स्कूटर से मां को तीर्थयात्रा करा रहा आज का श्रवण कुमार, 62 हजार किमी सफर के बाद पहुंचा काशी
(रणभेरी): बचपन में हम सभी ने त्रेतायुग के श्रवण कुमार की मातृ-पितृ सेवा की कहानी जरूर सुनी होगी। बावजूद इसे अपने जीवन में बहुत कम लोग ही इसे उतार पाते है। लेकिन हम आपको कलियुग के श्रवण कुमार की कहानी बताएंगे। जिन्होंने अपनी मां को बजाज चेतक स्कूटर पर बैठाकर 62 हजार किलोमीटर से अधिक की यात्रा कराई। कर्नाटक के मैसूर जिले के दक्षिणामूर्ति निवासी कृष्ण कुमार अपनी 73 साल की मां चूड़ा रत्ना को विभिन्न तीर्थस्थलों की यात्रा करा चुके हैं। कर्नाटक के मैसूर जिले के दक्षिणामूर्ति निवासी कृष्ण कुमार अपनी 73 साल की मां चूड़ा रत्ना को विभिन्न तीर्थस्थलों की यात्रा करा चुके हैं। लगभग 62 हजार किलोमीटर की यात्रा पूरी कर काशी पहुंचने पर तुलसी घाट के तुलसी मंदिर अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास में प्रोफेसर विश्वंभरनाथ मिश्र ने उनका स्वागत किया। इस दौरान कृष्ण कुमार को लोगों ने श्रवण कुमार की संज्ञा भी दे डाली। तुलसीघाट पर चूड़ा रत्ना का पांव भी पखारा गया। यहां आए सैलानियों और श्रद्धालुओं ने उनकी इस अद्भुत तीर्थ यात्रा का अभिवादन किया। उनकी मां की इच्छा थी कि उनके पति की खरीदी स्कूटर पर भारत की तीर्थ यात्रा करें। पति कर मौत हो चुकी थी ताे ये सपना अधूरा रह गया। अब उनके बेटे कृष्ण मां के इस सपने को पूरा करेंगे। मैसूर जिले से निकले उन्हें 5 साल हो गए। 16 जनवरी 2018 से लगातार वह स्कूटर यात्रा कर रहे हैं।
मां-बेटे अस्सी स्थित एक मठ पर ठहरे हुए हैं। कृष्ण कुमार आज अपनी मां को दर्शन-पूजन कराने संकट मोचन मंदिर, श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर, मानस मंदिर, सारनाथ और गंगा आरती देखने जाएंगे। काशी कर गलियों में विचरण करेंगे। यहां के बाद वह अयोध्या और वृंदावन भी जाएंगे। इससे पहले वह यूपी में चित्रकूट और प्रयागराज भी गए थे। कृष्ण कुमार ने कहा कि वह अपने माता-पिता के इकलौते बेटे हैं। वह बेंगलुरु की एक मल्टीनेशनल कंपनी में कार्यरत थे। 13 साल की नौकरी के बाद रिजाइन किया और मां की सेवा में लग गए हैं। मां की ममता ने उन्हें शादी के बंधनों में भी नहीं बांध सकी। उन्होंने शादी नहीं की। 13 साल में जो सैलरी मिली, उसकी सेविंग से जो ब्याज मिलता है, उसी से अपना और मां का खर्च चलाते हैं। इस यात्रा के लिए किसी से कोई मदद या फंड नहीं स्वीकार करते।