वाराणसी में BHU के कुलपति का ऐलान -अब समस्याओं पर होगा काम, टीम भावना और पारदर्शिता बनेगी सफलता की कुंजी

वाराणसी (रणभेरी): काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के कुलपति प्रो. अजीत कुमार चतुर्वेदी ने विश्वविद्यालय समुदाय से आह्वान किया है कि वे संस्थान को भारत और विदेशों के विद्यार्थियों एवं शिक्षकों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य बनाने में सक्रिय भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि बीएचयू को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सभी को, जिनमें वे स्वयं भी शामिल हैं, कड़ी मेहनत करनी होगी।
कुलपति ने कहा कि प्रभावी संवाद, टीम समन्वय और सदस्यों की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता ही बेहतर निर्णय प्रक्रिया की कुंजी है। “हमें मिलकर एक साझा लक्ष्य के लिए काम करना होगा, और वह है – बीएचयू को प्रतिभाओं की पहली पसंद बनाना,” उन्होंने जोर देकर कहा।
समस्याओं के समाधान पर होगा जोर
प्रो. चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय के हर विभाग में अपेक्षित कार्यों के लिए समस्याओं की ‘पिन प्वाइंट्स’ पहचानकर समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संवाद प्रभावी हो और जरूरत के अनुसार मुद्दों को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाए।
सोच-समझकर होंगे निर्णय
कुलपति ने कहा कि निर्णय की गुणवत्ता के लिए गहराई से सोचना आवश्यक है। “त्वरित निर्णय या अनावश्यक विलंब, दोनों ही ठीक नहीं। एक्जीक्यूटिव काउंसिल और एकेडमिक काउंसिल के निर्णय समयबद्ध रूप से लेने होंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय की सकारात्मक छवि और परसेप्शन को मजबूत करना जरूरी है, ताकि बीएचयू की आंतरिक मजबूती बाहर भी दिखे।
गौरवशाली विरासत, अपार संभावनाएं
प्रो. चतुर्वेदी ने बीएचयू की स्थापना को महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की दूरदर्शिता का परिणाम बताया और कहा कि सौ वर्षों में अनेक शिक्षाविदों के योगदान ने इसे समृद्ध किया है। उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी माना कि इस परंपरा को आगे बढ़ाकर विश्वविद्यालय को और ऊंचाइयों तक ले जाएं।
टीम वर्क से होगा विकास
कुलपति ने कहा कि विद्यार्थियों, शिक्षकों और कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ होना चाहिए। उन्होंने कहा, “विश्वास तभी मिलेगा, जब समाधान के प्रयास निरंतर और ईमानदारी से हों। आज के दौर में किसी भी शैक्षणिक संस्थान की प्रतिष्ठा बेहद महत्वपूर्ण है और इसके लिए सभी को अपनी भूमिका निभानी होगी।”
शोध, नवाचार और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनने की दिशा
उन्होंने विश्वविद्यालय के शोध पारिस्थितिकी तंत्र की सराहना करते हुए पेटेंट, तकनीकी हस्तांतरण और स्टार्टअप के माध्यम से इसे भारतीय समाज के लिए अधिक उपयोगी बनाने की बात कही। साथ ही, वैश्विक स्तर की शिक्षण विधियों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि बीएचयू बदलते शैक्षणिक परिदृश्य के अनुरूप आगे बढ़ सके।
रैंकिंग सुधार की दिशा में पहल
प्रो. चतुर्वेदी ने विश्वास जताया कि यदि इन सभी पहलुओं पर गंभीरता से कार्य किया गया, तो बीएचयू की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार होगा। उन्होंने भावुक होकर बताया कि भले ही उनका अधिकांश शैक्षणिक कार्यकाल आईआईटी संस्थानों में बीता है, लेकिन बीएचयू लौटकर कुलपति के रूप में कार्य करना उनके लिए विशेष अनुभव है, क्योंकि यहीं से उनके तीन दशक लंबे शैक्षणिक सफर की शुरुआत हुई थी।