यूपी कॉलेज में मजार के पास छात्रों का हनुमान-चालीसा पाठ
पुलिस जवानों ने रोका तो बैरिकेडिंग तोड़ी, वक्फ बोर्ड ने बताई है अपनी संपत्ति, दावे के बीच छात्रों का विरोध जारी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। 115 साल पुराने यूपी कालेज के वक्फ संपत्ति वाले दावे के बीच छात्रों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। छात्रों ने कॉलेज परिसर में ही मस्जिद से कुछ ही दूरी पर दर्जनों की संख्या में मार्च निकालकर वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। इस दौरान छात्रों ने नारेबाजी भी की। वहीं यूपी कालेज के छात्रों ने ऐलान किया है कि अगर अगले जुमे के दिन सैकड़ो की संख्या में लोग नमाज अदा करने के लिए कॉलेज परिसर में स्थित मस्जिद में आते हैं तो हम इसका विरोध करेंगे। जब तक इस मामले का पूरी तरह से निस्तारण नहीं हो जाता है तब तक सिर्फ 5 से 6 की संख्या में लोगों को नमाज पढ़ने की अनुमति मिलनी चाहिए
मजार पर हनुमान चालीसा का पाठ पढ़ने के ऐलान के बाद यूपी कॉलेज के छात्रों ने मंगलवार सुबह 300 की संख्या में कॉलेज कैंपस के बाहर इकट्?ठा हो गए और नारेबाजी करने लगे। कैंपस के पास मौजूद मजार पर हनुमान चालीसा का पाठ करने की जिद पर अड़ गए। इसकी जानकारी होते ही पुलिस और पीएसी के करीब 300 जवान पहुंच गए। बैरिकेडिंग कर दी, लेकिन छात्रों ने पुलिस बैरिकेडिंग तोड़ दी। हालांकि, जवानों ने छात्रों को मजार से 50 मीटर पहले ही रोक लिया। इसके बाद छात्रों ने वहीं पर बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ किया। दोपहर 1 बजे नमाज पढ़ने के लिए एक युवक पहुंचा तो पुलिस ने उसे भी रोक दिया। पुलिस ने छात्र नेता प्रतीक, विवेकानंद, चंदन सहित 9 लोगों को अरेस्ट किया है। प्रदर्शनकारी छात्रों को पुलिस ने खदेड़ दिया। गुस्साए छात्र शिवपुर थाने का घेराव करने निकले। पुलिस ने रास्ते में ही इन छात्रों को रोक लिया। छात्र वापस कॉलेज के गेट पर आ गए। प्रदर्शन शुरू कर दिया। छात्रों को पुलिस ने चेतावनी दी कि विरोध किया तो हम लाठी चलाने को मजबूर होंगे। दरअसल, सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 2018 में कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी करते हुए कॉलेज की जमीन को अपनी संपत्ति बताई थी। हाल में इसका लेटर फिर से वायरल किया है। इसका छात्र विरोध कर रहे हैं। कल यानी सोमवार को छात्रों ने वक्फ बोर्ड का पुतला भी फूंका था। छात्रों का कहना है कि कॉलेज परिसर में अचानक से बढ़ी धार्मिक गतिविधियों से पढ़ाई का माहौल खराब हो रहा है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। आज कॉलेज के एंट्री गेट पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर दी थी।
2008 में नोटिस, जवाब न देने पर वक्फ की होगी संपत्ति
वाराणसी के भोजूबीर इलाके में रहने वाले वसीम अहमद ने साल 2008 में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में लेटर लिखकर दावा किया कि कॉलेज परिसर की भूमि वक्फ की संपत्ति है, जिस पर कॉलेज प्रशासन ने कब्जा कर रखा है। इसी परिसर में नवाब टोंक की मस्जिद है। इस शिकायत के बाद यूपी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने यूपी कॉलेज को 6 दिसंबर, 2018 को नोटिस जारी किया। नोटिस सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सहायक सचिव आले अतीक की तरफ से जारी हुआ। इसमें कहा गया कि जवाब नहीं देने पर इस कॉलेज की जमीन को वक्फ बोर्ड की संपत्ति के तौर पर रजिस्टर कर लिया जाएगा।
यूएन सिन्हा ने आगे बताया कि कॉलेज के संस्थापक राजर्षि जू देव ने 1909 में उदय प्रताप कालेज एंड हीवेट क्षत्रिय स्कूल इनडाउमेंट ट्रस्ट का गठन किया और यह कॉलेज बनाया। चैरिटेबल इनडाउमेंट एक्ट के तहत ट्रस्ट का गठन किया गया। इसके एक साल बाद अन्य किसी का मालिकाना हक खुद ब खुद खत्म हो जाता है। ऐसे में वक्फ बोर्ड का कालेज की जमीन पर अपना दावा करना कानूनी रूप से गलत है।
बैरिकेडिंग तोड़कर छात्र कॉलेज में घुस गए
जुमे के दिन 500 नमाजी पहुंच गए थे दरअसल, सीएम योगी इस कॉलेज के 115वें स्थापना समारोह में आए थे। उन्होंने कॉलेज को यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा की। इसके बाद यूपी कॉलेज में शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए 500 से ज्यादा नमाजी कॉलेज परिसर में इकट्ठा हो गए थे। अमूमन यहां जुमे पर 20 से 25 लोग ही नमाज अदा करने आते थे।
कॉलेज परिसर में 3 बिस्वा जमीन पर मस्जिद
100 एकड़ में फैले यूपी कॉलेज में नवाब टोंक की मस्जिद व कचनार शाह की मजार है। यह सब करीब 3 बिस्वा में फैला हुआ है। यहां मुस्लिम नमाज अदा करने आते हैं। डिग्री कॉलेज में लाइब्रेरी के पास मौजूद मस्जिद में हर रोज 4 से 5 नमाजी पहुंचते रहे हैं।
नोटिस आते ही हड़कंप मचा
सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की तरफ से जारी नोटिस 14 दिसंबर, 2018 को कॉलेज पहुंची। नोटिस मिलते ही कॉलेज प्रशासन से लेकर यहां पढ़ने वाले स्टूडेंट्स में भी आक्रोश फैल गया। उस वक्त यूपी कालेज शिक्षा समिति के सचिव यूएन सिन्हा ने नोटिस का जवाब दिया। बताया कि वक्फ बोर्ड में गलत शिकायत दर्ज कराई गई है। कॉलेज का शैक्षणिक माहौल खराब करने की साजिश हुई है। किसी मानसिक विकृत शख्स ने वक्फ बोर्ड को गलत जानकारी दी है। बोर्ड के पास अगर जमीन से संबंधित कोई डीड है, तो उपलब्ध कराए, ताकि कॉलेज प्रशासन उसका जवाब दे सके।