स्वयं सेविकाओं ने बस्तियों में चलाया स्वच्छता अभियान 

स्वयं सेविकाओं ने बस्तियों में चलाया स्वच्छता अभियान 

वाराणसी(रणभेरी)। राष्ट्रीय सेवा योजना, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन बुधवार को छात्राओं ने स्वच्छता एवं जागरुकता अभियान चलाया। एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रविंद्र कुमार गौतम ने बताया कि छात्राओं ने नई बस्ती, बौलिया पसियाना, मिसिरपुरा, हरिजन बस्ती, पसियाना मालिन बस्ती एवं जीयूतपुरा मालिन बस्तियों में जाकर के विभिन्न परिवारों को स्वच्छता हेतु जागरूक किया। उन्हें बताया कि प्लास्टिक का अंधाधुंध प्रयोग बंद करे, सूखे और गीले कूड़े को अलग-अलग डिब्बों में डालें। बताया गया कि नागरिकों की सहभागिता से  कचरा मुक्त वातावरण बनाना एवं शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराकर एक स्वच्छ भारत का निर्माण किया जा सकता है। इसके बाद आयोजित बौद्धिक सत्र में समाज कार्य विभाग की प्रो. निमिषा गुप्ता ने योग के महत्व के बारे में सेविकाओं से अपने विचार एवं अनुभव साझा की। एनएसएस की कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अनीता ने बताया कि राष्‍ट्र की युवाशक्ति के व्‍यक्‍तित्‍व विकास हेतु युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित एक सक्रिय कार्यक्रम है। इसके गतिविधियों में भाग लेने वाले विद्यार्थी, समाज के लोगों के साथ मिलकर समाज के हित के कार्य करते हैं। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. भारती कुरील ने बताया कि स्वैच्छिक सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व और चरित्र का विकास करना इस योजना का प्राथमिक उद्देश्य है। 'सेवा के माध्यम से शिक्षा' यह एनएसएस का उद्देश्य है। डॉ. अंजना वर्मा ने कहा कि जिस समुदाय में काम कर रहे हैं, उसे समझना, समुदाय की समस्याओं को जानना और उन्हें हल करने के लिए उनको शामिल करना, सामाजिक और नागरिक जिम्मेदारी की भावना का विकास करना ही एनएसएस का उद्देश्य है।  डॉ. सुनीता ने कहा कि कि एनएसएस का वैचारिक रुझान महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। बहुत ही उचित रूप से, एनएसएस का आदर्श वाक्य " मैं नहीं, बल्कि आप " है। डॉ. वीणा वादिनी ने कहा कि देश के निर्माण में युवाओं का सर्वाधिक योगदान होता है और एनएसएस युवाओं को भूमिका को बढ़ाने और अग्रणी रखने की एक सार्थक योजना है। डॉ. सविता ने कहा कि एनएसएस के माध्यम से साक्षरता, स्वच्छता, पर्यावरण के लिए समाज को जागरुक करने के साथ आपदाओं में पीड़ितों के रक्षक बनकर अपना सेवा धर्म निभायें और राष्ट्र व समाज की उन्नति में भागीदार बने रहें। इसके बाद समितियों की बैठक हुई।