पीएम मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान के बाद, टिकैत ने पकड़ी अलग राह
(रणभेरी): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 9 बजे देश को संबोधित करते हुए उन्होंने सालभर से चली आ रही किसानों की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की और अन्नदाताओं को हुई दिक्कतों पर क्षमा मांगते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान कर दिया। किसान संगठनों ने इस फैसले का स्वागत तो किया, लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत ने अलग ही राग अलापा। उन्होंने पहले तो संसद में कृषि कानूनों के वापस होने तक आंदोलन खत्म नहीं करने की बात कही। इसके बाद एमएसपी समेत किसानों की अन्य मांगों का मसला भी उठा दिया। अब सवाल यह उठता है कि पीएम मोदी के एलान के बाद भी क्या किसान आंदोलन खत्म नहीं होगा? क्या यह पीएम मोदी का मास्टरस्ट्रोक साबित होगा? क्या पीएम के एलान और किसानों के भरोसे के बीच अब सियासी दांव-पेच चले जाएंगे?
सुबह आठ बजे पीएमओ के ट्वीट ने भले ही किसी की नींद में खलल न डाला हो, लेकिन नौ बजे शुरू हुए पीएम मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन ने हर किसी की नींद जरूर उड़ा दी। पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान करते हुए राजनीतिक हलकों में खलबली मचा दी। एकबारगी तो किसी को समझ ही नहीं आया कि किसान आंदोलन को लेकर हो रही राजनीति का अब क्या होगा? क्या पीएम के इस एलान ने एक बार में ही किसान आंदोलन को जड़ से उखाड़ दिया? उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव देखकर सरकार डर गई। इस वजह से ही सरकार को मजबूरी में यह कदम उठाना पड़ गया। उन्होंने कहा कि किसानों के प्रदर्शन के सामने आखिरकार सरकार ने हार मान ली।
टिकैत ने पकड़ी अलग राह, जाने क्या कही बात
पीएम मोदी के एलान के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने अमर उजाला से बातचीत की। उन्होंने कहा कि संयुक्त मोर्चा प्रधानमंत्री की घोषणा को लेकर बातचीत कर रहा है। जल्द ही आगे की रणनीति बनाई जाएगी, लेकिन आंदोलन तब तक वापस नहीं होगा, जब तक तीनों कृषि कानून संसद में रद्द नहीं होते। हम उस दिन का इंतजार करेंगे।
क्या जारी रहेगा किसानों का आंदोलन?राजनीतिक जानकारों की मानें तो संसद में कृषि कानून रद्द होने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी रह सकता है। दरअसल, राकेश टिकैत ने साफ-साफ कहा कि सरकार अब एमएसपी पर भी बातचीत करे। इसके अलावा किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी चर्चा करने का आह्वान किया। इससे स्पष्ट है कि राकेश टिकैत कृषि कानून रद्द होने के बाद भी किसान आंदोलन जारी रख सकते हैं।
किसान नेता और विपक्षी दल का कहना है कि पीएम मोदी के एलान के पीछे उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों हैं, उनका कहना है कि कमजोर विपक्ष के चलते उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति काफी हद तक मजबूत मानी जा रही है। ऐसे में भाजपा का निशाना पंजाब पर काफी ज्यादा है। इसे करतारपुर कॉरिडोर खोलने से लेकर गुरु नानक जयंती पर कृषि कानून वापस लेने के एलान तक से जोड़कर देखा जाना चाहिए। इसे चन्नी को सीएम बनाने के कांग्रेस के दलित वाले दांव और बसपा-अकाली के गठबंधन की काट माना जा रहा है।