5 नदियों के जल से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक

धूमधाम से निकली काशी विश्वनाथ की वार्षिक कलश यात्रा, उमड़े श्रद्धालु
वाराणसी (रणभेरी सं.)। आज निर्जला एकादशी है...पौराणिक मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली निर्जला एकादशी का विशेष महत्व है। निर्जला एकादशी के मद्देनजर, काशी के गंगा घाटों पर सुबह से ही स्नान और दान के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ा हुआ है। आज का आयोजन 'आॅपरेशन सिंदूर' को समर्पित किया गया। काशी में निर्जला एकादशी के पावन अवसर पर शुक्रवार को सिंधु, चिनाब, झेलम, मानसरोवर और त्रिवेणी के पवित्र जल से बाबा विश्वनाथ का अभिषेक किया गया। काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति के तत्वावधान में भव्य कलश यात्रा निकाली गई। श्रद्धालु राजेंद्र प्रसाद घाट से सिर पर जल कलश रखकर बाबा दरबार पहुंचे। बाबा विश्वनाथ का विधिविधान से जलाभिषेक किया गया। कलश यात्रा "आॅपरेशन सिंदूर" को समर्पित की गई। कलश यात्रा की शुरूआत राजेन्द्र प्रसाद घाट से हुई और विश्वनाथ धाम तक गई। इस दौरान श्रद्धालु सिंधु, चिनाब, झेलम, मानसरोवर, रीवा, गंगा, ऋषिकेश और त्रिवेणी के पवित्र जल से बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने पहुंचे। लद्दाख से लाया गया सिंधु नदी का जल और कैलाश मानसरोवर से आया जल इस यात्रा की विशेषता रहे।
यात्रा में शामिल महिलाओं ने सिर पर कलश लेकर श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लिया। यात्रा के आगे-आगे बाबा का प्रतीक विशेष स्वरूप नंदी चल रहे थे। यात्रा में पूर्व पर्यटन मंत्री नीलकंठ तिवारी भी सम्मिलित रहे, जिन्होंने इस आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। संयोजक निधि देव अग्रवाल ने बताया कि यह यात्रा पिछले 27 वर्षों से लगातार निकाली जा रही है और इस बार इसे वीर सैनिकों को समर्पित किया गया है जिन्होंने आपरेशन सिंदूर में अद्वितीय शौर्य का प्रदर्शन किया।
निर्जला एकादशी व्रत का महत्व
आचार्य विकाश ने बताया कि इस एकादशी का व्रत करना सभी तीर्थों में स्नान करने के समान है। निर्जला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य सभी पापों से मुक्ति पाता है। हर कार्य में सफलता मिलती है। पौराणिक मान्यता है कि पांच पांडवों में से भूखे न रहने वाले भीम ने भी इस व्रत का पालन किया, जिसके फलस्वरूप मृत्यु के बाद उन्होंने स्वर्ग प्राप्त किया था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
लाखों भक्तों ने लगाई पुण्य की डुबकी
वाराणसी (रणभेरी सं.)। दशाश्वमेध घाट पर निर्जला एकादशी पर स्नान करने के लिए भक्तों का उमड़ा जनसैलाब लाखों भक्तों ने निर्जला एकादशी की मां गंगा में लगाई डुबकी मीडिया से बात करती हुई राजू तिवारी तीर्थ पुरोहित ने बताया किकाशी (वाराणसी) में निर्जला एकादशी का बहुत महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे साल की सभी एकादशियों में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भक्तों को पुण्य लाभ मिलता है और पूरे साल के एकादशी व्रत का फल प्राप्त होता है। पुरोहित ने बताया कि आज निर्जला एकादशी है निर्जल एकादशी में आप स्नान ध्यान करके और गंगा स्नान करने के बाद डुबकी लगाने के बाद ब्राह्मण को दान दक्षिणा मंदिर में दर्शन पूजा करना यह अति आवश्यक है और आज एकादशी का महत्व है कोई चावल नहीं खाता है चावल दान नहीं करता है फल फूल प्राप्ति के लिए आम केला इत्यादि फल दान करते हैं गगरी में भरकर जल ब्राह्मण को दान करते हैं मंदिर में स्पर्श करते हैं आज एकादशी का बहुत ही महत्वपूर्ण पुर्णय प्रताप पानी वाले को मिलता है।