अभी चार दिन और सताएगी गर्मी, येलो अलर्ट जारी-मतदान के दिन मिल सकती है राहत

अभी चार दिन और सताएगी गर्मी, येलो अलर्ट जारी-मतदान के दिन मिल सकती है राहत
अभी चार दिन और सताएगी गर्मी, येलो अलर्ट जारी-मतदान के दिन मिल सकती है राहत

गोरखपुर । इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी से अभी राहत मिलती नहीं दिख रही है। मौसम विभाग ने चार दिनों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान दिन के साथ रात में गर्मी सताती रहेगी। इस बीच सोमवार को दिन में बेतहाशा गर्मी के दौरान दोपहर बाद करीब तीन बजे अचानक मौसम ने करवट लिया। बादल छाने के साथ हवा और बूंदाबांदी से लोगों को गर्मी से राहत मिली। लेकिन कुछ समय बाद फिर मौसम शुष्क हो गया। शाम होने के बाद भी उमस से लोग बेहाल रहे। इन दिनों गर्मी अपने चरम पर है। मई में अधिकतम और न्यूनतम तापमान ने अपना पूरा रिकार्ड तोड़ दिया। 18 मई को अधिकतम तापमान 43.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जो पिछले 10 वर्षों में सर्वाधिक था। इसके बाद 26 मई की रात में न्यूनतम तापमान भी पिछले आठ वर्ष में सर्वाधिक रहा। मौसम विभाग ने नया अलर्ट जारी कर 30 मई तक येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान दिन में लू चलने से तीखी धूप झुलसाती रहेगी। वहीं रात में भी गर्मी का आलम बना रहेगा। ऐसे में अब गर्मी का जो दौर शुरू हुआ है, उसमें दिन के चैन के साथ ही रात की नींद भी उड़ गई है। दिन में तीखी धूप के चलते लोग गर्मी से राहत पाने का उपाय ढूंढते रहे। घर में एसी और कूलर का असर भी नहीं दिख रहा है। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, फिलहाल लू और प्रचंड गर्मी के संकेत मिल रहे हैं। 30 मई तक यह आलम बना रहेगा। उन्होंने बच्चों और बुजुर्गों की दोपहर में 12 बजे से तीन बजे तक अधिक तापमान होने के चलते अधिक ध्यान रखने की अपील की है।

मतदान के दिन एक जून को राहत के आसार
मौसम विभाग ने सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ के चलते 31 मई से बदलाव का आसार जताया है। इस दौरान आंशिक रूप से बादल छाने के साथ तेज हवा चलेगी और कुछ जगहों पर बारिश होने की उम्मीद है। सातवें चरण के मतदान के दिन भी मौसम ऐसे ही बना रहेगा। ऐसे में भीषण गर्मी से परेशान लोगों के लिए यह राहत भरा है। मतदाता सुहाने मौसम के बीच मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

प्रदूषण बढ़ने के पीछे स्थानीय कारण
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार द्विवेदी ने बताया कि स्थानीय मौसम पर व्यापक स्तर पर ग्लोबल वार्मिंग और स्थानीय कारणों का प्रभाव होता है। व्यापक स्तर पर होने वाला बदलाव वायु की गति, दिशा, वर्षा, नमी और समुद्री स्थितियों आदि को प्रभावित करता है। स्थानीय हरित क्षेत्र, ताल-तलैये, वन आदि भी स्थानीय मौसम में अपना योगदान देते हैं। वर्तमान में घटती आद्रता और तापमान के कारण धूल और प्रदूषण के कणों की एक परत क्षेत्र के ऊपर जमा हो जाती है। इससे तापमान उस स्तर पर ही बना रहता है। वायु की सघनता के कारण तापमान अधिक हो जाता है।