वाराणसी के अस्सी घाट पर खुलेआम सिगरेट का कश लगाती दिखीं छात्राएं

वाराणसी के अस्सी घाट पर खुलेआम सिगरेट का कश लगाती दिखीं छात्राएं

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी के अस्सी घाट से एक वीडियो सामने आया है। जिसमें वीडियो में स्कूली तीन-चार छात्राएं खुलेआम घाट की सिढियों पर सिगरेट का कश लेती दिख रही हैं। छात्राओं की खूब आलोचना की जा रही है। स्कूल प्रबंधन के साथ ही माता-पिता की छूट पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। घाट पर ही टहलने आए किसी व्यक्ति ने उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि सिगरेट का कश लगाती छात्राओं में जरा भी हिचक या किसी का डर नहीं है।  शुक्रवार को अस्सी घाट पर शहर के एक स्कूल की चार से पांच छात्राएं लड़कों के साथ बाहर निकलीं और घाट के एक कोने में बैठकर सिगरेट पीने लगीं।

दरअसल, अस्सी घाट पर सिगरेट पीने पर प्रतिबंध है। डिवाइन सैनिक स्कूल ने अस्सी घाट पर फेयरवेल पार्टी आयोजित की थी। मामला सामने आने के बाद स्कूल मैनेजमेंट ने जांच कराने की बात कही है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि जांच में जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। फेयरवेल पार्टी में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं पहुंचे थे। सभी फेयरवेल पार्टी को एन्जॉय कर रहे थे। इसी दौरान भीड़ में से 4-5 छात्राएं लड़कों के साथ बाहर निकलीं। इसके बाद वह एक कोने में जाकर सिगरेट पीने लगीं। इस दौरान घाट पर बाहरी लोग भी घूमने आए थे। इनमें से कुछ लोगों ने इसका विरोध भी किया। लेकिन छात्राओं ने सिगरेट पीना बंद नहीं किया। लोगों ने बताया कि छात्राएं स्कूली ड्रेस में बिना किसी डर के सिगरेट पी रही थीं। उनके साथ कुछ लड़के भी थे। सभी एक साथ ठहाके लगा रहे थे।

इस मामले पर स्कूल प्रबंधक नवीन सिंह का कहना है, "ड्रेस हमारे ही स्कूल का है। लेकिन, वीडियो में दिख रही छात्राओं की पहचान नहीं हो पा रही है। आज लहरतारा में स्कूल का फेयरवेल मनाया जा रहा था। आधिकारिक तौर पर इतना दूर अस्सी घाट पर फेयरवेल के लिए नहीं भेजा गया था। ये स्टूडेंट्स यहां पर कैसे पहुंचे? इसकी जानकारी नहीं है। मामले की जांच कराने के बाद कार्रवाई करेंगे। स्थानीय निवासी बद्री विशाल का कहना है, "धार्मिक स्थलों पर ऐसी हरकतें नहीं होनी चाहिए। यहां जी 20 सम्मेलन होने जा रहा है। इस तरह की तस्वीर से काशी की गलत छवि बनेगी। इस तरह की घटनाओं पर रोक लगनी चाहिए। जिला प्रशासन और स्कूल प्रशासन दोनों को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।"