देश के दो प्राचीनतम सभ्यता का काशी में हुआ मिलन

देश के दो प्राचीनतम सभ्यता का काशी में हुआ मिलन

वाराणसी (रणभेरी सं.)। नमो घाट पर भारत की दो प्राचीनतम सभ्यताओं - उत्तर भारत की काशी और दक्षिण भारत की तमिल संस्कृति के बीच आत्मीय संबंधों को प्रगाढ़ करने की दिशा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुक्ता काशी के मंच पर पहली प्रस्तुति निवेदिता शिक्षा सदन बालिका इंटर कॉलेज की छात्राओं द्वारा 'खेले मसाने में होली' और 'आज ब्रज में होली रे रसिया' जैसे पारंपरिक लोकगीतों व कजरी गायन से हुई। इसके बाद तमिलनाडु से पधारी यू. सी. सिंधुजा जी द्वारा हरि कथा का भावपूर्ण वाचन प्रस्तुत किया गया, जिसमें भक्ति रस से ओतप्रोत श्रीराम कथा का वर्णन किया गया। इसके पश्चात एस. के. चंद्राकृष्णन जी की टीम ने रामायण के अंशों पर आधारित नाट्य रूपांतरण प्रस्तुत किया, जिसमें प्रभु श्रीराम की महिमा का विस्तार से बखान किया गया। तमिलनाडु की प्रसिद्ध नैयाण्दी मेलम की प्रस्तुति हुई। यह एक पारंपरिक लोकनृत्य है, जिसमें मां काली के विभिन्न रूपों को नृत्य के माध्यम से जीवंत किया जाता है। इस प्रस्तुति में वाद्य यंत्रों के माध्यम से ऊजार्वान वातावरण निर्मित हुआ। इसके बाद करगम, कावड़ी, सिल्लुकुचीअत्तम की प्रस्तुतियां दी गईं, जिनमें भगवान मुरुगन की स्तुति की गई। करगम नृत्य में सिर पर मटकी (करगम) रखकर देवी शक्ति की आराधना की जाती है। कावड़ी नृत्य में भगवान मुरुगन को समर्पित श्रद्धालु कंधे पर कावड़ी रखकर नृत्य करते हैं। सिल्लुकुचीअत्तम नृत्य में लकड़ी की छड़ी से लयबद्ध तरीके से प्रस्तुति दी जाती है, जिससे युद्ध कला और लय का सुंदर संयोजन देखने को मिलता है।

मार्शल आर्ट को नृत्य के माध्यम से दिखाया

इसके बाद सिलम्बम और कलरिपयट्टु का प्रदर्शन किया गया। सिलम्बम एक पारंपरिक युद्ध कला है, जिसमें बांस की छड़ी का प्रयोग करते हुए योद्धा अपने कौशल का प्रदर्शन करते हैं। कलरिपयट्टु भारत की प्राचीनतम मार्शल आर्ट है, जिसमें शारीरिक संतुलन, शक्ति और आत्मरक्षा की तकनीकों का प्रदर्शन किया जाता है। थप्पत्तम (ढोल नृत्य) और कारागत्तम नृत्य की प्रस्तुतियां भी हुईं। थप्पत्तम में ढोल की थाप पर कलाकार उत्साहपूर्वक नृत्य करते हैं, जबकि कारागत्तम देवी की आराधना के लिए सिर पर कलश रखकर किया जाने वाला पारंपरिक लोकनृत्य है, जो विशेषकर तमिलनाडु के ग्रामीण अंचलों में अत्यंत लोकप्रिय है। सभी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को रोमांचितकर दिया।

तमिलनाडु के लोगों का बनारस स्टेशन पर भव्य स्वागत

काशी तमिल संगमम 3.0 के अंतर्गत तमिलनाडु से आए स्वयं सहायता समूह, मुद्रा ऋण लाभार्थी, प्रचारक के लोगों का गुरूवार को तिलक लगाकर और फूलों की माला पहनाकर ढोल नगाणों संग बनारस रेलवे स्टेशन पर स्वागत किया। इस दौरान इन लोगों पर पुष्प वर्षा भी की गई। स्टेशन पर जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौयी एवं जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने स्वागत समारोह की अगवानी की। चार दिनों में सभी डेलिगेट्स काशी विश्वनाथ मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, नमो घाट, रामनगर, बीएचयू के अलावा हनुमान घाट स्थित सुब्रमण्यम भारती के आवास पर भी ले जाया जाएगा। एकेडमिक कार्यक्रम के बाद सभी डेलिगेट्स महाकुंभ स्नान के लिए प्रयागराज जाएंगे। वहां से अयोध्या में श्रीराम लला के दर्शन-पूजन के लिए जाएंगे। वहां से लौटकर बनारस स्टेशन से तमिलनाडु रवाना होंगे।

तमिल अतिथियों ने किया श्री काशी विश्वनाथ का दर्शन

 काशी तमिल संगमम 3.0 में शामिल होने तमिलनाडु से आए पांचवें दल का गुरुवार को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम पहुंचने पर स्वागत हुआ। मंदिर न्यास की ओर से गंगा द्वार पर पुष्प वर्षा और डमरू के नाद के बीच स्वागत किया। अतिथियों ने हर हर महादेव के उद्घोष संग श्रीविश्वनाथ धाम में प्रवेश किया। श्रीकाशी विश्वनाथ महादेव का दर्शन करने के बाद अतिथियों ने धाम में स्थित अन्न क्षेत्र में भोजन प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर के सीईओ विश्वभूषण ने सभी अतिथियों को सुगम दर्शन की व्यवस्था कराई।
उन्होंने अतिथियों को श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में उपलब्ध सुविधाओं एवं दर्शन पूजन की व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने अतिथियों को अन्न क्षेत्र लेजाकर सभी को बैठाकर भोजन प्रसाद ग्रहण कराया। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में स्वागत से अतिथि अभिभूत दिखे। अतिथियों ने कहा कि श्रीकाशी विश्वनाथ महादेव का दर्शन कर परम सुख की अनुभूति हुई।

स्वयं सहायता समूह ग्रुप ने हनुमान घाट पर किया गंगा स्नान 

काशी तमिल संगमम-3 में स्वयं सहायता समूह ग्रुप हनुमान घाट पहुंचा। जहां सभी ने गंगा में स्नान कर मां की पूजा करते हुए सुख समृद्धि का आशीर्वाद मांगा। वहीं, मौजूद आचार्यों ने विस्तार से गंगा के विभिन्न घाटों के इतिहास के बारे में बताया। गंगा स्नान के बाद सभी मेहमानों ने घाट पर स्थित प्राचीन मंदिरों में दर्शन-पूजन किया। सभी मेहमानों को मंदिरों के इतिहास, दिव्यता और भव्यता के बारे में जानकारी दी गई। इसके बाद तमिल मेहमान हनुमान घाट स्थित सुब्रमण्यम भारती के घर गए। वहां उनके परिवार के सदस्यों से उन्होंने मुलाकात की। डेलिगेट्स के अंदर काफी कुछ जानने की जिज्ञासा दिखी। उन्होंने सुब्रमण्यम भारती के घर के समीप पुस्तकालय का भी भ्रमण किया और उसके बारे में जानकारी प्राप्त की। सुब्रमण्यम भारतीय के घर भ्रमण करने के बाद दल कांची मठ पहुंचा और वहां के इतिहास के बारे में जानकारी ली। काशी में दक्षिण भारतीय मंदिर को देखकर  दल के सदस्य उत्साहित दिखे। पं. वेंकट रमण घनपाठी का कहना है कि काशी और तमिलनाडु का गहरा रिश्ता है। ये समागम महज एक पखवाड़े का नहीं सदियों पुराना है। पं. वेंकट रमण घनपाठी ने बताया कि काशी के हनुमान घाट, केदारघाट, हरिश्चंद्र घाट पर मिनी तमिलनाडु बसता है।