पेरिस में परचम लहरा रहीं बेटियां... स्पोर्ट्स सिटी में कूड़े में फेंक दी नवजात, गोद लेने वालों की लाइन

पेरिस में परचम लहरा रहीं बेटियां... स्पोर्ट्स सिटी में कूड़े में फेंक दी नवजात, गोद लेने वालों की लाइन

शुक्रवार को शुरू हुए पेरिस ओलंपिक में जहां मेरठ की तीन बेटियां देश का परचम लहरा रही हैं वहीं शहर की स्पोर्ट्स कॉलोनी में एक नवजात को कूड़े के ढेर पर फेंक दिया गया। सूचना पर अधिकारी मौके पर पहुंचे और बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया

मेरठ । पेरिस में शुक्रवार रात 11 बजे ओलंपिक के 33वें संस्करण का शुभारंभ हुआ। भारतीय दल के 117 सदस्यों में 47 बेटियां हैं। मेरठ और सहारनपुर की चार बेटियां देश के लिए पदक जीतने के लिए बेताब हैं। इसी दिन स्पोर्ट्स सिटी के नाम से प्रसिद्ध मेरठ के खजूरी गांव में एक नवजात बच्ची को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया। बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है। एक तरफ जहां बेटियां हर क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पटल पर परचम लहरा रही हैं, वहीं, दूसरी ओर समाज का यह घिनौना चेहरा मानवता को शर्मसार कर रहा है। 

परीक्षितगढ़ क्षेत्र के खजूरी गांव में शुक्रवार रात नौ बजे नवजात बच्ची को कूड़े के ढेर में फेंक दिया गया। पास में ही एक मकान में रहने वाली साजिदा को जब बच्ची के रोने की आवाज आई तो वह मौके पर पहुंची। बच्ची के पास कुत्ते भौंक रहे थे। गनमीत रही कि साजिदा समय रहते पहुंच गई और उसने कुत्तों को भगाकर बच्ची को गोद में उठा लिया। बच्ची के रोने की आवाज सुनकर कुछ ही देर में ग्रामीण भी मौके पर जमा हो गए।
बच्ची को जिसने देखा वही उसकी मां और पिता को कोसने लगा। हालांकि किन हालातों में बच्ची को कूड़े के ढेर में फेंका गया। इसकी किसी को जानकारी नहीं थी। ग्राम प्रधान ने पुलिस और स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी। थाना पुलिस ने बच्ची को परीक्षितगढ़ सीएचसी में भर्ती कराया गया। वहां से स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे मेरठ भेज दिया। महिला साजिदा भी बच्ची के साथ ही है। सीएचसी प्रभारी डॉ. रवि शंकर ने बताया कि नवजात बच्ची स्वस्थ है। वजन ढाई किलो है। उसके शरीर पर छोटी-मोटी चोट आई है।

गोद लेने वालों की भीड़ लगी

पुलिस ने बताया कि जब बच्ची के कूड़े के ढेर में मिलने की जानकारी होते ही। कई ऐसे लोग भी मौके पर पहुंचे जो बच्ची को गोद लेना चाहते थे। लेकिन कानूनी प्रक्रिया पूरी किए बिना बच्ची को किसी के सुपुर्द नहीं किया जा सकता था। चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया है।

हम क्यों न करें बेटियों पर गर्व

बेटियां आज किसी की मोहताज नहीं हैं। बेटियां अपने माता-पिता का नाम देश ही नहीं दुनिया में रोशन कर रही हैं। मेरठ में अधिकांश अधिकारी भी महिलाएं हैं। यहां की कमिश्नर सेल्वा कुमारी जे. हैं। सीसीएसयू की कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला, पीवीवीएनएल की एमडी ईशा दुहन, सीडीओ नुपूर गोयल हैं।

सीओ दौराला शुचिता सिंह और सीओ सदर देहात नवीना शुक्ला हैं। एलआईयू सीओ प्रीति सिंह हैं। जिले की प्राथमिक शिक्षा की कमान भी बेसिक शिक्षा अधिकारी आशा चौधरी के हाथ में है। इसके अलावा डिग्री कॉलेजों में कई प्राचार्य के पद पर आसीन हैं और बेटियों का भविष्य संवार रही हैं।

प्रक्रिया पूरी करने के बाद गोद ली जा सकती है बच्ची: डीएम

नियमानुसार डॉक्टरों द्वारा बच्ची के स्वस्थ होने की रिपोर्ट देने के बाद उसे शिशु गृह में रखा जाएगा। शिशु गृह रामपुर, बदायूं सहित कई जनपदों में बने हुए हैं। जहां बच्चे की देखरेख की जाती है। बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया भारत सरकार कार्यदाई संस्था में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। प्रक्रिया के बाद ही बच्चे को कोई व्यक्ति गोद ले सकता है। - दीपक मीणा, डीएम