काव्य रचना

काव्य रचना

    गुलज़ार साहब     

गुलज़ार साहब,
नज़्मों -कविताओं-
ग़ज़लों को सुन-गा 
खुद को आपके पास 
पाता हूँ 
फैन हूँ तब से ,
जब परिभाषा नहीं 
समझता था फैन का 
सिलसिला चलता रहा,
ख़ामोशी संग नज़्मों 
को सुनता रहा 
अनुभव के समुन्दर 
से 
अनुभव कुछ लेता रहा 
मन आनंदित होता है 
मेरा ,
जब आनंद की गीतों 
संग स्वप्न देखता 
मेरे अपने भी होते है 
शामिल,
कविताओं से मन को 
समझने 
परिचय करने का मन 
है मेरा,
मुसाफिर हूँ आशीष चाहता 
आपसे 
जब भी इश्क़ की गलियों 
में खुद को पाता,
आंधी के साथ इश्क़ की 
राहों में राहें  में बुनता |
गुलज़ार साहब 
मौसम भी मुस्कुराता 
जब आपकी ग़ज़लें  
खुशबु की आहट संग 
ध्वनि बन गूंजमयी होती 
किताबों को जब भी 
पलटता हूँ,
कुछ खूबसूरत पल बिताने 
के खातिर,
जीवन में मासूम बन अक़्सर 
खट्टे-मीठे पल बिता के भी 
जी-भर मुस्कुराता हूँ 
दिल से कहता हूँ साहब,
मन की दहलीज पर आपसे 
मिलने की है चाहत,
बस क्या दूँ तोहफा आपको 
जन्मदिवस पर 
बस फैन हूँ कुछ लिख दिया
ढेरों शुभकामना आपको 
गुलज़ार साहब 
फैन हूँ , तब से जब 
फैन की परिभाषा नहीं जानता 
था ||

नवीन आशा