परिवहन विभाग का निलंबित अफ़सर ही बन बैठा फर्ज़ी पत्रकार
सावधान
(परिवहन विभाग के एक अधिकारी का हैरतअंगेज कारनामा)
पत्रकार बनकर निलंबित परिवहन अधिकारी ही अपने विभाग से कर रहा है वसूली
- हराम के कमाई की ऐसी लगी लत कि निलंबन के बाद पत्रकार बन करने लगा ब्लैकमेलिंग
- व्हाट्सअप मैसेज के जरिए कर रहा है दर्जन भर जिलों के परिवहन विभाग से वसूली
- अपनी पहचान छुपाये रखने के लिए किसी से नहीं करता है बात
- विभागीय कमजोरी का हवाला देकर खबर प्रकाशित करने की देता है धमकी
- भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी खबर छपने के भय से दे रहे है माहवार मोटी रकम
वाराणसी (रणभेरी)। वाराणसी में स्टिंग आपरेशन का धौंस देकर ओवरलोड वाहनों और पुलिसकर्मियों से वसूली करने वाले 9 कथित पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल भेजने वाली लंका पुलिस की जितनी भी प्रशंसा की जाय वह कम है। आज फर्जी एवं दलाल प्रवृत्ती के तथाकथित पत्रकारों की वजह से ही निष्ठावान एवं कर्मयोगी पत्रकारों की ईमानदार छवि पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं। ऐसे में संगठित गिरोह बनाकर वसूली करने वाले कथित पत्रकारों को बेनकाब करके वाराणसी पुलिस ने एक काबिल-ए-तारीफ़ गुडवर्क किया है।
ओवरलोड वाहनों और पुलिसकर्मियों से वसूली करने वाले पत्रकारों का नाम सामने आने के साथ ही रणभेरी को एक ऐसे तथाकथित पत्रकार की पुख्ता जानकारी प्राप्त हुई है जो कि परिवहन विभाग का एक निलंबित अधिकारी है। विशेष सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार लगभग एक वर्ष पूर्व से उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग का एक निलंबित अधिकारी भी खुद को पत्रकार बताकर अपने ही विभाग के दर्जनों अधिकारियों से वसूली कर रहा है। सूत्र बताते हैं कि वाराणसी का रहने वाला परिवहन विभाग का एक निलंबित अधिकारी पूर्वांचल के लगभग एक दर्जन जिले के परिवहन विभाग से माहवार मोटी रकम वसूल रहा है। भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित यह अधिकारी इतना शातिर है कि वह किसी से कभी फोन पर बात तक नहीं करता है।
बताया जा रहा है कि पूर्वांचल के दर्जनों अधिकारियों को व्हाट्सअप मैसेज के जरिए उनकी कमजोरी का हवाला देते हुए यह तथाकथित पत्रकार लगभग एक वर्ष से अवैध वसूली में लिप्त है। अपनी पहचान छुपाये रखने के लिए किसी से भी फोन पर बात न करने वाला यह अधिकारी पहले तो अपने ही विभाग के अधिकारियों को विभागीय कमजोरी का हवाला देता है, फिर उन्हें भ्रष्टाचार के सबूत भेजता है और इसके बाद खबर प्रकाशित करवाने की धमकी भी देता है। इसके बाद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी खबर छपने के भय से माहवार मोटी रकम अदा करने को राज़ी हो जाते हैं।
(पत्रकार बनकर अपने ही विभाग से अवैध वसूली करने वाले निलंबित परिवहन अधिकारी ने अपने मोबाईल के व्हाट्सअप की डीपी पर यही चित्र लगाया हुआ है)
चूकि उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग को भ्रष्टाचार का शिरोमणि माना जाता है ऐसे में भ्रष्टाचार के जरिये लाखों रूपये की काली कमाई करने वाले अधिकारी भी कुत्ते के आगे रोटी का एक टुकड़ा फेंककर आगे बढ़ जाने में ही अपनी भलाई समझते है यही वजह है कि ब्लैकमेलिंग करने वाले तमाम कथित पत्रकारों का खर्चा परिवहन विभाग की बदौलत ही चलता है। ऐसे में पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के जरिये हराम की कमाई करने वाले अधिकारी को वसूली की ऐसी लत लगी कि निलंबन के बाद वह स्वयं ही पत्रकार बन कर अपने ही विभाग के छोटे-बड़े सभी भ्रष्टाचारियों को एक-एक करके शिकार बनाने लगा और ब्लैकमेलिंग के जरिये मोटी रकम वसूल करने के साथ ही वास्तविक पत्रकारों की छवि भी धूमिल कर रहा है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों की कमजोरी का फायदा उठाकर यह निलंबित अधिकारी बड़े पैमाने पर एक संगठित अपराध की पौध को सींच रहा है।
अब देखना यह होगा कि स्टिंग आपरेशन का धौंस देकर हाईवे पर ओवरलोड वाहनों और पुलिसकर्मियों से वसूली करने वाले 9 कथित पत्रकारों का कनेक्शन कहीं परिवहन विभाग के इसी निलंबित अधिकारी व कथित पत्रकार से तो नहीं है जिसकी शह पर ये कथित पत्रकार सड़क पर बेख़ौफ़ अवैध वसूली को अंजाम दे रहे थें।
(परिवहन विभाग के इस निलंबित अधिकारी एवं तथाकथित पत्रकार की पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिये वाराणसी से प्रकाशित हिन्दी सांध्य दैनिक समाचार पत्र ‘गूँज उठी रणभेरी’।)