वीडीए के भ्रष्टाचार में भाजपा नेताओं का भी हिस्सा !

वीडीए के भ्रष्टाचार में भाजपा नेताओं का भी हिस्सा !
  • बोले विपक्षी नेता : वीडीए बोर्ड के मेंबर में सरकार के तीन तीन प्रतिनिधि, फिर भी चरम पर भ्रष्टाचार 
  • सीएम के खासमखास ही करते हैं धन्नासेठों के अवैध निर्माण की पैरवी, फिर अधिकारियों से कैसी उम्मीद
  • जगह-जगह हो रहा अवैध निर्माण, वसूली का अड्डा बन गया वाराणसी विकास प्राधिकरण 
  • बोले विपक्षी नेता : अवैध निर्माण से वसूली की रकम में जनप्रतिनिधियों का भी हिस्सा, इसलिए नहीं दिखता भ्रष्टाचार 

अजीत सिंह 

वाराणसी (रणभेरी):  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भ्रष्टाचार के नाले में वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) बुरी तरह डूबा हुआ है। शहर के कोने-कोने में अवैध निर्माण धड़ल्ले से जारी है। इस पूरे खेल में जहाँ अधिकारी, इंजीनियर और बिल्डरों का गठजोड़ है, वहीं विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि सत्ता पक्ष के कई प्रभावशाली नेता भी इस गिरोह का हिस्सा बन गए हैं। विपक्षी दलों ने साफ कहा है कि जब खुद सरकार के तीन-तीन प्रतिनिधि वीडीए बोर्ड में शामिल हैं, फिर यह बेलगाम भ्रष्टाचार कैसे पनप रहा है ? क्या यही अच्छे दिन हैं ? जनप्रतिनिधि ही धन्नासेठों के संरक्षक बने हुए हैं। विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि भाजपा से जुड़े कुछ ताकतवर नेता सीधे वीडीए अफसरों पर दबाव डालकर रसूखदार बिल्डरों के अवैध प्रोजेक्ट पूरा करवाते हैं। गंगा किनारे लग्जरी होटल से लेकर शहर के भीतरी हिस्सों में फ्लैट और कॉम्प्लेक्स इन्हीं नेताओं के छत्रछाया में खड़े हो रहे हैं।
अगर यह बात सही है तो ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब एक सीएम के करीबी ही अवैध निर्माणकर्ताओं की पैरवी करेंगे तो क्या नीचे के अफसर कार्रवाई करने की हिम्मत जुटा पाएंगे ? नतीजा यही है कि धन्नासेठों के लिए नियम टूटते हैं और गरीबों के आशियाने गिराए जाते हैं।

वीडीए में चलता है वसूली का खुला खेल

वीडीए में अवैध निर्माण के हर मंजूर नामंजूर प्रोजेक्ट के पीछे डील होती है। बिचौलियों से लेकर उच्च अधिकारियों तक, तयशुदा 'कट' में हिस्सा जाता है। विपक्षी नेताओं का आरोप है कि भाजपा के कुछ नेता इस वसूली तंत्र का हिस्सा हैं। यही वजह है कि करोड़ों के अवैध निर्माण रातोंरात खड़े होते जा रहे हैं और कार्रवाई का नोटिस महीनों तक फाइलों में दबा रहता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार वीडीए को सख्त निर्देश दे चुके हैं कि गंगा किनारे और नगर के भीतर अवैध निर्माण रोकें। मगर जमीनी हकीकत यह है कि वीसी साहब और जोनल अधिकारी भाजपा के कुछ बड़े नेताओं के दबाव में नियम-कानून ताक पर रखकर काम कर रहे हैं। अब आम जनता का आक्रोश फूटने लगा है। आम नागरिक सवाल कर रहे हैं कि क्या वाराणसी को बड़े बिल्डरों के हाथों गिरवी रख दिया गया है ? एक स्थानीय नेता का कहना है कि वीडीए अब विकास का नहीं, वसूली का प्राधिकरण बन गया है। भाजपा नेताओं के संरक्षण में चल रहे इस भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन खड़ा करना होगा। ऐसे में यह कहना कोई दो राय नहीं कि पीएम के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में सुशासन की तस्वीर बुरी तरह धुंधली हो चुकी है। जब शासन के भीतर बैठे लोग ही भ्रष्टाचार के हिस्सेदार बन जाएँ, तो ईमानदारी और विकास की बातें बेमानी लगती हैं। सवाल है कि क्या मुख्यमंत्री इस गिरोह पर कड़ी कार्रवाई करेंगे ? या फिर अपनों को बचाने की कवायद जारी रहेगी ?

...तो जनप्रतिनिधियों तक भी पहुंचता है वसूली का हिस्सा ?

यह बात अब किसी से छिपी नहीं है कि वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) में भ्रष्टाचार किस कदर जड़ें जमा चुका है। शहर में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण इसके सबसे बड़े प्रमाण हैं। विपक्षी दलों के नेताओं की माने तो अवैध निर्माणों से वसूली जाने वाली मोटी रकम का हिस्सा केवल भ्रष्ट अफसरों और दलालों तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि जनप्रतिनिधियों तक भी पहुंचता है। यही वजह है कि तमाम शिकायतों, जनहित याचिकाओं और मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद वाराणसी में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई नहीं होती। वीडीए के सूत्रों की मानें तो शहर के हर जोन में अवैध निर्माण से बकायदा रेट तय है। निर्माण शुरू होने से पहले ही बिल्डर या मकान मालिक को तय रकम देनी होती है। यह रकम वीसी, जोनल अधिकारी, जूनियर इंजीनियर, बाबू, स्थानीय दलाल और क्षेत्रीय नेताओं में बंट जाती है। कई बार तो जनप्रतिनिधि खुद निर्माण कराने वालों को सुरक्षा दिलाने के एवज में मोटी रकम वसूलते हैं। स्थानीय पार्षदों से लेकर बड़े नेता तक इस खेल में शामिल बताए जाते हैं। जब खुद सत्ता पक्ष के लोग इस धंधे से लाभान्वित हो रहे हों तो अफसरों पर कार्रवाई की उम्मीद करना बेमानी है। यही वजह है कि वाराणसी जैसे धार्मिक और सांस्कृतिक नगर में गंगा के तट पर,  कुण्ड तालाबों के इर्द गिर्द, हेरिटेज जोन के साथ ही सड़कों पर अतिक्रमण कर धड़ल्ले से निर्माण हो रहे हैं। एक विपक्षी नेता ने आरोप लगाया कि वीडीए बोर्ड में सरकार के तीन-तीन प्रतिनिधि मौजूद होने के बावजूद प्राधिकरण में भ्रष्टाचार चरम पर है। सवाल यह भी उठता है कि जब अवैध निर्माण से करोड़ों की वसूली हर महीने होती है तो आखिर वह पैसा कहां जाता है ? क्या इसका बड़ा हिस्सा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राजनीतिक फंडिंग और निजी संपत्ति बढ़ाने में खपता है ? जनहित में जरूरी है कि इस वसूली उद्योग की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाए, वरना विकास के नाम पर वाराणसी में अराजकता और बढ़ेगी।

अवैध निर्माण के लिए वीडीए के वीसी और जोनल अधिकारी जिम्मेदार 

विपक्षी दलों ने विकास प्राधिकरण में फल फूल रहे भ्रष्टाचार और अवैध निर्माण के मुद्दे पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। एक प्रमुख विपक्षी नेता ने हाल ही में बयान दिया कि शहर में हो रहे अवैध निर्माण के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार खुद वीडीए के वीसी (उपाध्यक्ष) और जोनल अधिकारी हैं। उनका कहना है कि बिना वीसी और जोनल अफसरों की मिलीभगत के कोई भी बड़ा अवैध निर्माण संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर वीसी और जोनल अधिकारी ईमानदारी से काम करें तो एक भी अवैध निर्माण शहर में खड़ा नहीं हो सकता। विपक्षी नेता ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य शुरू होते ही स्थानीय दलाल, जोनल कार्यालय और वीसी कार्यालय के चक्कर लगने लगते हैं और सेटिंग के बाद ही निर्माण जारी रहता है। उन्होंने यह भी कहा कि वीसी का संरक्षण मिलने के बाद ही जोनल अधिकारी पूरे जोन में अवैध निर्माण का खेल खुलकर खेलते हैं। इसी वजह से गंगा किनारे, मुख्य सड़कों, रिहायशी इलाकों और यहां तक कि प्रतिबंधित जोन में भी ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हो रही हैं। विपक्षी नेता ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वीडीए में बैठे इन भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और पूरे सिस्टम की स्वतंत्र जांच कराई जाए। जब तक वीसी और जोनल अफसरों पर सख्ती नहीं होगी, तब तक अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार पर रोक लगाना असंभव है।

काशी के पुराने मठ-मंदिरों को तोड़कर उन्हें होटलों में बदलने का काम तेज़ी से चल रहा है। इसमें वाराणसी विकास प्राधिकरण के कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आ रही है। यदि प्राधिकरण ने इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई तो काशी की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत नष्ट हो जाएगी। आने वाले समय में मठ-मंदिरों की जगह केवल होटल ही नज़र आएंगे, जो काशी की पहचान और आध्यात्मिक गरिमा के लिए घातक सिद्ध होगा।

 गुरु प्रसाद सिंह, राष्ट्रीय महासचिव लोकबंधु पार्टी, उत्तर प्रदेश

तीनों लोकों से न्यारी काशी का विकास वाराणसी विकास प्राधिकरण को सोच-समझकर करना चाहिए। आधुनिकता की दौड़ में काशी की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए। विकास की योजनाएं इस तरह बनाई जाएं कि प्राचीनता और आधुनिकता का संतुलन बना रहे। ऐतिहासिक मठ, मंदिर, घाट और संकरे गलियों की पहचान सुरक्षित रहे, तभी काशी की आत्मा जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को इसकी गौरवशाली विरासत देखने को मिलेगी।

रामपाल, पदाधिकारी लोकबंधु पार्टी

वाराणसी विकास प्राधिकरण अपनी सीमा क्षेत्र में  ड्रोन से निगरानी कर रही है उसके बावजूद अवैध निर्माण होना कहीं नहीं कहीं ना कहीं वीडीए  के कार्यों पर सवालिया निशान लगा रहा है कि इतनी निगरानी  के बाद भी लोग कैसे अवैध निर्माण कर रहे हैं।

 हितेंद्र जेसवाल, वरिष्ठ पदाधिकारी, लोक बंधु पार्टी

वीडीए को अपने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक यह भ्रष्ट अधिकारी विभाग में रहेंगे अवैध निर्माण पर लगाम नहीं लग पाएगा और शहर की व्यवस्था इसी तरह चौपट होती रहेगी। विभाग के भ्रष्ट कर्मचारी  शहर में गलत कार्यों को बढ़ावा दे रहे हैं।

विकास कुमार सिंह 

वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) को अपने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए। जब तक ये अधिकारी विभाग में बने रहेंगे, अवैध निर्माणों पर रोक लगाना संभव नहीं होगा। इनकी मिलीभगत से शहर में अव्यवस्था और अनियमित निर्माण बढ़ते जा रहे हैं। विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी निजी स्वार्थ में नियमों की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं, जिससे शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान भी खतरे में पड़ रही है। तुरंत सख्त कदम उठाना आवश्यक है।

संध्या पांडेय 

पार्ट- 42 

रणभेरी के अगले अंक में पढ़िए...धूर्त सद्दाम ने अवैध इमारत में फिर शुरू कराया निर्माण