह्नित हैं।

वीडीए के भ्रष्ट अधिकारियों ने धर्म नगरी काशी में अधार्मिक कृत्यों का खुलेआम ठेका ले रखा है। वाराणसी में धनबलियों और रसूखदारों के आगे वीडीए के अधिकारी अपना जमीर और ईमान पूरी तरह से गिरवी रख चुके है। एक तरफ शहर में अवैध निमार्णों के खिलाफ अभियान दिखाकर विभाग अपने ही कुकर्मों पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है वहीँ दूसरी तरफ आज भी शहर के सभी जोन अंतर्गत सैकड़ों ऐसे व्यवसायिक अवैध निर्माण का कार्य प्रगति की ओर है जिन्हें सम्बंधित जोनल अधिकारियों का पूरा संरक्षण प्राप्त है। शहर में एक भी ऐसा अवैध निर्माण नहीं जिसकी भनक वीडीए को ना हो। वीडीए के कर्मचारी सुबह से शाम तक मोहल्लावार शहर के अगल अलग क्षेत्रों में रेकी कर यही पता करते रहते हैं कि कहां-कहां अवैध निर्माण शुरू हुआ है। 

सूत्रों की माने तो वाराणसी में विकास प्राधिकरण के सभी जोनल अफसरों ने अवर अभियंताओं के जरिये अब क्षेत्रवार आउटसाइडरों की भी तैनाती कर दी है जिन्हें बाकायदा अवैध निमार्णों की सूचना, मीटिंग, सीलिंग और डीलिंग के लिए वसूली की रकम में से कमीशन भी दिया जाता है। यहीं वजह है की किसी भी व्यक्ति के मकान के पास अगर बालू, गिट्टी या कोई भी भवन निर्माण सामाग्री गिर जाए तो उसकी सूचना भी वीडीए अधिकारियों तक तुरंत पहुंच जाती है। लेकिन यह शर्मनाक है कि सबकुछ जानते हुए भी वाराणसी विकास प्राधिकरण अंधा बना हुआ है। असल में अवैध निमार्णों से अंजान बनने के पीछे का खेल कुछ और ही है और यहीं से शुरू हो जाता है विभाग के अवैध वसूली का दौर। 

  • दशाश्वमेध जोन में अवैध निमार्णों की बाढ़ 

दशाश्वमेध जोन के मंडुवाडीह क्षेत्र में नियमों को ताख पर रख कर एक नहीं बल्कि दो अवैध निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक पहला मामला मंडुवाडीह चौराहे से बरेका की तरफ 100 मीटर आगे मुख्य सड़क का है जहां धनबल की बदौलत अवैध रूप से व्यवसायिक भवन का निर्माण चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि यह निर्माण क्षेत्र के एक रसूखदार व्यवसायी का है जिसे विकास प्राधिकरण के दशाश्वमेध जोनल अधिकारी का खुला संरक्षण प्राप्त है यहां धड़ल्ले से एक होटल का निर्माण किया जा रहा है। वहीं दूसरे तरफ मंडुवाडीह में ही बरेका क्षेत्र के नाथूपुर में किसी दुबे जी नामक व्यक्ति द्वारा धडल्ले से अवैध निर्माण करवाया जा रहा है। 

इन मामलों में यह कहना सरासर गलत होगा कि इन दोनों अवैध निर्माण के बारे में वीडीए के अधिकारियों को जानकारी ना हो। परन्तु जब सब कुछ सेटिंग-गेटिंग के तहत हो रहा हो तो कुछ भी गलत नहीं माना जाता यही वजह है कि विभागीय अफसर अपने आँख,कान और मुंह को बंद कर अवैध निमार्णों को खुला संरक्षण देकर तब तक किनारा किये रहते हैं जबतक कोई व्यक्ति ऐसे किसी भी अवैध निर्माण की शिकायत न करें। अवैध निर्माण की शिकायत न मिलने तक विभागीय रूप से ये अफसर अनजान बने होने का दावा करते हैं और तबतक किसी कार्रवाई करने की जुर्रत नहीं करते क्यूंकि मामला तो पहले से सेट ही होता है। और जबकि निर्माण किसी बाहुबली,धनबली या फिर रसूखदार व्यक्ति द्वारा करवाया जा रहा हो तो आसानी से कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं उठता। 
दरअसल जिले में वीडीए के जोनल अधिकारियों के को सारे अवैध निर्माण की पुख्ता जानकारी होती है। वीडीए जोनल के अधीनस्थ अवर अभियंता सेटिंग-गेटिंग में इतने माहिर होते है कि अवैध निर्माण पर कार्रवाई का भय दिखाकर बड़े आसानी से डील करके सबका रास्ता बना ही लेते हैं। और डील होने के बाद तो भवन स्वामी या ठेकेदार बिना किसी डर के नियम-कानून को ताख पर रख कर धड़ल्ले से अवैध निर्माण को पूरा कर रंगरोगन कर ही लेते हैं। निर्माण के बीच में अगर कोई शिकायत मिली तो इन भ्रष्ट अधिकारियों का रेट और भी बढ़ जाता है, पहले तो ये शिकायत का हवाला देकर भवन को सील कर देते हैं। और सील के बाद इनकी पुन:डील का रेट बढ़कर और ज्यादा हो जाता है।

 नियमों का हवाला देकर अवैध निमार्णों को देते हैं शह 

शहर में होने वाले अवैध निमार्णों को विकास प्राधिकरण के अधिकारी शह देते हैं। सील की कार्रवाई के बाद नक्शा दाखिल करने पर ही उसे खोल दिया जाता है। कई मामलों में तो सील के बाद निर्माण पूरा हो गया और शमन मानचित्र दाखिल किया गया। हकीकत यह है कि अवैध निर्माण करने वालों में वीडीए का कोई खौफ नहीं है।

सीएम के आदेश को भी ताक पर रखते है अधिकारी  

सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ जब भी बनारस आते तो अक्सर सभी विभागों के अधिकारीयों संग समीक्षा बैठक करते है ताकि शहर में अवैध निर्माण को रोकने, अवैध निर्माण को ध्वस्त करने, शहर के विकास की गति को बढ़ाने के साथ साथ शहर को साफ व सुंदर बनाए रखने के लिए जरूर निर्देशित करते है। अन्य विभाग तो अपना काम करते लेकिन वीडीए के भ्रस्ट अधिकारी सीएम के आदेश को भी ताक पर रखकर अवैध निर्माण को वसूली का जरिया बनाते है। कार्रवाई के नाम पर अगर कुछ की जाती है तो वह है खानापूर्ति। अवैध प्लॉटिंग पर ध्वस्तिकरण की कार्रवाई सिर्फ मुख्यमंत्री को गुमराह करने के लिए किया जाता है। वीडीए के भ्रष्ट अधिकारी इतने शातिर है की अवैध प्लॉटिंग के ध्वस्तिकरण की आड़ में अवैध भवनों के निर्माण को शह देते है क्यूंकि यहाँ से इन्हें अच्छी खासी रकम मिल जाती है।

सील भवन में भी होता है निर्माण

वीडीए के अधिकारियों की महिमा इतनी निराली है कि सील के बावजूद भी भवन के अंदर निर्माण जारी रहता है। कुछ बड़ी इमारतें तो ऐसी हैं, जिन्हें अवैध और अनियमित पाते हुए प्राधिकरण ने सील लगा दी है। मगर, सील लगे भवनों में धड़ल्ले से निर्माण किया जा रहा है। कभी खुलेआम तो कभी सील लगी बहुमंजिला इमारतों में अंदर ठेकदार चोरी-छिपे अपने निर्माण को आकार देने में जुटे हैं। इसे प्राधिकरण के अधिकारियों की लापरवाही कहें या मिलीभगत, महीनों या सालों पहले सील किए गए बड़े-बड़े भवनों को सील लगाकर अधिकारी भूल जाते हैं और दोबारा कभी मौके पर जाकर जांच-पड़ताल तक नहीं करते।​​​​​​​