कारोबार पर असर डालने लगा भुगतान की बाध्यता का नियम
वाराणसी (रणभेरी)। एमएसएमई पंजीकृत कारोबारियों से व्यापार में 45 दिन में भुगतान की बाध्यता का नियम कारोबार पर असर डालने लगा है। एक सप्ताह में ही करोड़ों रुपये के माल की वापसी आ चुकी है। साड़ी, रेडीमेड कपड़ा, फुटवियर समेत अन्य व्यापार से जुड़े व्यापारियों में गहरी चिंता है। एक अनुमान के अनुसार इस माह 250 करोड़ रुपये का माल वापस हो चुका है। करोड़ों रुपये के और ऑर्डर कैंसिल होने की कगार पर हैं। इसका असर होली के बाजार पर भी आ गया है। अकेले साड़ी और रेडीमेड कपड़ा कारोबारियों का करीब 150 करोड़ रुपये का माल वापस हो चुका है। साड़ी के साथ धागे, जरी के स्टॉक भी वापस हो रहे हैं। बनारसी साड़ी की बात करें तो एक मार्च से अब तक 25-30 करोड़ रुपये के माल की वापसी हुई है तो 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के रेडीमेड कपड़े भी लौटाए गए हैं। साड़ी के गद्दीदार बुनकरों से माल नहीं खरीद रहे हैं। ऑर्डर होल्ड कर दिए गए हैं, जिससे बुनकरों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। काशी रेडीमेड गारमेंट एसोसिएशन के संरक्षक अशोक जायसवाल एवं पूर्व अध्यक्ष शैलेष जायसवाल ने कहा कि 45 दिन में भुगतान की बाध्यता गारमेंट सेक्टर के लिए मुसीबत बन गई है। माल की वापसी तेज हो गई है। 15 फरवरी के बाद से नए ऑर्डर नहीं लिये जा रहे हैं। ऐसे में इस बार होली पर ग्राहकों को वैरायटी देखने को नहीं मिलेगी। दी बनारसी वस्त्रत्त् उद्योग एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजन बहल ने कहा कि भुगतान की समयसीमा तय होने से कारोबार पर संकट शुरू हो गया है। एमएसएमई पंजीकृत व्यापारियों को माल भेजने के 45 दिन में भुगतान करने की बाध्यता सरकार ने तय की है। इस समयावधि में भुगतान न करने पर खरीदार को ब्याज सहित भुगतान करना होगा। साथ ही भुगतान राशि खरीदार के खर्च में न मानकर आय में जोड़ दी जाएगी।