कई बैंकों के कर्मियों पर लटकती तलवार
वाराणसी(रणभेरी)। रिटायर शिक्षिका शम्पा रक्षित से 3.55 करोड़ रुपये की साइबर ठगी के मामले में लखनऊ के दो सगे भाई बैंककर्मियों सरफराज आलम, नुरुल हुदा के अलावा कई बैंकों के कर्मचारी भी जांच के घेरे में हैं। सूरत, लखनऊ, जयपुर, मेरठ, हरियाणा व देश के अन्य हिस्सों में कई बैंककर्मियों की भूमिका संदिग्ध है। शिक्षिका से ठगी के रुपये बचत खाते में मंगाये गये, बचत खाते के जरिये ही ऑनलाइन देशभर के विभिन्न क्षेत्रों के करीब एक हजार खातों में छोटी-छोटी रकम भेजी गई। जबकि पहले से उन खातों में महज 50, 70, 80 या 500 व एक हजार रुपये ही थे।
नहीं दी थी एफआईयू को सूचना
डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा ने बताया कि बचत खातों में अचानक बड़ी रकम आने की सूचना या संदिग्ध तरीके से रकम आने की सूचना एफआईयू यानी फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट को देनी होती है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। जिन-जिन खातों में रकम भेजी गई है, वहां के बैंककर्मियों की भूमिका जांची जा रही है।
सरगना विदेश में बैठा हो सकता है
रिटायर शिक्षिका को फोन किसने किया, कहां से किया, यह अभी अज्ञात है। पुलिस को आशंका है कि सरगना विदेश में बैठा हो सकता है। साइबर ठग टेलिकाम रेगुलेटरी अथार्टी, ईडी, सीबीआई, पुलिस, कस्टम व अन्य जांच एजेंसियों के अफसर बन फोन करते हैं। जांच में मदद का दबाव बनाते हैं। जब ये स्काइपी या अन्य ऐप के जरिये जांच के नाम पर वीडियो कॉल करते हैं, वे सरकारी कार्यालय का माहौल दिखाते हैं।
जांच या गिरफ्तारी के नाम पर डरें नहीं : डीसीपी
डीसीपी क्राइम चंद्रकांत मीणा ने कहा कि साइबर ठग गिरफ्तारी के नाम पर डराते हैं। किसी भी तरह की जांच होगी तो सीधे एजेंसी के कार्यालय से नोटिस आएगा। बाहर की पुलिस को गिरफ्तारी करनी होगी तो वह स्थानीय थाने की मदद लेगा। मुख्य बात यह कि अगर आप गलत नहीं हैं तो फोन, जांच या गिरफ्तारी से डरने की जरूरत नहीं है। बताया कि साइबर ठगी रोकने के लिए टीम लोगों को जागरूक करेगी।
बाकी की तलाश जारी
प्रकरण में केवल सूरत और लखनऊ के गिरोह के महज छह लोग पकड़े गये हैं। पूरे सिंडिकेट में देश के अन्य हिस्सों के गिरोह भी हैं, जिनकी पहचान पुलिस कर रही है। खास यह कि सूरत व लखनऊ गिरोह के सदस्य आपस में कभी नहीं मिले हैं, न संपर्क हुआ है।