हाल ए शिवपुर तालाब : पक्का पोखरा पाट कर दी प्लाटिंग
- वर्षों बाद भी ऐतिहासिक तालाब को अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा पाए जिम्मेदार अफसर
वाराणसी (रणभेरी सं.)। शिवपुर का प्राचीन तालाब ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आराजी संख्या 69 मौजा परगना शिवपुर का कुल रकबा 2.70 एकड़ है। इस तालाब पर कभी पंचकोसी यात्री पड़ाव डालते थे। अब इस पर भूमाफिया की नजर है। पूर्व पार्षद डा. जितेंद्र सेठ ने बताया कि तालाब पर भूमाफिया की कुदृष्टि का नतीजा यह निकला कि धारा 229 बी द्वारा एकपक्षीय आदेश कराकर कब्जा कर नाम तक चढ़वा लिया गया। इतना ही नहीं प्लाटिंग कराकर बिक्री शुरू कर दी। पंचकोसी पड़ाव का यह चौथा पड़ाव है। यहां पांचों पांडव के मंदिर, द्रौपदी कुंड और पांच प्राचीन धर्मशालाएं हैं। श्रीराम लीला मैदान से सटे राम भट्ट तालाब, अष्टभुजा मंदिर, फलाहारी बाबा का आश्रम है। सबसे पहले तत्कालीन कमिश्नर नितिन रमेश गोकर्ण ने 1 जून 2016 को तालाब खोदवाने का आदेश दिया। दो से 11 जून 2016 तक जेसीबी लगाकर खोदाई हुई लेकिन एक दिन काम अचानक रोक दिया गया। समिति की अगली बैठक में एडिशनल कमिश्नर ओमप्रकाश चौबे ने 30 दिसंबर 2017 को तालाब की खोदाई का आदेश दिया। इस बार ईंट भी नहीं हिली। 28 अप्रैल 2019 को तत्कालीन कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने शिवपुर तालाब की खोदाई कर जल संरक्षण के लिए पानी भरने का आदेश दिया। लेकिन स्थिति जस की तस है।
टुकड़े-टुकड़े बिक गया तालाब
तालाब पर प्लाटिंग हो चुकी है। यहां एक ओर नगर निगम की ओर से शिवपुर तालाब का बोर्ड लगा है। कमिश्नर, जिलाधिकारी व नगर आयुक्त के नाम से आदेशित किया गया है कि यह जमीन तालाब की है। इसको बेची व खरीदी नहीं जा सकती।
कभी लगता था पियाला का मेला: शिवपुर तालाब पर रजक समाज का विशेष वार्षिक उत्सव पियाला का मेला लगता था। जीवित्पुत्रिका व्रत पूजन के लिए बड़ी संख्या में आसपास की महिलाएं यहां आती थीं। पंचकोसी यात्रा के दौरान तालाब का किनारा गुलजार रहता था।
22 वर्षों से लड़ी जा रही लड़ाई : शिवपुर के पौराणिक तालाब के नवजीवन की लड़ाई बीते 22 वर्ष से चल रही है। पंचक्रोश मार्ग पर स्थित नगर निगम के इस तालाब को कुछ भू-माफियाओं ने पाटकर समतल कर दिया है। खास यह कि इस तालाब के लिए वर्तमान के मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र उर्फ दयालु और कांग्रेस नेता अजय राय ने भी आवाज उठाई थी। उन्होंने स्थानीय लोगों के साथ जिलाध्यक्ष मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन भी किया था।न तालाब के लिए संघर्ष कर रहे पूर्व पार्षद डा. जितेंद्र सेठ बताते हैं कि 22 - वर्ष पूर्व 30 जुलाई 2002 को काशी पंचकोशी परिक्रमा (चौथे पड़ाव) मार्ग स्थित शिवपुर तालाब को अवैध रूप से पाटे जाने के विरोध में वाराणसी जनपद के उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया था। इस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
वर्षों बाद भी ऐतिहासिक तालाब को अतिक्रमण से मुक्त नहीं करा पाए जिम्मेदार अफसर
तालाब को कागजों में तालाब साबित करने के लिए स्थानीय पार्षद कोर्ट से लेकर अधिकारियों का दरवाजा खटखटाते रहे। पूर्व पार्षद डॉ. जितेंद्र सेठ ने बताया कि अतिक्रमणकारिणें ने 2004 में नगर निगम से एनओसी जारी करा लिया। इसके बाद वीडीए ने नक्शा भी जारी कर दिया। मामला हाईकोर्ट में गया और कोर्ट ने जांच का आदेश भी दे दिया। जांच में पता चला कि और 229बी कराकर एकपक्षीय आदेश कराया गया है। 27 जनवरी 2007 में आदेश हुआ कि इस तरह तालाब और कुंड पर किसी का नाम रखना न्यायालय की अवमानना है। इसके बाद नगर निगम ने एनओसी और वीडीए ने नक्शा निरस्त कर दिया। 2016 में संरक्षण समिति नें मूल स्वरूप में लाने का आदेश दिया। खुदाई भी हुई और अगली बैठक 15 जून 2016 में जांच का भी आदेश दिया गया ।