राजस्थान से जाखड़ के बाद अब बिरला का दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनना तय

राजस्थान से जाखड़ के बाद अब बिरला का दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बनना तय

नई दिल्ली/कोटा। राजस्थान के कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र से तीसरी बार निर्वाचित ओम बिरला ने सत्तारूढ़ भाजपा-नीत राजग की ओर से 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के रूप में मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया। 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष रहे बिरला को 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर हाड़ौती संभाग सहित पूरे राजस्थान के भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं में खुशी की लहर दौड़ गई। करीब साढे़ तीन दशक पहले राजस्थान से कांग्रेस के बलराम जाखड़ लोकसभा के दो बार अध्यक्ष रहे।

ओम बिरला का जन्म 23 नवंबर, 1962 को कोटा में हुआ। उनकी कर्मभूमि हमेशा कोटा ही रही। कोटा-बूंदी की जनता को वे अपना परिवार मानते हैं। उनके दिवंगत पिता श्रीकृष्ण बिरला सरकारी सेवा में थे, मां शकुंतला घर संभालती थीं। उन्होंने सरकारी मल्टीपर्पज स्कूल, गुमानपुरा से स्कूली शिक्षा ग्रहण की। उसके बाद राजस्थान विश्वविद्यालय से जुडे़ गवर्नमेंट कॉमर्स कॉलेज कोटा से बी.कॉम. एवं एम.कॉम. की डिग्री ली। कॉलेज में भी वे छात्रसंघ अध्यक्ष के रूप में युवाओं में लोकप्रिय रहे। उसके बाद दो बार कोटा दक्षिण से भाजपा विधायक भी रहे। उनकी पत्नी डॉ. अमिता बिरला सरकारी चिकित्सक हैं। दो बेटियों में आकांक्षा सीए एवं अंजलि भारतीय प्रसाशनिक सेवा की अधिकारी हैं।

ओम बिरला ने 2019 से 2023 तक अध्यक्ष के रूप में लोकसभा में हंगामे और विवादों से परे सभी दलों के सांसदों को सदन में अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया। इससे महत्वपूर्ण विधेयकों व जनहित के मुद्दों पर स्वस्थ बहस करने की परम्परा विकसित हुई। बिरला के कुशल संचालन में 17वीं लोकसभा के सत्रों की उत्पादकता 122.2 प्रतिशत रही जो 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा के पहले पांच सत्रों की तुलना में सर्वाधिक है। सदन ने विस्तृत चर्चा के बाद 107 विधेयकों को पारित किया। विधेयकों पर 262.5 घंटे चर्चा हुई तथा पक्ष-विपक्ष के 1744 सदस्यों ने अपनी बात रखी।

बिरला ने केंद्र सरकार की जवाबदेही बढ़ाने के लिए सभी सत्रों में अधिक से अधिक सदस्यों को बोलने का अवसर दिया। प्रश्नकाल के दौरान प्रतिदिन औसतन 5.37 प्रश्नों के मौखिक जवाब दिए जिससे उन्हें प्रश्न काल का हीरो कहा जाने लगा। नियम 377 के तहत उठाए गए विषयों में भी सरकार ने 89.82 प्रतिशत विषयों के जवाब दिए। संसद में सांसदों के खाने पर सब्सिडी खत्म करने के साथ अनावश्यक कार्यों पर होने वाले खर्चों को रोककर उन्होंने करोडों रुपये की फिजूलखर्ची को कम कर दिखाया। बिरला का लगातार दूसरी बार लोकसभा का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है।