आखिर क्यों अंधा, गूंगा व बहरा बना बीएचयू प्रशासन ?
*सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में 41 और बेड की मांग को लेकर बीते 11 दिनों से आमरण अनशन पर है डॉ. ओमशंकर
वाराणसी (रणभेरी)। बीएचयू स्थित चिकित्सा विज्ञान संस्थान के सर सुंदरलाल अस्पताल में एक चिकित्सक तेजी से बढ़ रहे हृदय रोगियों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रोफेसर ओमशंकर का नाम पूर्वांचल में हर कोई जानता है। इन दिनों वो बीते 11 दिनों से आमरण अनशन पर हैं। वे हृदय रोगियों की जिंदगी बचाने के लिए कुल 86 बेड की डिमांड कर रहे हैं। मौजूदा समय में बीएचयू में हृदय रोगियों के लिए सिर्फ 45 बेड हैं। इन रोगियों के सस्ते इलाज के लिए प्रो. ओमशंकर सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक में 41 और बेड की डिमांड कर रहे हैं, जो उनके विभाग के मरीजों के लिए बनाए गए थे। अनशन के 11 दिन बाद भी बीएचयू प्रशासन अंधा, गूंगा और बहरा बना है। यह विडंबना ही है कि जहां एक तरफ आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में महिलाओं से रूबरू होंगे वहीं दूसरी तरफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय में एक डॉक्टर आम जनता के बेहतर ईलाज के लिए आमरण अनशन पर है। जिन 25 हजार महिलाओं को पीएम संबोधित करेंगे उनमें से ऐसे कई महिलाएं होंगी जिनके परिवार, रिश्तेदार या परिचित हृदय रोग की समस्या होने पर बीएचयू अस्पताल जाते होंगे। ऐसे में यह एक बड़ा सवाल है कि आखिर बीएचयू प्रशासन इतना संवेदन शून्य क्यों बना है ! डॉ. ओमशंकर का आरोप है कि कुलपति एस. के. जैन की शह पर सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो.के के गुप्ता ने इसे सर्जिकल ओंकोलॉजी, कैंसर के सर्जिकल उपचार केंद्र को दे दिया है। बनारस में कैंसर के मरीजों के लिए पहले से ही दो अस्पताल मौजूद हैं। प्रो. ओमशंकर का कहना है कि 8 मार्च को आईएमएस बीएचयू के निदेशक प्रो. एसएन संखवार ने लिखित आश्वासन दिया था। उन्होंने सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक का पूरा चौथा तल और पांचवें तल पर निर्धारित जगह देने की बात कही थी। अब वह अपने आदेशों से मुकर रहे हैं। जब तक निर्धारित जगह हृदय रोगियों को नहीं मिल जाती, चिकित्सा अधीक्षक को नहीं हटाया जाता है, तब तक अनशन समाप्त नहीं होने वाला है।
कौन हैं डॉक्टर ओमशंकर !
बीएचयू के सरसुंदर लाल अस्पताल में डॉ. ओमशंकर हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष हैं। वो पूर्वांचल के इकलौते ऐसे डॉक्टर हैं जो हर तरह की दिल की बीमारी के इलाज की काबिलियत रखते हैं। बीएचयू के सर सुंदर लाल अस्पताल को एम्स का दर्जा दिलाने के लिए वो तीन बार अनशन कर चुके हैं। चौथी बार, हृदय रोगियों के लिए बनाए गए बेड को दिलाने और बीएचयू के बेईमान अफसरों के खिलाफ जांच व कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। डॉक्टर ओमशंकर के विभाग में सभी आवश्यक और अत्याधुनिक उपकरण हैं, लेकिन बेड नहीं होने की वजह से अब तक करीब 33 हजार मरीजों को भर्ती नहीं कर सके। पता नहीं, कितनों की जान बची और कितनों को अपनी जिंदगी बचाने के लिए घर-मकान गिरवी रखना पड़ा।
भाकियू ने प्रो. ओमशंकर का किया समर्थन
बीएचयू अस्पताल के हृदय रोग विभाग में आने वाले मरीजों के इलाज के लिए अनशन पर बैठे प्रो. ओमशंकर का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। शिक्षकों, छात्रों, सामाजिक संस्थाओं के बाद अब किसानों ने भी समर्थन दिया है। सोमवार को 10 वें दिन अनशन स्थल पर पहुंचकर भारतीय किसान यूनियन के नेताओं ने बीएचयू कुलपति से मांगों पर कार्रवाई का मुद्दा उठाया। उधर, प्रो. ओमशंकर सुपरस्पेशियलिटी ब्लॉक का चौथा और पांचवां तल आधा लेने पर अड़े हैं। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) चंदौली के जिलाध्यक्ष सतीश सिंह चौहान ने कुलपति को ज्ञापन सौंप चेतावनी दी है कि अगर 24 घंटे के भीतर कार्रवाई नहीं की गई तो कुलपति कार्यालय पर धरना देंगे। इस दौरान आनंद कुमार मौर्या, राम दुलार, जीऊत मौर्य, कन्हैया मौजूद रहे।
तूल पकड़ता जा रहा डॉ. के अनशन का मुद्दा
अनशन का समर्थन करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। राजनीतिक दलों, शिक्षकों, सामाजिक संस्थानों के पदाधिकारियों और छात्रों ने समर्थन देते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से मांगों पर कार्रवाई करने के लिए कहा है। डा। ओमशंकर 11 मई से अनशन पर हैं, उनका कहना है कि आइएमएस निदेशक ने आठ मार्च 2024 को निर्देश दिया था कि हृदय रोग के मरीजों के लिए सुपरस्पेशियलिटी ब्लाक का पूरा चौथा तल और पांचवें तल पर निर्धारित जगह दिया जाए लेकिन अब वह अपनी बातों से मुकर रहे हैं। वह बेडों का गणित समझाकर मांगों से भटका रहे हैं। यह गलत है। एमएस को हटाने की मांग पर बीएचयू प्रशासन खामोश है। दोनों मांग पूरी होने तक अनशन जारी रहेगा।
कहीं कोविड वैक्सीन के विरोध की वजह से तो नहीं बहरा बना है बीएचयू प्रशासन !
प्रोफेसर ओमशंकर बीती 11 मई से सरसुंदर लाल अस्पताल परिसर स्थित हृदय रोग विभाग के कक्ष संख्या 14 में आमरण अनशन कर रहे है। उनके अनशन का आज 11 वां दिन है। अनशन में भी डॉक्टर ओमशंकर वहां के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। डॉ. ओमशंकर शुरूआत से ही कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर बोलते रहे हैं। उनका मानना है कि रिसर्च से साफ हो चुका है कि कोरोना के दौरान लगाए गए टीकों के चलते दिल के मरीजों में इजाफा हुआ है। दिल की बीमारी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। रिसर्च से पता चला है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन का टीका लगवाने वालों पर इसका घातक असर हो रहा है। कोविशील्ड को लेकर विवाद पहले से ही चल रहा है कि इसे लगाने से कुछ मरीजों में थ्रॉम्बोसिस थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम यानी टीटीएस हो सकता है। इस बीमारी से शरीर में खून के थक्के जम जाते हैं और प्लेटलेट्स की संख्या गिर जाती है। स्ट्रोक और हार्ट बीट थमने जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। डॉ. ओमशंकर का कहना है कि मैं शुरूआत से हिबकोविशील्ड वैक्सीन लगाए जाने का विरोध कर रहा हूं, जब अखबारों में सरकार की ओर से बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाए जा रहे थे। हमने इस वैक्सीन का एक डोज भी नहीं लिया था। मैंने पहले ही बता दिया था कि यह वैक्सीन सुरक्षित नहीं है। इंसान के शरीर पर इसका काफी बुरा असर पड़ रहा है। भारत में 67.18 फीसदी लोगों ने कोरोना वैक्सीन की कंप्लीट डोज लगवा रखी है। ऐसे लोगों का जीवन खतरे में है।