काशी ने उड़ाया गुलाल आज गौरा चलेंगी ससुराल
वाराणसी(रणभेरी)। सात वार और नौ त्यौहार की खासियत वाली शहर बनारस का हर दिन उत्सवी होता है और जब रंगभरी एकादशी का हो तो पूछना ही क्या? इस खास पर्व पर बुधवार को मौज-मस्ती का एक ही अलग ही रस बना और बनारस उसमे डूबा सा नजर आया। आमलकी एकादशी पर अपने भोले बाबा का काशीवासियो ने विहल मन से गौना उत्सव मनाया। टेढ़ीनीम स्थित महंथ डा. कुलपति तिवारी के आवास पर सुबह मंगल बेला में रजत प्रतिमा का षोडशोपचार पूजन किया गया। बाबा भोलेनाथ को साज के जतन किये, भस्म, भभूत की जगह इस बार काठियावाड़ी खादी परिधान धारण कराया गया। राज शाही टोपी से सजाया गया। माँ पार्वती को कांजीवरम साड़ी पहनाकर सोलह श्रृंगार किया गया। उसके बाद दोपहर साढ़े 11 बजे आवास पर दर्शन शुरू हुआ। दूल्हा शंकर और दुल्हन गौरा की अनूठी छवि निरख भक्तो का मन विभोर हुआ।
बाबा के भाल मला पहला गुलाल
दर्शनार्थियों ने बाबा के भाल मला पहला गुलाल और पाप-ताप से मुक्ति का आशीष लिया। भक्ति के भाव से रीझे औघड़दानी ने रंग-तरंग व होली-हुडदंग का नेक दिया। ब्रह्म मुहर्त में ही महंत आवास से होते बाबा के गौना बरात का उल्लास मन्दिर परिसर में छाने लगा। सपरिवार रजत पालकी में सवार बाबा ने भक्तो को दर्शन दिया। श्रद्धा-भक्ति के इस दिव्य लोक की झांकी दर्शन को आस्था का समुन्द्र इस रंग में रंगता हुआ इस छोर से उस छोर तक बहता चला गया।
विधि-विधान से हुआ पूजन
बाबा के पूजन का क्रम ब्रह्म मूहूर्त में महंत आवास पर आरंभ हो गया। बाबा के साथ माता गौरा की चल प्रतिमा का पंचगव्य तथा पंचामृत स्नान के बाद दुग्धाभिषेक किया गया। दुग्धाभिषेक पं. वाचस्पति तिवारी और संजीवरत्न मिश्र किया। सुबह पांच से साढ़े आठ बजे तक 11 वैदिक ब्रह्मणों द्वारा षोडशोपचार पूजन पश्चायत फलाहार का भोग लगा महाआरती की गई। दस बजे चल प्रतिमाओं का राजसी शृंगार एवं पूर्वाह्न साढ़े ग्यारह बजे भोग आरती के बाद के बाबा का दर्शन आम श्रद्धालुओं के खोला गया।
राजशाही ठाट से निकलेंगे काशी विश्वनाथ
काशी की मिजाज से मेल खाते बाबा और भक्तो को भी भाते इस अनूठे अनुष्ठान में व्यवधान न हो इसका ध्यान रखते हुए शाम की सप्तऋषि आरती दोपहर 3.30 बजे और रात्रि भोग आरती शाम 5.40 बजे होगी। ताकि रात 11 बजे तक बाब के गौना झांकी भक्तजन बिना किसी व्यवधान दर्शन पा सके।
शाम में बारात लेकर लौटेंगे भोलेनाथ
महंथ कुलपति तिवारी ने संध्या में साढ़े चार बजे आरती कर गौरा को ससुराल के लिए विदा करेंगे। रजत पालकी को कंधे से लगाने व चरण रज पाने पाने की होड़ में भक्त और भगवान के बिच के सारे बंधन तोड़ देंगे। विभिन्न मार्गों से होते हुए पालकी यात्रा विश्वनाथ धाम पहुँचेंगी। काशी विश्वनाथ के परिवार की रजत प्रतिमा को गर्भ गृह में स्थापित किया जाएगा।
ससुराल में बाबा ने चखा रंगभरी ठंडाई
इससे पूर्व गौना की बारात लेकर रंगभरी की पूर्व संध्या पर मंगलवार को महंत आवास (गौरा सदनिका) पहुंचने पर बाबा की बारात का अनूठा स्वागत हुआ। बारातियों का स्वागत रंगभरी ठंडई पिला कर किया गया। दूल्हा बने बाबा विश्वनाथ पर ठंडई और गुलाबजल की फुहार उड़ाई गई। इसके बाद फल, मेवा और बाबा के लिए खासतौर पर तैयार की गई ह्यरंगभरी ठंडईह्ण से पारंपरिक स्वागत किया गया। बारात के साथ ही अयोध्या के पारंपरिक रामायणी परिवार के प्रतिनिधि पं. अनिल तिवारी ने रंगभरी एकादशी की तिथि पर शिव और गौर की पालकी पर उड़ने के लिए अबीर भेंट की। साथी मथुरा के जेल में कैदियों द्वारा तैयार की गई खास हर्बल अबीर भी काशी पहुंची। काशी विश्वनाथ मंदिर के महंत डॉ कुलपति तिवारी के सानिध्य में संजीवरत्न मिश्र ने अनुष्ठान किया।
गीतों संग गंगातट पर मनी रंगभरी एकादशी
गौरा ब्याहन आएं महादेव.....ना लाएं एंगुरा ना लाएं सेंदुरा, भष्म भभूति लगाए, महादेव गौरा ब्याहन आएं। माता गौरा का गौना कराने आये देवाधिदेव महादेव के स्वागत में काशीवासियों ने कुछ खास अंदाज में गीतों संग उल्लास प्रकट किया।गायघाट पर गंगा किनारे शिव पार्वती के भजनों होली गीतों के खूब रंग अबीर उड़ाए गयें।नमामि गंगे वाराणसी महानगर की ओर से बुधवार को रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर गंगातट पर भूतभावन भगवान शंकर के द्वादश ज्योतिर्लिंग स्वरूप का श्रृंगारादि करने के उपरांत भष्म-भभूति, रंग-अबीर से सराबोर किया। आरती उतार कर गौरा चली ससुराल बरसे अबीर गुलाल लिखीं रंगोली संग सभी ने होली गीत गायें।विविध रंगों से माला फूल से सुसज्जित महादेव को देख गंगा किनारे के श्रद्धालु भाव विभोर नजर आएं। संस्था के सदस्यों को भजन गाता देख श्रद्धालुओं ने सुर में सुर मिलाया। कार्यक्रम का संयोजन महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरि ने किया।जिसमें महानगर सहसंयोजक रामप्रकाश जायसवाल, रश्मि साहू, चांदनी विश्वकर्मा, जय विश्वकर्मा, उत्कर्ष कुशवाहा, किरण पांडेय, रतन साहू, अनुष्का यादव आदि रहीं।