ना गंगा हुई साफ, ना काशी से किया क्योटो का इंसाफ

ना गंगा हुई साफ, ना काशी से किया क्योटो का इंसाफ

वाराणसी (रणभेरी)। कांग्रेस के मुख्य चुनाव कार्यालय पर  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्यों द्वारा संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित किया गया। संबोधन के शुरूआत में वक्ताओं ने कहा की अध्यात्म और ज्ञान की आलौकिक नगरी काशी की महिमा तीनों लोकों में है। प्रलय काल के दौरान जब समूची सृष्टि जलमग्न हो जाती है तब भी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर विद्यमान रहती है, और सृष्टिकाल के दौरान पुन: धरती पर अवतरति हो जाती है। काशी विश्वनाथ की पावन भूमि को कांग्रेस पार्टी नमन करती है। आज से ठीक 10 साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से अपना पहला चुनाव लड़ने आये थे। तब अप्रैल 2014 में नामांकन भरते वक्त उन्होंने जो पहला वाक्य कहा था कि मुझे माँ गंगा ने बुलाया है, और माँ गंगा की सफाई के बड़े-बड़े वादे काशी से किये थे। फिर काशीवासियों को कहा कि मैं काशी को क्योटो बनाने आया हूँ। साथ ही यह भी कहा था कि वाराणसी में पोर्ट बनाऊँगा जिसमें हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रधानमंत्री ने फिर आदर्श ग्राम योजना के तहत कई गांवों को गोद लिया और उन गांवों में पानी, सड़क, शौचालय, सबको आवास, जैसे कई बढ़-चढ़ कर वादे किए।
गोद लिए गांव बहा रहा अपनी बदहाली पर आंसू
मोदी जी खुद पर हजारों फूलों की वर्षा करा रहे हैं, उनके गोद लिए गांव अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। मोदी जी ने वादा किया था कि हम ग्राम स्वराज लेकर आयेंगे सभी के लिए घर होगा, उसके बाद कहा था सूचना से सशक्तिकरण अर्थात सभी ग्राम पंचायतों को वाई-फाई से कनेक्ट किया जायेगा सभी गांवों में सीवरेज लाइन डाली जायेगी और कहा था कि रोबस्ट रोड़ कनेक्टीविटी होगी। प्रेस वार्ता में कहा की हाल ही में मोदी जी द्वारा गोद लिए गये गांव का दौरा पत्रकारों ने किया और उन्होंने पाया कि गांव के लोग पीने के पानी तक के लिए भी मौहताज हेै। 100-100 रुपए में लोग व्यक्तिगत रूप से पानी बेचते और खरीदते हैं, वह भी उन्हें कपड़े से छानकर पीना पड़ता है। लोगों के घरों पर छत नहीं है। गांव के लोग प्लास्टिक बांध कर रहने को मजबूर हैं। इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद स्थानीय निकाय के अधिकारियों ने एक जांच कमेटी जरूर बैठाई और यह कहा कि घर इसलिए नहीं हैं कि लोगों ने आवेदन नहीं किया जबकि डोंमरी गांव के श्री चौहान बताते हैं कि पांच-पांच बार आवेदन कर चुके हैं मगर हमें आवास नहीं दिये गये।
वाराणसी के मजदूर हुए मजबूर
दुर्भाग्यपूर्ण बात है मोदी जी ने उप्र में मनरेगा की मजदूरी 230 से 237 रुपए की अर्थात 7 रुपए मात्र बढ़ाई जबकि पार्लियामेन्ट्री कमेटी ने उसे 375 रुपए प्रतिदिन करने का कहा था। कांग्रेस पार्टी अपने न्याय पत्र में 400 रुपए प्रतिदिन देने का वादा कर चुकी है। बीते कई वर्षों में वाराणसी के गांवों के मनरेगा मजदूर लगातार अपनी मजदूरी समय पर न मिलने की बात कह रहे हैं, जिसको लेकर उनके द्वारा वाराणसी के चौबेपुर थाने पर प्रदर्शन भी किया गया। वाराणसी के अधिकारियों और भाजपा नेताओं को लोग बंधक बना रहे हैं और सीवरेज की अपनी व्यथा सुना रहे हैं। मार्च 2024 में वाराणसी के लोगों ने सरे राह भेलूपुर क्षेत्र के वार्ड पार्षद के पति तथा एक जूनियर इंजीनियर को चौराहे पर बंधक बना लिया। पिछले कई दिनों से समूचा क्षेत्र सीवर के पानी में डूबा हुआ था, 10 दिनों से लोग शिकायत भी कर रहे थे कि गंदे पानी की वजह से डायरिया और कई संक्रमक बीमारियां हो रही हैं मगर उस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सांच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप
प्रधानमंत्री द्वारा 2019 की शुरूआत में वाराणसी पोर्ट का उद्घाटन किया गया था। इसमें हजारों करोड़ रुपए खर्च किए गए और 3.55 मिलियन मीट्रिक टन कार्गाे हैंडलिंग का अनुमान था। लेकिन मार्च 2020 तक, यहां 0.008 प्रतिशत से भी कम कार्गाे हैंडलिंग हो रहा था। सबसे पहले तो वाराणसी के लोगों को बताया गया कि यह परियोजना उनके लिए गिफ़्ट है। लेकिन इसके लिए फंड तो जनता के टैक्स के पैसे से आया - किसी को उसी के पैसे से गिफ़्ट दिया जाता है क्या? वो भी ऐसा घटिया जो किसी काम का न हो? 2021 में डबल अन्याय सरकार ने अपनी इस विफलता का निजीकरण करने का निर्णय लिया और किसी को आश्चर्य नहीं हुआ कि इसके लिए अडानी पोर्ट्स एकमात्र बोली लगाने वाला समूह था। प्रधानमंत्री हर एक राष्ट्रीय संसाधन को अडानी को सौंपने के लिए इतने उतावले क्यों हैं? इस बंदरगाह की पूर्ण विफलता और इसमें धन के बंदरबांट की कोई जांच क्यों नहीं की जा रही है?
न शिक्षा न स्वास्थ्य, न ही बढ़ाया तरक्की के लिए हाथ
10 साल तक सांसद और प्रधानमंत्री रहने के बाद वाराणसी को एक भी नया सरकारी अस्पताल नहीं मिला। न ही इसे एक भी नया जवाहर नवोदय विद्यालय या केन्द्रीय विद्यालय मिला है। पिछले दशक में, जिले की जनसंख्या में अनुमानित रूप से 15-20 प्रतिशत, या 6 लाख नए निवासियों की वृद्धि हुई होगी। जनसंख्या में हुई इस वृद्धि के लिए आवश्यक नए स्कूल और अतिरिक्त हॉस्पिटल बेड्स कहां हैं? प्रधानमंत्री ने अपने मतदाताओं की इन बुनियादी जरूरतों की उपेक्षा क्यों की है ? संयुक्त प्रेस वार्ता कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे, उप्र कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग के चेयरमैन डॉ. सीपी राय, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की मीडिया कोआॅर्डिनेटर गरिमा मेहरा दसौनी, प्रदेश प्रवक्ता संजीव सिंह, प्रदेश प्रवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह, अभिमन्यू त्यागी, राहुल राजभर, डॉ नृपेंद्र नारायण सिंह, द्वारा सम्बोधित किया गया। 
नहीं हुई गंगा की सफाई, फिर दी मां गंगा की दुहाई
कांग्रेस नेताओं ने कहा की हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा की सफाई को लेकर भाजपा सरकार पर गंभीर टिप्पणी की है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा है कि ‘सफाई नहीं कर रहे हैं या सफाई करना ही नहीं चाहते हैं!'’ इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा था कि गंगा की एक बूंद भी साफ नहीं हुई है। जनवरी 2024 में कोर्ट ने कहा कि माघ मेला शुरू हो रहा है, गंगा का पानी गंदा है, नालों का पानी सीधे गंगा में जा रहा है। इस पर सरकार ने स्वयं कोर्ट को बताया कि 40 फीसदी सीवर का पानी अभी भी सीधे गंगा में छोड़ा जाता है। 
नाम बड़े और दर्शन छोटे, मूलभूत सुविधा के पड़े टोटे 
प्रधानमंत्री जी अगस्त -सितंबर 2014 में जापान की यात्रा पर गए थे। वहां जापान की सरकार के साथ काशी और क्योटो के बीच एक पार्टनर सिटी अफिलिएशन एग्रीमेंट किया गया था। जिसमे काशी की कला, संस्कृति, शिक्षा और विरासत को संवारने तथा काशी के आधुनिकीकरण के दावे किए गए थे। कहा गया था कि वाराणसी के जल प्रबंधन, सीवरेज व्यवस्था , अपशिष्ट प्रबंधन तथा यातायात प्रबंधन के लिए जापानी विशेषज्ञों और तकनीक से काशी को क्योटो बना देंगे। सरकार ने काशी को क्योटो बनाने के नाम पर खूब सुर्ख़ियाँ बटोरी अब हैरत है मोदी जी क्योटो का नाम भी नहीं लेते ।