बनारस मंडल के 16 हजार से अधिक केस संदिग्ध
वाराणसी (रणभेरी)। आयुष्मान भारत योजना के तहत इलाज कराने वाले बनारस मंडल के 16 हजार से अधिक केस संदिग्ध पाए गए हैं। इनके चिकित्सा मद का 15 करोड़ रुपये का भुगतान निरस्त हो गया है। बनारस जिले के दावों पर सबसे अधिक आपत्ति आई है। इन केसों में किसी का रिकॉर्ड गलत है तो किसी ने अधूरी जानकारी दी है। सितंबर 2018 में आयुष्मान योजना शुरू हुई थी। इसमें लाभार्थियों को पांच लाख रुपये तक का निशुल्क इलाज मिलता है। इलाज के बाद अस्पताल संचालक बिल स्वास्थ्य विभाग के पास भेजते हैं। विभाग में एक-एक फाइल की बारीकी से जांच होती है। जांच के दौरान ही बनारस मंडल में 16107 केस संदिग्ध मिले हैं। इनमें कोई अधिक समय तक अस्पताल में रखा गया, किसी ने वह जांच भी कराई जिसकी जरूरत नहीं थी। कई केसों में मरीजों को ओपीडी से ही उपचार मिल सकता था लेकिन उन्हें वार्ड में भर्ती दिखाया गया है। मानक के अनुसार गंभीर मरीज कम से कम पांच दिन भर्ती होने चाहिए लेकिन ऐसे कई मरीजों दो से तीन दिन ही भर्ती दिखाया गया। इन कारणों के चलते 15.8 करोड़ रुपये का भुगतान रोक दिया गया है।
सबसे अधिक बनारस में 103.28 करोड़ का भुगतान
स्वास्थ्य विभाग ने पिछले छह साल में बनारस मंडल के 2.27 लाख क्लेम के लिए 219 करोड़ रुपयों का का भुगतान किया है। इसमें सबसे अधिक बनारस में 103.28 करोड़, जौनपुर में 57.99 करोड़, चंदौली में 57.75 करोड़ और गाजीपुर में 38.50 करोड़ रुपये का भुगतान हुआ है।
अपर निदेशक ने कहा
इलाज के बाद क्लेम की जांच होती है। फिर भुगतान होता है। संदिग्ध केस में भुगतान रोक दिया जाता है। -डॉ. मंजुला सिंह, अपर निदेशक, वाराणसी