कमिश्नर साहब जरा गौर फरमाइए !

- वीसी पुलकित गर्ग ने वीडीए को बना दिया भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा !
- गरीबों के चकनाचूर होते है अरमान, वीसी को नहीं दिखते धन्नासेठों के मकान
- गंगा तट से एचएफएल तक शहर में हर तरफ हो रहे अवैध निर्माण पर वीसी की चुप्पी क्यों !
- रामघाट में गरीबों के अस्पताल को भी रसूखदारों ने कर दिया नीलाम, वीसी पुलकित गर्ग की मौन सहमति से बन गया होटल आलिशान
- नगवां वार्ड के बृज इंक्लेव कॉलोनी में सद्दाम ने कब्रिस्तान की जमीन पर खड़ी कर दी अवैध इमारत
अजीत सिंह
वाराणसी (रणभेरी): प्रधानमंत्री का सपना था कि बनारस को स्मार्ट सिटी बनाना है। स्मार्ट सिटी भले ही बने हो या न बने हो पर विकास प्राधिकरण ने शहर के बर्बादी की इबारत इस कदर लिख दी कि गंगा किनारे से लेकर एचएफएल क्षेत्र तक जमीनों को गैरकानूनी ढंग से नीलाम कर दिया गया। अवैध निर्माण पर बुलडोजर की कार्रवाई सिर्फ गरीबों के उस अरमान पर पानी फेरने के लिए की जाती है, जिसमें उसने पाई पाई बचाकर एक छत बनाने की सोचता है। बात जब धन्नासेठों की हो तो जोनल से लेकर वीसी तक गैरजिम्मेदार और अंधे हो जाते हैं। हैरत की बात यह है कि जिस वाराणसी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद को मण्डल के मंडलायुक्त सुशोभित करते हैं उस संस्था में उपाध्यक्ष के संरक्षण में चरम पर भ्रष्टाचार पनप रहा है और वह भी तब जब यहां अध्यक्ष के रूप में वाराणसी के कमिश्नर एस राजलिंगम कुर्सी सम्भाल रहे है। वर्तमान मंडलायुक्त एस.राजलिंगम ने इसी वाराणसी में ही जिलाधिकारी के पद पर रहते हुए सेवा व ईमानदारी की मिसाल कायम करने का काम किया है। चूकि संवैधानिक रूप से उपाध्यक्ष सदैव अपने अध्यक्ष के डाउनलाइन ही अपनी दायित्वों का निर्वहन करता है। ऐसे में वीडीए बोर्ड के अध्यक्ष की भी जिम्मेदारी होती है कि वो वीसी सहित समस्त जिम्मेदार अफसरों के कृत्यों पर नजर रखे। वर्तमान में जबकि वाराणसी के कमिश्नर एस. राजलिंगम है। इसमें कोई दोराय नहीं की कमिश्नर एस राजलिंगम की छवि एक ईमानदार प्रशासक के रूप में बनी हुई है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में डीएम से पदोन्नत हुए कमिश्नर एस. राजलिंगम को वाराणसी में ही तैनाती दी गई ताकि पीएम के संसदीय क्षेत्र में विकास की गति कमजोर न पड़े। यह उनके उस अच्छे कामों का तोहफा है जो उन्होंने जिलाधिकारी होते हुए काशी के हित में किया था। अपने कामों के प्रति समर्पण, आम जनता की तकलीफ को सुनना और उसका निस्तारण करना, भ्रष्टाचार पर सख्ती कमिश्नर एस. राजलिंगम को एक बेहतर प्रशासनिक अधिकारी बनाने में चार चांद लगाती है। लेकिन इसे दुर्भाग्य कहिए या वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग की चालाकी की वो कमिश्नर साहब सहित मुख्यमंत्री के भी आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो रहे हैं। वीडीए वीसी के संरक्षण में शहर में भ्रष्टाचार पनप रहा है। चाहे वो सद्दाम का बृजइनक्लेव में हुए अवैध निर्माण हो या फिर रिजवान का आईपी विजया के सामने हो रहे अवैध निर्माण। चाहे वो शहर के धन्नासेठ चेतमणि ज्वेलर्स वाली बिल्डिंग हो या फिर दुर्गाकुंड के सामने बन रहा होटल हो, चाहे गंगा किनारे सुखनानंद बाबा आश्रम के पास हो रहा अवैध निर्माण...वीसी साहब ने धन्नासेठों के अवैध निर्माण पर पूरी तरह से अपनी आंख मूंद ली है।
कमिश्नर साहब...जिस संस्थान के अध्यक्ष का दायित्व आपके हाथ में है उस संस्थान में आपके नाक के नीचे सरकार विरोधी गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। वाराणसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की देखरेख में शहर के हर क्षेत्र में अवैध इमारत का निर्माण कराया जा रहा है और बाकायदा उन्हें संरक्षण भी प्रदान किया जा रहा है। ऐसे ही कृत्यों के जरिए प्राधिकरण में जिम्मेदार कुर्सी पर बैठे अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से धन उगाही की जा रही है। एक तरफ अवैध निर्माण करवाया जाता है दूसरी तरफ निर्माण को बचाने के लिए अवैध निर्माण कर्ताओं को रास्ता भी बताया जाता है। नतीजा यही है कि अवैध निर्माणकर्ता अपने अवैध निर्माण को बचाने के लिए आपके यहां अपील करते हैं और उम्मीद करते हैं कि उन्हें आपसे राहत मिले। कमिश्नर साहब...असल में इन सब के पीछे विकास प्राधिकरण के अधिकारियों की ही मुख्य भूमिका होती है जो बड़े पैमाने पर शहर में बर्बादी की इबारत लिख रहे हैं और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने में संलग्न है।
कमिश्नर साहब... आप तो जानते ही हैं कि हमारे प्रधानमंत्री का सपना है कि बनारस को एक स्मार्ट सिटी के रूप में दुनिया के नक्शे पर चमकाया जाए। लेकिन हकीकत यह है कि विकास के नाम पर कुछ लोगों ने सिर्फ अपने घर भर लिए। गंगा किनारे से लेकर एचएफएल तक और रामघाट से लेकर बृज इंक्लेव तक, वाराणसी विकास प्राधिकरण यानी वीडीए के अफसरों ने शहर को ठेके पर चढ़ा दिया है। वीडीए उपाध्यक्ष पुलकित गर्ग के कार्यकाल में ऐसा कोई इलाका नहीं बचा जहां नियमों की धज्जियाँ न उड़ाई गई हों। गरीब के झोपड़े पर बुलडोजर चलाना आसान है, लेकिन जब बात करोड़ों की अवैध इमारत की होती है तो वीडीए के अफसरों की आंखों पर पट्टी बंध जाती है। उम्मीद है आप सरकार की मंशा और अपनी ईमानदार छवि को बरकरार रखते हुए वीडीए में पनप रहे भ्रष्टाचार के प्रति कोई सख्त कदम उठाएंगे।
सद्दाम और कब्रिस्तान की दीवार के पीछे की सच्चाई
वाराणसी के बृज इनक्लेव और उसके आस-पास के इलाकों में जमीन को लेकर चल रही हलचल कुछ सालों से चर्चा में है। मगर बीते दो वर्षों में यह हलचल एक संगठित अपराध का रूप ले चुकी है। सद्दाम और अल्ताफ नामक दो धन्नासेठों पर आरोप है कि उन्होंने पहले एक स्थानीय कब्रिस्तान की ज़मीन को सरकारी रिकॉर्ड से गायब कराया, फिर उस पर धीरे-धीरे निर्माण कार्य शुरू कर दिया। नगवां वार्ड के बृज इंक्लेव में कब्रिस्तान की ज़मीन पर 16 फ्लैट खड़े हो चुके हैं। न नक्शा, न अनुमति, न ज़मीन का म्युटेशन फिर भी निर्माण पूरा हो गया। और ज़ोनल अफसर संजीव कुमार से लेकर खुद वीसी तक कोई कुछ बोलता नहीं। उल्टे जब किसान ने जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत की, तो पुलिस ने किसान को ही थाने के चक्कर कटवा दिए। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) के नियमों के अनुसार, किसी भी बहुमंज़िला इमारत के लिए नक्शा पास कराना अनिवार्य है। मगर यहाँ न मानचित्र स्वीकृत प्रक्रिया की अनदेखी की गई , बल्कि ज़मीन की प्रकृति भी कृषि दिखा कर अवैध निर्माण किया गया। सूत्रों की मानें तो ज़ोनल अधिकारी संजीव कुमार को इस निर्माण की पूरी जानकारी थी। वीडीए के सर्वे रिकॉर्ड में यह निर्माण ‘नक्शा विहीन’ और ‘अस्वीकृत’ श्रेणी में दर्ज भी है। मुकदमे दर्ज है, ध्वस्तीकरण का आदेश है बावजूद इसके आज तक ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं शुरू की गई।
सद्दाम का कब्रिस्तान से कॉम्प्लेक्स तक का सफर
वाराणसी की गलियों में अब सिर्फ मंदिर नहीं बन रहे, बल्कि बेआवाज अपराध भी ऊँची-ऊँची मंज़िलों की शक्ल में खड़े हो रहे हैं। सद्दाम, अल्ताफ और रिज़वान जैसे लोगों ने कब्रिस्तान और किसान की ज़मीन को व्यापार में बदल दिया और पुलिस, प्रशासन व प्राधिकरण ने मिलकर उन्हें कानूनी मान्यता दे दी। जब प्रशासन कब्रिस्तान तक को नहीं सुरक्षित बचा पा रहा है, तो सोचिए आम जनता कितनी सुरक्षित है ? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति की असली परीक्षा ऐसे मामलों में होती है। क्या वह अपने ही अधिकारियों और बिल्डरों पर कार्रवाई कर पाएंगे ?
रिज़वान और नकली कागज़ों का जाल
रिज़वान, एक नाम जो अब शहर में कूटनीति और कूट रचना का प्रतीक बन चुका है। आईपी विजया के सामने अवैध इमारत खड़ी हो रही है। नकली दस्तावेज तैयार कर बिल्डिंग खड़ी कर दी गई और वीडीए की मिलीभगत से सीलिंग भी तोड़ दी गई। पुलिस रिपोर्ट दर्ज है, लेकिन कार्रवाई शून्य। क्या यही है कानून का शासन ?
रामघाट की शर्मनाक कहानी
रामघाट में एक अस्पताल था जो गरीबों के इलाज के लिए समर्पित था। वसीयतनामे में दर्ज था कि इसका इस्तेमाल सिर्फ जनसेवा के लिए होगा। लेकिन रसूखदारों ने उसे नीलाम कर डाला। और आज उसी जगह एक आलीशान होटल खड़ा है। सवाल ये है कि आखिर किसकी मौन सहमति से यह सब हुआ ? क्या विकास प्राधिकरण के दस्तावेजों में यह बदलाव दर्ज नहीं हुआ होगा ? क्या वीसी पुलकित गर्ग को इसकी भनक नहीं थी ?
वो सवाल जिसका वीडीए के जिम्मेदारों के पास नहीं हैं जवाब
सवाल 1 : कब्रिस्तान व किसान की जमीन पर सद्दाम व अल्ताफ ने आखिर कैसे किया कब्जा ?
किसी किसान या कब्रिस्तान की जमीन पर कोई साधारण व्यक्ति कब्जा करने की जुर्रत नहीं कर सकता। जगजाहिर है सद्दाम और अल्ताफ एक दबंग और रसूख वाले व्यक्ति है जिन्होंने कुछ भूमि दस्तावेजों का हेर फेर करके फर्जी तरीके से अपने नाम किया फिर कुछ जमीन कमजोर लाचार किसानों का जबरन अपने दबंगई के बलबूते कब्जा कर अपने नाम नाम कर लिया। फिर वीडीए में सबसे बड़ा सेटर रिजवान नामक बिल्डर से बृज इंक्लेव कॉलोनी में निर्माण शुरू करवाया। वीडीए की कार्रवाई मात्र दिखावा रही और सद्दाम के रसूख और दबंगई के आगे वीडीए के अधिकारी अपने जमीर को नीलाम कर बैठे।
सवाल 2 : बिना मानचित्र स्वीकृति के बृज इनक्लेव में कैसे बन गए 16 फ्लैट
बृज इंक्लेव कॉलोनी में सद्दाम ने जो चार मंजिले में 16फ्लैट बनवाए है वह पूरा अवैध है। कूटरचित दस्तावेज के आधार पर वीडीए के अधिकारियों की मिलीभगत से पूरा निर्माण करवाया गया है। न मानचित्र स्वीकृत हुई न कि निर्माण में किसी नियम का पालन किया गया। ध्वस्तीकरण के आदेश के बावजूद वीडीए के अधिकारी सद्दाम के हनक के आगे अपना बुलडोजर खड़ा करने में कतरा रहे हैं।
सवाल 3 : किसान की जमीन पर जब सद्दाम और अल्ताफ ने किया कब्जा तब पुलिस ने क्यों किया किसान को अनसुना ?
जब सद्दाम और अल्ताफ द्वारा किसानों की भूमि को कब्जा किया जा रहा था तब भी मामला पुलिस के पास पहुंचा था। पर गरीब किसान की कौन सुने ! पुलिस उल्टे किसान को ही प्रताड़ित करने लगी। सद्दाम के धन बल के आगे पुलिस ने भी किसान के गुहार को अनसुना कर दिया। नतीजा सद्दाम और अल्ताफ ने बड़ी आसानी से पुलिस के साथ मिलकर किसान की जमीन को अपने कब्जे में ले लिया।
सवाल 4 : सीलिंग तोड़कर निर्माण के मामले में सद्दाम के विरुद्ध दर्ज मुकदमे में पुलिस क्यों रही खामोश ?
जब सद्दाम ने बृज इंक्लेव कॉलोनी में निर्माण शुरू किया तब से आपका अपना अखबार गूंज उठी रणभेरी इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता रहा। असर इतना हुआ कि वीडीए के जिम्मेदारों ने सद्दाम के मकान को सील कर दिया। लेकिन सद्दाम के रसूख के आगे वीडीए के वही अधिकारी अपना जमीर गिरवी रख दिए। सील के बावजूद भी निर्माण जारी रहा। फिर जब इसके खिलाफ आवाज उठाई गई तो वीडीए के अधिकारियों ने खुद को बचाने के लिए मुकदमा दर्ज करवाया और पुलिस अभिरक्षा में सौंप दिया। लेकिन भेलूपुर पुलिस भी सद्दाम के धन बल के आगे अपनी ईमानदारी खो बैठी। पुलिस खामोश रही और निर्माण जारी रहा।
सवाल 5 : कूटरचित दस्तावेज तैयार करने वाले गिरोह से जुड़े बिल्डर रिज़वान पर आखि़र क्यों नहीं पड़ रही खुफिया नज़र ?
सद्दाम अल्ताफ और रिज़वान की बात जब आती तो यह जानकार हैरानी होती है कि इतना बड़ा चालबाज, कूटरचित दस्तावेज के आधार पर जमीनों पर कब्जा करने वाला भूमाफिया प्रवृत्ति का रिज़वान आखिर खुफिया नजरों से कैसे बच जा रहा है, जबकि इसका गिरोह वीडीए के अंदर तक सक्रिय है।
सवाल 6 : अवैध इमारत के ध्वस्तीकरण आदेश पर जोनल अधिकारी संजीव कुमार ने क्यों साधी चुप्पी
वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) द्वारा जारी किए गए अवैध इमारत के ध्वस्तीकरण आदेश पर जोनल अधिकारी संजीव कुमार की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। सद्दाम के रसूख और राजनीतिक पकड़ के आगे जोनल अधिकारी संजीव कुमार आज तक कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं की। चुकी सद्दाम रसूखदार व्यक्ति है, जिसे कथित रूप से राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। संजीव कुमार की चुप्पी इसी मिलीभगत का हिस्सा है जो सद्दाम के रसूख के आगे गिरवी रखा जा चुका है। सवाल उठता है कि क्या नियम-कानून सिर्फ आम लोगों के लिए हैं ? क्या प्राधिकरण के अधिकारी दबाव या लोभ में आकर अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ रहे हैं ? इस चुप्पी ने वीडीए की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
सवाल 7 : सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस वाली नीति को वीसी पुलकित गर्ग क्यों रखते हैं ठेंगे पर ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जीरो टॉलरेंस नीति के बावजूद वाराणसी विकास प्राधिकरण के वीसी पुलकित गर्ग का रवैया सवालों के घेरे में है। अवैध निर्माण, फर्जी नक्शा स्वीकृति और भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की बजाय वीसी महोदय चुप्पी साधे रहते हैं। आरोप है कि रसूखदारों को बचाने के लिए वह जानबूझकर कार्रवाई टालते हैं। जबकि सीएम का स्पष्ट निर्देश है कि कानून तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई हो। पुलकित गर्ग की निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण कार्यशैली, सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा रही है और सीएम की नीति को ठेंगा दिखा रही है।
पार्ट- 30
रणभेगी के अगले अंक में पढ़िए......राजस्व की चोरी करने वाले सर्राफा व्यवसायी को कौन बचा रहा है ?