अनैतिक कामों का अड्डा बने हाईवे किनारे के ढाबे और होटल

अनैतिक कामों का अड्डा बने हाईवे किनारे के ढाबे और होटल

पुलिस के नाक के नीचे चल रही सारी अवैध गतिविधियां, सुविधा शुल्क बना सुरक्षा कवच

वाराणसी (रणभेरी सं.)।मिर्जामुराद से लेकर रामनगर और रिंग रोड के फेज-1 व फेज-2 तक हाईवे किनारे बने ढाबों, होटलों और गेस्ट हाउसों की सच्चाई चौंकाने वाली है। इन जगहों पर जैसे ही रात होती है, अनैतिक गतिविधियों का दौर शुरू हो जाता है। न किसी ग्राहक की आईडी ली जाती है, न ही रजिस्टर में कोई एंट्री। बिना किसी पहचान-पत्र या वैध प्रक्रिया के कमरों की बुकिंग कर दी जाती है। ढाबों और रेस्टोरेंट्स की आड़ में अवैध शराबखोरी का सिलसिला भी बेरोकटोक जारी है। शाम होते ही डाफी, अखरी, भदवर, मोहनसराय, राजातालाब और मिजार्मुराद बाईपास जैसे इलाकों के ढाबों में जाम छलकने लगते हैं, जो देर रात तक चलते हैं। कई जगहों पर तो बाकायदा बार की तर्ज पर शराब परोसी जाती है, वो भी बिना किसी लाइसेंस या वैधानिक अनुमति के। सबसे हैरत की बात यह है कि ये सब पुलिस और प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन अवैध गतिविधियों को सुविधा शुल्क देकर संरक्षण मिला हुआ है, तभी तो वर्षों से यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। कानून-व्यवस्था की जिम्मेदार एजेंसियां आंखें मूंदे बैठी हैं, जबकि मुनाफाखोर खुलेआम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

हाईवे किनारे बने इन मयखानों पर अब नकेल कसना बेहद जरूरी हो गया है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगाएगा, बल्कि समाज में अपराध और अराजकता को भी बढ़ावा देगा। अब देखना यह है कि क्या सरकार और प्रशासन जनता की इस गंभीर शिकायत को गंभीरता से लेकर कुछ ठोस कदम उठाएंगे, या यह मुद्दा भी बाकी फाइलों की तरह धूल फांकता रहेगा।

सड़क पर खड़ी गाड़ियां, हादसों का कारण

वाराणसी के हाईवे किनारे बने कई ढाबों और होटलों में पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं है, जिसके चलते भारी वाहन सड़क और सर्विस लेन पर ही खड़े कर दिए जाते हैं। इससे न सिर्फ यातायात बाधित होता है, बल्कि अक्सर सड़क हादसे भी होते हैं। इसके बावजूद ट्रैफिक पुलिस की चुप्पी और स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता लोगों की जान के साथ खिलवाड़ कर रही है। हैरानी की बात यह है कि इन होटलों में बिना लाइसेंस शराब परोसी जा रही है और अनैतिक गतिविधियों को भी खुला संरक्षण मिल रहा है। आमजन की मांग है कि पुलिस कमिश्नर, जिलाधिकारी और खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस गंभीर मामले का संज्ञान लें। साथ ही, ऐसे प्रतिष्ठानों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए। इससे न केवल हादसों और अपराधों पर लगाम लगेगी, बल्कि सरकार के राजस्व को हो रहा नुकसान भी रुकेगा।

बिना लाइसेंस, खुलेआम शराबखोरी

कानूनन किसी भी ढाबे, होटल या रेस्टोरेंट में शराब परोसने के लिए बार लाइसेंस अनिवार्य है, लेकिन वाराणसी में यह नियम केवल कागजों तक सिमट कर रह गया है। मिजार्मुराद से लेकर रामनगर तक कई ढाबा और होटल मालिक धड़ल्ले से बिना लाइसेंस शराब परोस रहे हैं। यह उनका रोजमर्रा का काम बन गया है। इन प्रतिष्ठानों में ग्राहकों को आकर्षित करने और भीड़ जुटाने के नाम पर न सिर्फ आबकारी नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है, बल्कि सरकार के राजस्व को भी भारी चूना लगाया जा रहा है। सवाल यह है कि स्थानीय पुलिस और आबकारी विभाग की चुप्पी क्या मिलीभगत का संकेत नहीं देती ?

शासन-प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

हाईवे किनारे ढाबों, होटलों और गेस्ट हाउसों में चल रही अवैध गतिविधियों की जानकारी स्थानीय पुलिस थानों से लेकर आबकारी विभाग तक को है, इसके बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। आबकारी निरीक्षक हों या थाना प्रभारी, सभी की जानकारी और निगरानी में यह सब कुछ जारी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह केवल लापरवाही है या फिर किसी बड़ी मिलीभगत का हिस्सा ? क्या प्रशासनिक चुप्पी सुविधा शुल्क की वजह से है ? शासन के उच्च अधिकारी भी इन घटनाओं से अनजान नहीं हो सकते, लेकिन उनकी तरफ से भी कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया है। इससे साफ झलकता है कि या तो पूरा तंत्र निष्क्रिय है या फिर मिलीभगत में लिप्त। जनता के बीच यह संदेश जा रहा है कि कानून का डर खत्म हो गया है और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। 

क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इन ढाबों और होटलों का असली उद्देश्य खाना खिलाना होना चाहिए, लेकिन यहां शराबखोरी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे न केवल सामाजिक वातावरण खराब हो रहा है, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी असहज महसूस करते हैं।