78 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा : सर्वे में 406 ऐसी संपत्तियां सामने आई हैं जो वक्फ बोर्ड के दफा-37 रजिस्टर में दर्ज

78 हेक्टेयर सरकारी भूमि पर वक्फ बोर्ड का दावा : सर्वे में 406 ऐसी संपत्तियां सामने आई हैं जो वक्फ बोर्ड के दफा-37 रजिस्टर में दर्ज

वाराणसी (रणभेरी): वाराणसी जनपद की 406 सरकारी संपत्तियों को वक्फ बोर्ड ने अपने दफा -37 रजिस्टर में दर्ज कर लिया गया है। ये 78 हेक्टेयर में फैले है। इन भूभाग पर  98 सरकारी जमीनों पर मस्जिद-इमामबाड़ा बना लिए गए। इनमें सबसे अधिक सुन्नी समुदाय की मस्जिदें हैं। इसका खुलासा तब हुआ, जब उत्तर प्रदेश वक्फ बोर्ड से वाराणसी में उनकी संपत्तियों से संबंधित सूचना मांगी गई।

वक्फ बोर्ड के अनुसार, वाराणसी में वक्फ बोर्ड की 1637 संपत्ति है। इनमें 1537 सुन्नी और 100 संपत्ति शिया बोर्ड के दफा 37 रजिस्टर में दर्ज है। तहसील और नगर निगम ने इसका सर्वे किया। इसके बाद 406 संपत्ति ऐसी निकली, जो यूपी सरकार की थी। योगी सरकार को इसकी रिपोर्ट भेज दी गई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 दिसंबर, 2023 को याचिका दाखिल की गई। तस्लीम हसन खान बनाम राजस्व परिषद की याचिका यूपी में वक्फ की संपत्तियों के सर्वे को लेकर थी। हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार ने 16 बाद यानी 27 दिसंबर को जांच समिति का गठन किया। समिति का अध्यक्ष राजस्व विभाग के सचिव जीएस नवीन कुमार को बनाया। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के निदेशक और अपर सर्वे आयुक्त मुस्लिम वक्फ उत्तर प्रदेश, उप-भूमि व्यवस्था आयुक्त राजस्व परिषद को सदस्य, पीलीभीत डीएम को कमेटी का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया। जेपीसी ने उत्तर प्रदेश के सभी जिलों के जिलाधिकारियों से वक्फ की संपत्ति के सर्वे के बाबत रिपोर्ट मांगी थी।

जिला मुख्यालय और मंडल आयुक्त कार्यालय के बीच में मौजूद सर्किट हाउस की जमीन राजस्व परिषद विभाग की है। सर्किट हाउस में विकास भवन के सामने मौजूद मजार से लेकर स्मार्ट सिटी के तहत जिस स्थान पर बेसमेंट पार्किंग बनी है, उस जमीन को भी वक्फ बोर्ड ने अपने रजिस्टर में दर्ज कर रखा है।

सर्किट हाउस परिसर में मौजूद मजार के आसपास हो रहे निर्माण को लेकर पहले से भी लोक निर्माण कई नोटिस थमा चुका था। नोटिस के बावजूद वहां मजार के आसपास पक्का निर्माण होता रहा। सुरक्षा एजेंसियां यहां होने वाली गतिविधियों को लेकर पहले ही अपनी रिपोर्ट स्टेट और सेंट्रल गवर्नमेंट को दे चुकी है।

छावनी में चार भूमि को वक्फ बोर्ड ने कब्रिस्तान और दो आबादी की जमीन को अपनी संपत्ति घोषित किया है। मौके पर कब्रिस्तान और एक मकान मिले। छावनी में मौजूद मजार को भी वक्फ ने अपनी संपत्ति बताई, जबकि तहसील के अनुसार मजार राज्य सरकार की बंजर भूमि पर बना है।

राजस्व विभाग की आबादी, बंजर भूमि पर मस्जिद, मजार से लेकर कब्रिस्तान तक की जमीन वक्फ बोर्ड ने अपने नाम कर रखी है। कलेक्ट्रेट में जो मजार है, वह भी राजस्व परिषद की भूमि पर है, जिसे वक्फ बोर्ड ने अपनी सूची में डाल रखा है। भट्टी गांव में सिंचाई विभाग के नाला, चकरोड की भूमि पर वक्फ बोर्ड ने अपना दावा करते हुए कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज कर रखा है। जैतपुरा में रेलवे, सड़क और आबादी की जमीन को वक्फ बोर्ड ने अपने रजिस्टर में कब्रिस्तान घोषित कर रखा है। काशीपुरा और कमलगढ़हा में वक्फ के रिकॉर्ड में जो संपत्ति दर्ज है, वो राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में सड़क और आबादी की जमीन है। लोक निर्माण विभाग कार्यालय मार्ग पर पड़ने वाली अलाउद्दीन की मजार सड़क पर बनी है। खजूरी में अलरसीद मस्जिद के नाम पर दर्ज संपत्ति पर मस्जिद के साथ पूरी कॉलोनी बसी है। सरकार के विभिन्न विभागों से जुड़ीं 165 सरकारी जमीनों पर कब्रिस्तान बना लिए गए हैं। इन कब्रिस्तानों की जमीन को भी सुन्नी और शिया बोर्ड ने अपनी संपत्ति घोषित कर रखी है। नदेसर इलाके में सऊदी पैटर्न पर बनी जामा मस्जिद की 90 फीट ऊंची मीनारें लोगों के आकर्षण का केंद्र हैं। यह यहां की सबसे चर्चित मस्जिद है। मस्जिद तालाब की जमीन पर खड़ी की गई है।

​​​​​एडीएम वित्त एवं राजस्व वंदिता श्रीवास्तव ने बताया कि 406 जमीन सरकार की हैं, जिन्हें वक्फ बोर्ड ने अपना बता रखा है। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। आदेश मिलते ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। अक्टूबर में सर्वे शुरू हुआ था। जो दिसंबर तक चला। इसमें तहसील प्रशासन, राजस्व कर्मी शामिल थे।