देश के लिए घातक है चुनावी रेवड़ियां
वाराणसी (रणभेरी)। देश और प्रदेश में सत्ता पर काबिज होने के लिए चुनावी दौर में जिस प्रकार से आज की राजनीति में वोटरों को लुभावने के लिए लोक-लुभावने वादे किए जा रहे हैं। यहां आने वाले दिनों में देश हित में आर्थिक दृष्टिकोण से इसके गंभीर परिणाम को देखते हुए वाराणसी की एक सामाजिक संस्था सुबह-ए-बनारस क्लब के बैनर तले लोक-लुभावने सपने दिखाने वाली चुनावी वादों पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर मैदागीन चौराहे पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए संस्था के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल और संरक्षक कमला प्रसाद सिंह ने कहां कि देश के तकरीबन सभी राज्यों में लगभग सभी पार्टियों की ओर से चुनावी मौसम में मुफ्त की रेवड़ियां बांटने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है। एक आम मतदाता को आकर्षित करने के लिए आज के समय में यह सबसे अच्छा उपाय भी है। इस देश के सभी नागरिकों को इस बात पर जरूर सोचना चाहिए कि मुफ्त में दी गई कोई भी सुविधा देश की अर्थव्यवस्था पर कितना गलत असर डालती है। इसके कारण कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं का कार्य लंबित रह जाता है। देश में मुफ्त की कोई भी सुविधा देने से अर्थव्यवस्था की कमर ही टूटती है, जो बिल्कुल भी सही नहीं है। एक आम मतदाता को इस बात पर विचार करना ही चाहिए कि अगर कोई पार्टी किसी भी तरह का लालच दे रही है तो एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते फर्ज बनता है कि वह अपनी जिम्मेदारी को समझ कर सभी राजनीतिक पार्टियों के मुफ्तखोरी को त्याग कर खुद को स्वावलंबी बनाए। जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर भी चार चांद लग जाएगा। देश हित में ऐसी पार्टी को वोट दें जो देश के संविधान को ध्यान में रखते हुए देश की स्थिति को सुदृढ़ करने में सदैव तत्पर रहे।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने जनता के पैसे खर्च करने के सही तरीकों को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि मुफ्त की रेवडियां बांटने के चुनावी वादों का मुद्दा जटिल होता जा रहा है। शीर्ष अदालत ने साफ तौर पर कह दिया है कि इस संस्कृति के चलते अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है। मुफ्त की रेवड़ी बांटने की संस्कृति देश के विकास के लिए खतरनाक हो सकती है। इसे लेकर पार्टियों को गंभीरता से विचार करना ही होगा। यहां गरीबी कोई राजनीतिक मुद्दा ना बने। जो जरूरतमंद लोग हैं, उन्हे एक समय तक योजना का लाभ मिलना गलत नहीं है। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से मुकेश जायसवाल, कमला प्रसाद सिंह नंदकुमार टोपी वाले, प्रहलाद तिवारी, अनिल विश्वकर्मा, राजकुमार सिंह, विजय गुप्ता, राजेश सिंह, पप्पू यादव, विजय जायसवाल, दिनेश शर्मा, राजू दुबे, श्याम दास गुजराती, ललित गुजराती समेत कई लोग शामिल हुए।