है बडा़ चालबाज... वीडीए का फराज

है बडा़ चालबाज... वीडीए का फराज
  • अवैध निर्माणों के सील से लेकर डील तक में निभाता है अहम भूमिका
  • भेलूपुर जोन में सेटिंग-गेटिंग व फर्जी दस्तावेजों के दम पर करवा दिया सैकडो़ अवैध निर्माण
  • विभाग में बनाकर अच्छी खासी पैठ, बन गया फराज़ बिल्डरों का आका 
  • तीन साल से अधिक समय से जोन 4 के नगवां वार्ड में कुंडली मारकर बैठा है फराज़
  • भ्रष्टाचार की बदौलत फराज़ बाबू ने बना रखी है करोड़ों की अकूत संपत्ति 
  • पैसों से नहीं है परहेज, तभी तो बिल्डर रिजवान के साथ मिलकर तैयार करवाया फर्जी दस्तावेज

                                                                                                                                                                       अजीत सिंह 

वाराणसी (रणभेरी): प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी वाराणसी में अवैध निर्माणों की इस कदर बाढ़ आ गई है कि यदि सरकार अवैध निर्माण करवाने वालों के लिए एक अवार्ड देने का एलान कर दे तो निःसंदेह वाराणसी विकास प्राधिकरण का स्थान प्रथम आएगा। शहर में कई दर्जन ऐसे अवैध निर्माण हुए और हो रहे है जो वीडीए के अधिकारियों की जानकारी में हैं। इतना ही नहीं शहर में ऐसा कोई अवैध निर्माण नहीं जिसको वीडीए के जिम्मेदारों को भनक ना हो। वीडीए के कर्मचारी सुबह से शाम तक शहर के अगल-अलग क्षेत्रों में घूमते रहते हैं। किसी जमीन के पास अगर बालू, गिट्टी या ईंट गिर जाए तो यह खबर भी वीडीए के पास पहुंच जाती है। लेकिन यह विडंबना है की वीडीए के जिम्मेदार सबकुछ जानते हुए भी अंजान बने रहते है। असल में शहर में होने वाले अवैध निमाणों के मामले में वीडीए के अधिकारियों के अनजान बने रहने का खेल ही कुछ अलग है। आम तौर पर वीडीए के अधिकारी पहले तो सेंटिंग-गेटिंग की बदौलत अपनी मौन सहमति पर अवैध निर्माण की छूट देते हैं इसके बाद यदि किसी निर्माण के सन्दर्भ में उन्हें शिकायत प्राप्त हो जाए तो नियमानुसार एक नोटिस जारी कर मामले को कुछ दिनों के लिए ठंडा कर दिया जाता है। परन्तु इसके बाद भी यदि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर अड़ कर कार्रवाई की मांग करता है तो विभाग के जिम्मेदार अधिकारी लाव-लश्कर के साथ मौके पर पहुंच कर निर्माण को सील कर देते हैं।

वीडीए अधिकारियों के लूट का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता है बल्कि फिर यही से शुरू होता है निर्माणकर्ताओं से असल डील का दौर। जब किसी निर्माणकर्ता का अर्धनिर्मित भवन सील हो जाता है तो उसे पूरा करने की बेचैनी और ध्वस्तीकरण से बचाने की कवायद में भवन स्वामी एवं निर्माणकर्ता वीडीए अधिकारियों की सारी शर्ते मानने को मजबूर हो जाता है जिसका फायदा उठाते हुये वीडीए के अधिकारी मनमाफिक डील के तहत खुद के किये गये सील भवनों में पर्दा डालकर रात के अंधेरे में चोरी-छिपे निर्माण की पूरी छूट दे देता है। इस तरह अवैध होने के बावजूद वीडीए के संरक्षण में ही धीरे-धीरे निर्माण पूरा कर लिया जाता है। 

मध्यस्था की भूमिका निभाते है जोनल अधिकारी और जेई

अवैध निर्माण में सबसे बड़ा हाथ वीडीए के जोनल अधिकारी और जेई का होता है। वीडीए के जोनल अधिकारी इतने धूर्त है की किसी भी अवैध निर्माण की भनक इनको सबसे पहले लग जाती है। सूत्रों बताते हैं कि शहर के चप्पे-चप्पे पर होने वाले वाले अवैध निर्माण का पता लगाने के लिए बाकायदा विभाग के बड़े अफसरों ने अपना-अपना आदमी सेट कर रखा है, जो घूम-घूम कर अवैध निर्माण की रेकी करते है और फिर ऐसे अवैध निर्माण की सूचना वीडीए के बड़े अधिकारी तक पहुंचाते हैं। जिसके बाद जोनल अधिकारी बकायदा लाव-लश्कर के साथ अवैध निर्माण तक पहुंचते है। यहीं से डील डॉल देने के बाद शुरू होता है वीडीए अफसरों का असली खेल। ये अवैध निर्माण को इसलिए सील नहीं करते की यह वास्तव में अवैध हैं बल्कि सील के पीछे इनका मकसद भारी भरकम डील का होता है।

बृज इनक्लेव कॉलोनी में अवैध निर्माण का जिम्मेदार कौन !

नियमतः भवन निर्माण में सेटबैक के लिए जगह छोड़ना होता है लेकिन इस भवन का निर्माण सभी नियमों को ताख पर रखकर किया गया है। सेटबैक और रोड बाइंडिंग के नियमों को ताक पर रखकर मनमाने ढंग से अवैध निर्माण हुआ है। वीडीए के जिम्मेदार अधिकारी जानकर भी अंजान बने बैठे रहे। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अशफाक नगर निवासी सद्दाम हुसैन व अल्ताफ अंसारी की जमीन पर जिस ठेकेदार रिज़वान द्वारा यह निर्माण कराया वह वीडिए का सेटर है। वीडीए के बाबू फराज़ ने  जोनल अधिकारी और वीडीए के उच्चाधिकारी से अपनी सेटिंग कर सील भवन को भी 4 मंजिल बनवाकर पूरा करा दिया।

अपनी सेटिंग-गेटिंग के दम पर अवैध निर्माण कराने का महारथ रखने वाले ठेकेदार रिज़वान द्वारा जहां फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नक्शा पास करा लिया जाता है, वहीं नक्शा में अनुमति फ्लोर से कहीं अधिक निर्माण भी कराया जाता है। इस मामले में 1200 वर्गफीट पर जी प्लस टू का मानचित्र स्वीकृत कराया गया परंतु निर्माण 6000 वर्ग फीट पर जी प्लस 4 का हुआ। ऐसे में यह सवाल उठता है की शहर में हो रहे अवैध निर्माण पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करने वाली वीडीए आखिर इस अवैध निर्माण पर क्यों खामोश है ! क्या इस अवैध निर्माण को कराने वाले धन्नासेठ ने भी पैसों के बलबूते वीडीए का ईमान खरीद लिया !