मधुरिम स्वाद बेमिसाल, आपकी जेब का भी ख्याल

- जहां दाम व शुद्धता महज कथनी नहीं पक्का वादा है
- 40 वर्षों में बनारसी मिठास का ब्रांड बनी बंगाल स्वीट हाउस की मिठाइयां
- डिजाइनर डिब्बों व देसी घी के नाम पर चढ़ती कीमतों की होड़ के सामने चुनौती बन कर खड़ा आम आदमी का मिष्ठान्न प्रतिष्ठान
वाराणसी (रणभेरी): घोर बाजारवाद के दौर में डिजाइनर डिब्बों व शुद्ध देसी घी के नाम की प्रपोगंडा लहर पर सवार मिठाइयों की कीमतें अब आम आदमी की पहुंच से बाहर हो चुकी है। इस अंधी होड़ के नगर में भिखारीपुर स्थित बंगाल स्वीट हाउस के नाम से घर-घर में मशहूर एक मिष्ठान्न प्रतिष्ठान इस ज्यादती के आगे चुनौती बन कर खड़ा है। यह प्रतिष्ठान बीते 40 वर्षों से हर बनारसी को वाजिब दाम व शुद्धता के पक्के वायदे के साथ बनारस का मधुर रस बांट रहा है। आम आदमी के मिष्ठान्न भंडार के सुनहरे तमगे के साथ मिठास पर सबका हक संकल्प लेकर अमीरी-गरीबी की खाई पाट रही है।
शाख व विश्वास के चार दशक
मधुरिमा को समर्पित पर्व दीपावली की युद्ध स्तरीय तैयारी में अभी से जुटे प्रतिष्ठान के स्वामी संतोष यादव एक आत्मीय मुलाकात में बताते हैं कि वर्ष 1985 में यशस्वी पिता स्व. भगवान दास के संरक्षण में उन्होंने तब सून- सपाट रहे इस इलाके में मिठाइयों की एक छोटी दुकान शुरू की। अपने एक श्रद्धेय अध्यापक की प्रेरणा से उन्होंने प्रतिष्ठान को नाम दिया बंगाल स्वीट हाउस। इस जतन में पहला कारण तो था पिता के नाम का पहला अक्षर बी होना। दूसरे हम बंगाल की तरह ही छेने की मिठाइयों को तरजीह देना चाहते थे। आज भी परे बनारस में बंगाल स्वीट हाउस का छेना रसगुल्ला, छेना दही बड़ा तथा छेना टोस्ट का डंका बजता है। संतोष जी के अनुसार स्वाद व गुणवत्ता के दम पर हमने बनारस वालों का स्नेह व विश्वास जीता। ग्राहकों का यह अटूट वश्वास व प्यार ही हमारी पूंजी भी है और थाती भी।
बनारस के मधुर रस की पहरेदारी
संतोषजी के अनुसार अपने स्व. पिता के संकल्प के अनुरूप हम सब ने खांटी बनारसी मिठाइयों को भी तरजीह दी है। रसगुल्ला को छोड़ चमचम, खीरमोेहन, गोपाल भोग, खीरकदम, लाल पेड़ा, राजबहार, राजभोग व खोवे की बर्फी जैसी परम्परागत मिठाइयां ही हम बनाते हैं। छेने का दही बड़ा व छेना टोस्ट प्रतिष्ठान के सबसे मशहूर आइटम है। तगड़ी कमाई के चक्कर में उलजलूल प्रयोगों के नाम पर छल के धंधे हमारा कत्तई विश्वास नहीं है।
दाल में नमक व नमक में दाल वाली अपने दिवंगत पिता की सीख हमें आज भी हम जहां हैं वहं संतुष्ट है और सच कहें तो इसी उसूल के चलते प्रतिष्ठान महंगाई के अंधड़ में भी वाजिब कीमतों की मजबूत नींव पर डट कर खड़ा है।
मिठाइयों की शुद्धता सिर्फ कथनी नहीं पक्का वादा
मिलावटखोरी के इस अंधे दौर में भी आप अपने उत्पादों की शुद्धता की गारंटी कैसे लेते हैं ? प्रश्न के उत्तर में संतोष यादव एकदम संजीदे हो जाते हैं कहते हैं- शुद्धता हमारे लिए सिर्फ कथनी नहीं ग्राहकों से किया गया पक्का वादा है। किस्में भले ही कम हो जाये ग्राहकों को विनम्र आग्रह से भले ही लौटाना पड़े उत्पादों की गुणवत्ता से हमने कभी कोई समझौता नहीं किया। इसी ऐतिहात से हम छह भाई क्रमवार कारखाने में ड्यूटी बजाते है। अपनी देखरेख में ही मिठाइयां बनवाते हैें। शुद्धता पर कोई सवालिया निशान न खड़ा हो इस लिहाज से हम बाजार के दूध का इस्तेमाल ही नहीं करते। मानिंद गोशालाओं से हमारा चार दशकों का करार है। वही हमें दुकान की शुरुआत से ही शुद्ध दूध की आपूर्ति करते चल आये है। गौरतलब यह भी कारखाने के अलावा हम अपने आपूर्तिकर्ता दूधियों की गोशालाओं तक भी हमेशा पहुंच बनाये रखते हैं। पशुशालाओं का नियमित निरीक्षण हमारी दैनंदनी में शामिल है। वे किस माहौल में रह है, साफ सफाई की क्या व्यवस्था है। उनके चारे व दाने पानी की गुणवत्ता पर हमारी बराबर निगरानी रहती है।
स्नेह बरसाये रखें, विश्वास बनायें रखें
काशी के स्वादसियों के प्रेम से अभिभूत संतोष जी का कहना है कि अपने संकल्पों पर डटे रहना हमारा एकमेव ध्येय है। काशीवासी अपना स्नेह बनाये रखें। यही हमारे लिए अनमोल धरोहर है।