गंगा तल से सौ फीट की ऊंचाई से गुजरेगी फोरलेन सड़क

गंगा तल से सौ फीट की ऊंचाई से गुजरेगी फोरलेन सड़क

15 अप्रैल तक मंत्रालयों से एनओसी मिलने के बाद जारी हो सकती है निविदा

वाराणसी (रणभेरी):  दुनिया भर को रिझाने वाली गंगा की लहरों के समानांतर ही रेती के पास से गुजरने वाली सड़क बाढ़ के उच्चतम बिंदु के करीब से गुजरेगी। पड़ाव से रामनगर के बीच बनने वाली 6.8 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण गंगा के तल से 100 फीट की ऊंचाई से होगा। इसके सर्वे का काम पूरा होने के बाद इस रिवर फ्रंट परियोजना की लागत 2100 करोड़ रुपये आंकी गई है। इस पूरी परियोजना में ज्यादातर सरकारी जमीन का ही उपयोग किया जाएगा, मगर करीब 20 फीसदी निजी जमीन को अधिग्रहित करने के लिए चिन्हांकन कर लिया गया है। 

रामनगर से पड़ाव के बीच बनने वाली फोरलेन सड़क गंगा के किनारे बांध की तरह ऊंचाई से गुजरेगी। कैबिनेट से स्वीकृत परियोजना की अनापत्ति (एनओसी)के लिए वन मंत्रालय, नमामि गंगे और पर्यावरण मंत्रालय से अनापत्ति का आवेदन कर दिया गया है। माना जा रहा है कि 15 अप्रैल तक मंत्रालयों से एनओसी मिलने के बाद निविदा जारी कर दी जाएगी। फोरलेन सड़क के बीच पांच फीट चौड़ा डिवाइडर और दोनों किनारों पर 30 फीट चौड़ी सर्विस लेन बनाई जाएगी। सड़क के बाद 8-8 फीट की पटरी बनेगी, इसके बाद 3-3 फीट के नाले का निर्माण होना है। इस तरह अब यह सड़क कुल 86 मीटर चौड़ी बनेगी, ताकि आने जाने वाले राहगीरों को राहत मिले, साथ ही इस सड़क को बाईपास के चौड़ीकरण के साथ मिलाया जाएगा। यहां बता दें कि इस सड़क का गंगा पार रेती से सीधा जुड़ाव होने के कारण चंदौली, मिर्जापुर, बिहार और मध्यप्रदेश सहित अन्य शहरों के सैलानी व श्रद्धालु बिना शहर में प्रवेश किए सीधे गंगा घाटों पर पहुंच जाएंगे।

सड़क बनने के बाद निर्माण भी होगा संभव

गंगा से सटे दर्जनों गांव हाई फ्लड लैंड (एचएफएल)में शामिल हैं। गंगा किनारे एचएफएल की ऊंचाई से सड़क निर्माण की योजना है। इसके बनने से आसपास के गांव एचएफएल से बाहर हो जाएंगे। वर्तमान में एचएफएल की वजह से इन गांवों में वीडीए के नक्शा स्वीकृति पर रोक है और निर्माण कार्य भी प्रतिबंधित है। रामनगर से सेमरा तक एक सड़क बनने से कई इलाके एचएफएल से बाहर हो जाएंगे। उसी तर्ज पर रामनगर से पड़ाव की सड़क को तैयार किया जाएगा।

पड़ाव से रामनगर के लिए नापी शुरू

पड़ाव से रामनगर तक 6.8 किलोमीटर सड़क के लिए रामनगर में सड़क मापन की प्रक्रिया शुरू हो गई। 1946 के नक्शे के आधार पर जमीनों का चिन्हांकन और नपाई कराई जा रही है। इसमें कई जगहों पर निजी जमीनों को भी चिन्हित किया गया है।