बेशकीमती नजूल की जमीन हैं विवादित
गोरखपुर। प्रदेश सरकार की कैबिनेट की बैठक में नजूल की जमीन पर स्वामित्व का अधिकार वापस लेने संबंधी निर्णय से शहर में हलचल बढ़ गई है। यहां नजूल की अरबों की बेशकीमती जमीन विवादों में हैं। रसूखदारों ने कभी अपने प्रभाव में सरकारी जमीन को अपने नाम करा लिया था। वर्षों से वहां काबिज हैं। 50 से ज्यादा जमीनों के मालिकाना हक को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है। दस से ज्यादा जमीनें ऐसी हैं, जिनका पट्टा अवधि समाप्त हो चुकी है। अब ऐसी जमीनों से पट्टेदार को बेदखल करने की तैयारी है। प्रशासन ने सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। जिला प्रशासन की ओर से तैयार कराई जा रही सूची में यह आंकड़े भी जुटाए जा रहे हैं कि कितने लोगों ने ऐसी जमीनों को फ्री होल्ड कराने के लिए कितनी धनराशि जमा कराई है। साथ ही ऐसे मामले कितने हैं, जिनका आवंटन निरस्त है और फिर इन लोगों ने न्यायालय की शरण ले ली है। कुछ ऐसे भी मामले संज्ञान में आए हैं, जिनमें सेवा शर्तों का उल्लंघन होने पर प्रशासन ने आवंटन निरस्त कर दिया, लेकिन अभी तक कब्जा हटा नहीं। सिविल लाइंस में पूर्व विधायक रामकरन सिंह और पूर्व विधायक केदारनाथ सिंह का हाता, बक्शीपुर में पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह का आवास, होमगार्ड आफिस के पास की जमीन सहित कई ऐसी नजूल भूमि है, जिसे कभी प्रशासन ने आवंटित किया था, अब उसी को लेकर रार चल रही है। शहर में तीन स्थानों पर बेशकीमती जमीनों की तलाश प्रशासन ने शुरू कर दी है। मामला 200 एकड़ जमीन का है। हाईकोर्ट के निर्देश पर जांच कर तीन महीने में पूरी कर आख्या के साथ रिपोर्ट देनी थी, लेकिन अभी तक मामला किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है। उप जिलाधिकारी ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर 17 जनवरी 2024 को एक टीम गठित की थी। इसमें नायब तहसीलदार के साथ आठ लेखपालों की तैनात किया गया था। इन बेशकीमती जमीनों की तलाश के लिए एक महीने का समय देते हुए टीम गठन किया।